देश में कोरोना केस बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 24 घंटों में 2.59 लाख COVID केस सामने आए हैं और 1761 मौतें दर्ज हुई हैं. बढ़ते कोरोना मामलों के बीच ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी दवाइयों का इस्तेमाल बढ़ गया है. हालांकि, AIIMS चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि रेमडेसिविर कोई 'जादुई गोली' नहीं है और वो मौतों को नहीं रोकती है.
मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि रेमडेसिविर सिर्फ उन मरीजों को दी जानी चाहिए, जो मॉडरेट बीमारी से अस्पताल में भर्ती हैं या जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन गिर गया है.
'बिना लक्षण वाले मरीजों में किसी काम की नहीं'
डॉ गुलेरिया ने कहा, "रेमडेसिविर जादुई गोली नहीं और न ही ये ड्रग मौतों को कम करता है. हम इसे इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास कोई अच्छा एंटी-वायरल ड्रग नहीं है. इसकी भूमिका सीमित है और हमें इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए."
“कई स्टडीज में देखा गया है कि रेमडेसिविर हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों में किसी काम की नहीं है या फिर अगर इसे देर से दिया जाए तो भी कोई फायदा नहीं.”AIIMS चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया
स्टेरॉयड और प्लाज्मा थेरेपी पर क्या बोले डॉ गुलेरिया?
AIIMS प्रमुख ने कहा कि स्टडीज दिखाती हैं प्लाज्मा थेरेपी की भी कोविड इलाज में सीमित भूमिका है और ये ज्यादा काम की नहीं है.
डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एक ड्रग जिससे फायदा होता है, वो स्टेरॉयड है लेकिन उसे कब देना है ये बात महत्वपूर्ण है.
“रिकवरी ट्रायल दिखाते हैं कि अगर बीमारी के शुरुआती चरण और ऑक्सीजन सैचुरेशन गिरने से पहले स्टेरॉयड दिए जाएं, तो उनका हानिकारक प्रभाव होता है.”AIIMS चीफ डॉ रणदीप गुलेरिया
ऐसे ही AIIMS चीफ ने एंटीवायरल ड्रग फाविपिराविर के लिए कहा कि सबूत बहुत मजबूत नहीं है कि कोविड इलाज में इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है या नहीं. उन्होंने कहा कि इस ड्रग का मौतों पर कोई प्रभाव नहीं है और इसका इस्तेमाल नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल फॉर COVID-19 में सुझाया नहीं गया है.
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