सरकार सोमवार को संसद में सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश कर सकती है. बिल को पहले लोकसभा और उसके बाद राज्यसभा में पेश किया जाएगा. हालांकि लोकसभा में इसे गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे. वहीं कांग्रेस ने इस बिल के विरोध का ऐलान किया है. उसने कहा है कि संविधान के खिलाफ इस बिल का पूरी ताकत से विरोध किया जाएगा.
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों- हिंदू, बौद्ध, पारसी, जैन, सिख और इसाइयों के भारत आने पर उनको जल्द नागरिकता देने का प्रावधान वाला बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा. लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है उनकी पार्टी पूरी ताकत से सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल का विरोध करेगी. यह संविधान, धर्मनिरपेक्षता और देश की सभ्यता-संस्कृति के खिलाफ है.
थरूर ने किया विरोध,कहा- बिल, गांधी पर जिन्ना की जीत
सीनियर कांग्रेस नेता और केरल के सांसद शशि थरूर ने कहा कि इस बिल के पास होने के मतलब महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगा. उन्होंने कहा कि धर्म देख कर नागरिकता देने से भारत पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण हो जाएगा.
थरूर ने कहा कि बीजेपी सरकार ‘एक समुदाय’ को अलग करना चाहती है और उसके सदस्यों को उसी तरह की परिस्थितियों के शिकार अन्य समुदायों की तरह से राजनीतिक शरण देने से इनकार कर रही है.
राज्यसभा में बिल को मिल सकती है चुनौती
लोकसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसका और एनडीए का बहुमत नहीं है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वह यहां बिल को कैसे पारित कराती है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, एनसीपी, आरजेडी, सीपीएम और सीपीआई जैसे दल इसका विरोध कर रहे हैं.
लेफ्ट पार्टियां सीएबी में संशोधन का प्रस्ताव रखेंगी
वामदलों के संशोधन प्रस्तावों में एक में विधेयक से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और धर्म का संदर्भ हटाने और एक अन्य में विधेयक के दायरे में सभी पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को लाने की बात शामिल हो सकती है. यह जानकारी रविवार को दी गई.
बीजेपी सांसदों को व्हीप, 11 दिसंबर तक सदन में मौजूद रहें
बता दें कि बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को 9 से 11 दिसंबर के दौरान संसद में मौजूद रहने का अनुदेश दिया है. पार्टी द्वारा जारी व्हिप में कहा गया है- "बीजेपी के सभी लोकसभा सदस्यों को सूचित किया जाता है कि सोमवार, नौ दिसंबर से लेकर बुधवार 11 दिसंबर 2019 तक लोकसभा में कुछ अति महत्वपूर्ण विधायी कार्य (विधेयक) चर्चा के लिए लाए जाएंगे और उन्हें पारित किए जाएंगे."
व्हिप में बीजेपी सदस्यों से सदन में मौजूद रहने और सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा गया है. सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल के अलावा गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को आर्म्स अमेंडमेंट बिल 2019 चर्चा के लिए लाएंगे. विदेश मंत्री एस. जयशंकर एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल 2019 लाएंगे.
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक?
- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अप्रवासी ले पाएंगे भारतीय नागरिकता.
- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं. इस बिल में मुस्लिमों को नागरिकता देने का जिक्र नहीं है.
- इस विधेयक में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया था. नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक, भारत की नागरिकता के लिए आवेदक का 11 साल तक भारत में निवास करना आवश्यक था.
- संशोधन में इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इस 11 साल की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है.
- इस बिल में भारत के ओवरसीज सिटिजनशिप (OCI) कार्ड होल्डर्स का कानून का उल्लंघन करने पर कार्ड कैंसिल करने का भी प्रावधान है.
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