पॉर्न (Porn) को लेकर कई तरह के विवाद होते रहते हैं. इससे लोगों में व्यवहारिक बदलाव को लेकर बहस होती है. कई बार यह मुद्दा उठता रहा है कि पॉर्न देखने वाला बालात्कार करने के लिए उत्साहित हो सकता है.
इस समय माता पिता इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित रहते हैं कि कहीं उनके बच्चे को पॉर्न देखने की लत तो नहीं है. महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों की मोबाइल तक पहुंच आसानी से हो गई है. तो माता पिता क्या-क्या कदम उठा सकते हैं जिससे वे सुनिश्चित कर सकें कि उनके बच्चे की पहुंच पॉर्न तक न हो.
कई शोध और सर्वे का मानना है कि बच्चों में पॉर्न देखने की लत तेजी से बढ़ रही है. कई विशेषज्ञ बताते हैं कि लॉकडाउन में पॉर्न देखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है. बच्चों में पॉर्न देखने की लत का जिम्मेदार बच्चों की मोबाइल तक आसानी से बढ़ती पहुंच वजह है.
-माता-पिता मोबाइल पर सेफ सर्च को ऑन कर सकते हैं. गूगल पर गियर आइकन पर टैप करें, नीचे स्क्रॉल करें और सर्च सेटिंग्स पर टैप करें और फिर Filter Explicit Result को चुने. डेस्कटॉप पर गूगल पर जाने पर सेटिंग्स पर क्लिक करें और सेफ सर्च के ऑपशन को चुन लें.
-घर में वाईफाई है तो उसके पासवर्ड को बच्चों के साथ शेयर ना करें ताकि वो आपकी नजरों से दूर इंचरनेट का इस्तेमाल ना कर सकें.
-सकूल में बच्चों को सेक्स एजुकेशन दिया जाना चाहिए, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता टीचर और स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से बात करें.
माता-पिता अगर अपने बच्चे को पॉर्न देखते वक्त पकड़ लेते हैं, तो तब उनका स्वभाव ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे बच्चा घबरा जाए या उसे इतनी शर्मिंदगी महसूस हो कि उसपर मानसिक तनाव पड़ने लगे.
इसके लिए जरूरी है ऐसा माहौल बनाने कि जिससे बच्चा माता-पिता से खुलकर बात करने में शर्मिंदगी महसूस ना करें. पर आप जब तक बात करेंगे नहीं आपको वास्तविक स्थिति का पता नहीं चलेगा. बच्चे को आपसे छुपने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बातचीत के जरिए आप उसकी इस आदत को खत्म कर सकते हैं.
-कई पेरेंटल कंट्रोल एप्स भी इंटरनेट पर मौजूद हैं. जरूरत है कि हर एप को ठीक से रिव्यू कर उसे इंस्टॉल करें. ताकि बच्चे को पॉर्न देखने से रोका जा सकें.
आखिर में ये समझना बहुत जरूरी है कई बार मानसिक बीमारी की वजह से भी बच्चों में पॉर्न देखने की आदत विकसित हो जाती है. अगर ऐसा है तो बच्चे को किसी सायकोलॉजिस्ट के पास जांच के लिए लें जाएं. अगर आपको दिख रहा है कि बच्चे हाइपर एक्टिव हैं. एक जगह स्थिर नहीं बैठ रहें या ऐसे बच्चों को ध्यान एकाग्र करने में भी दिक्कत होती है. वो बहुत मुश्किल से एक जगह ध्यान रख पाते हैं. जिद्दी हो जाते हैं और जल्दी उत्तेजित भी हो जाते हैं. अगर आपको ऐसे लक्षण बच्चों में दिखाई देते हैं तो भी बच्चे को तुरंत मनोचिकित्सक के पास ले जाएं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)