नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश के कई हिस्सों से सामने आ रहे छात्रों के प्रदर्शन के बीच इस मामले पर लेखक चेतन भगत की प्रतिक्रिया सामने आई है. भगत ने ट्वीट कर कहा है, ''युवा नाराज हैं, पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं. सैलरी कम हैं. उनके साथ मत उलझो. पहली प्राथमिकता फिर से इकनॉमी को उठाने की होनी चाहिए.''
इसके अलावा भगत ने कहा है,
‘’नोटबंदी, जीएसटी, आर्टिकल 370, नागरिकता संशोधन कानून. हर मुद्दे पर ऐलान के बाद मसले हुए हैं. इससे लगता है कि सरकार में हां बोलने वालों की एक सेना है, जो हर चीज पर अपनी सहमति दे देती है, वास्तविक संदेह नहीं उठाती. शायद फैसला लेने की प्रक्रिया के बारे में विचार किया जाना चाहिए.’’चेतन भगत, लेखक
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर और ज्यादा शिक्षा और आम सहमति की जरूरत थी.
भगत ने कहा, ''बार-बार और लंबे समय तक इंटरनेट शटडाउन से बिजनेस और इकनॉमी को नुकसान होता है. इससे संदेश जाता है कि हम एक अप्रत्याशित, तीसरी दुनिया का देश हैं, जहां चीजें काबू में नहीं हैं. यहां तक कि गैर-लोकतांत्रिक चीन ने भी हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शन के दौरान ऐसा कभी नहीं किया.''
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘’इकनॉमी का तबाह होना. नौकरियों का गायब होना. इंटरनेट पर रोक लगाना. लाइब्रेरी में पुलिस भेजना. युवा के पास धैर्य हो सकता है, लेकिन उसकी सीमा मत परखो.’’
भगत ने अपने अगले ट्वीट में कहा, ''यहां कई लोग मेरी राजनीति को लेकर भ्रमित हो गए. साफ कर दूं कि मैं सिर्फ ऐसे भारत में रुचि रखता हूं, जहां हर कोई भाईचारे से रहे और हमारी इकनॉमिक ग्रोथ शानदार हो. यह मेरा सपना है. एकतरफा समूह मुझे बोर करते हैं. मैं आपके तय पक्ष की तरफ नहीं हूं. मैं भारत की तरफ हूं और मुझे इस पर गर्व है.''
देश की यूनिवर्सिटीज को लेकर भगत ने कहा, ''यूनिवर्सिटीज के ऐतिहासिक नाम कुछ भी हों, भारत में कोई भी हिंदू या मुस्लिम यूनिवर्सिटी नहीं है." उन्होंने कहा कि ये सभी भारतीय यूनिवर्सिटी हैं और इन सबका संरक्षण होना चाहिए.
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