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Chhawla Gangrape Murder Case: हाई कोर्ट ने दी थी फांसी, तीनों आरोपी SC से रिहा

Supreme Court का आदेश आने के बाद मृत युवती की मां कैमरे के सामने रोते हुए बोलीं- अब जीने की कोई वजह नहीं बची

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2012 के छावला गैंगरेप मामले (Chhawla Gangrape Case) में मौत की सजा पाने वाले तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ 19 वर्षीय महिला के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. पुलिस के मुताबिक महिला का अपहरण होने के तीन दिनों के बाद बुरी हालत में शव मिला था, जिसमें राहुल, रवि और विनोद नाम के युवकों पर अपहरण, गैंगरेप और हत्या का आरोप लगा था.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मृत युवती की मां ने क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मृत युवती की मां रोती हुई नजर आई. उन्होंने कहा कि हम हार गए हैं. मैं 11 साल से इस फैसले के इंतजार में जी रही थी. अब लग रहा है कि हमारे पास जीने की कोई वजह नहीं बची है. मुझे लग रहा था कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा.

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क्या था पूरा मामला?

यह मामला 14 फरवरी 2012 का है. मृत युवती उत्तराखंड की रहने वाली थी और गुड़गांव के साइबर सिटी इलाके में काम करती थी. वह काम करके ऑफिस से वापस घर आ रही थी. वो अपने घर पहुंचने ही वाली थी कि रास्ते में तीन लड़कों ने कथित तौर पर उसका अपहरण कर लिया और कार में कहीं लेकर चले गए. घर नहीं पहुंचने पर उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. वारदात होने के कई दिनों बाद बेहद खराब हालत में युवती का शव हरियाणा के रेवाड़ी गांव में मिला था.

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को महिला के शरीर पर कई चोटें मिलीं थी और जांच पाया गया था कि रेप के अलावा उस पर कार के औजारों, कांच की बोतलों और अन्य हथियारों से हमला किया गया था.

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"कभी सोचा नहीं था न्याय का ऐसा दिन आएगा"

एंटी रेप एक्टिविस्ट और परी (PARI-People Against Rapes In India) की फाउंडर योगिता भयाना ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि ये फैसला आने के बाद कुछ बोलने के लिए हमारे पास शब्दों की कमी पड़ रही है. अगर इस केस में सजा माफ कर दी गई तो इस देश की बेटी होने के बाद मेरा भारत की न्याय प्रणाली से विश्वास उठ चुका है.

योगिता भयाना ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' जैसे नारों का क्या मतलब है.
मौत की सजा को खारिज कर दिया गया, ये भी नहीं हुआ कि उनकी सजा कम कर दिया जाए, उन्हें बिल्कुल खुला छोड़ दिया गया है, वो कल सुबह तक बाहर आ जाएंगे. हमने जिंदगी में कभी सोचा नहीं था कि न्याय का ऐसा भी दिन आएगा. न्याय तो आरोपियों को मिला है, जिनकी बेटी गई है उनके साथ तो अन्याय हुआ है. इतनी बर्बरता करने के बाद अगर आरोपियों को खुला छोड़ दिया जाता है तो ये देश के लिए इतिहास में एक बदनुमा दाग है.
योगिता भयाना, एंटी रेप एक्टिविस्ट

उन्होंने आगे कहा कि या तो लोवर कोर्ट पर भरोसा छोड़ देना चाहिए या फिर अगर लोवर का कुछ मतलब है तो उन्होंने जांच के बाद कुछ सोच-समझकर ही फांसी जैसी सजा सुनाई और हाईकोर्ट ने भी सजा दी. अब ये कह दिया गया कि दोनो जांच गड़बड़ है और दरिंदो को माफी दे दी गई. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न्याय प्रणाली पर खुद सवाल खड़ा किया है.

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"क्या रेपिस्ट का हौसला नहीं बढ़ेगा?"

दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन ने कहा कि 2012 में 19 साल की लड़की का दिल्ली में गैंगरेप और मर्डर हुआ. इस भयानक केस के दोषियों को हाई कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया. ये वो केस है जिसमें लड़की की आंखो में तेजाब और प्राइवेट पार्ट में शराब की बोतल डाली गई थी. क्या इससे रेपिस्ट का हौसला नहीं बढ़ेगा?

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