नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में भ्र्ष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को तेजी से आगे नहीं बढ़ने के लिए आज विशेष अदालत ने फटकार लगाई. सीबीआई को फटकार लगाते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि चार साल बीत चुके हैं जब एजेंसी ने तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) सहित एक्सचेंज के शीर्ष अधिकारियों से जुड़े गलत कामों का अध्ययन शुरू किया था. चित्रा रामकृष्ण को 6 मार्च को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था और उनके तत्कालीन सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम को 24 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था.
इस तरह के घोटालों के साथ भारत में कौन निवेश करेगा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में गहरे भ्रष्टाचार से जुड़े सनसनीखेज मामले के बारे में न्यायाधीशों ने आज निराश होते हुए कहा कि, "इस तरह के घोटालों के साथ भारत में कौन निवेश करेगा."
सीबीआई अदालत ने आज कहा कि देश के मार्किट रेगुलेटर सेबी की भी जांच होनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उसने भ्रष्टाचार को रोकने और फिर उसे दंडित करने के लिए कोई कार्रवाई की है.
एनएसई देश का सबसे बड़ा शेयर बाजार था. 2018 में, व्यापारियों के एक चुनिंदा समूह को कथित तौर पर एल्गोरिथम ट्रेडिंग में तेजी लाने के लिए एनएसई के सर्वरों तक अनुचित पहुंच दी गई थी. इससे उन्हें अन्य व्यापारियों की तुलना में पहले लेनदेन करने में मदद मिली.
सीबीआई अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में मामले से संबंधित दस्तावेज लेने के लिए मुंबई में बाजार नियामक सेबी के कार्यालय का दौरा किया है.
एनएसई की तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण पर आरोप है कि उन्होंने एनएसई के प्रभारी के रूप में गोपनीय जानकारी किसी के साथ शेयर की जिसे उन्होंने हिमालयी योगी बताया. चित्रा रामकृष्ण के ईमेल उन्हें उसी बाहरी व्यक्ति से सलाह मांगते हुए दिखाते हैं.
सेबी के 11 फरवरी के एक आदेश में इस बात पर प्रकाश डाला गया था जिसमें एक्सचेंज में कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों को उजागर किया गया था.
(न्यूज इनपुट्स- एनडीटीवी)
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