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FAQs: क्या होता है द्विपक्षीय एयर बबल? कैसे करता है काम?

सभी सवालों के जवाब इस FAQs में जानिए

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नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 23 जून को कहा कि कई देशों ने उनसे अनुरोध किया है कि उनके एयर कैरियर को 'वंदे भारत' मिशन के तहत एयर इंडिया की लाइन के साथ पैसेंजर्स के ट्रांसपोर्टेशन में शामिल होने की अनुमति दी जाए. मंत्रालय ने कहा कि वो ऐसे देशों के बीच “द्विपक्षीय बबल” स्थापित करने पर विचार कर रहा है.

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तो द्विपक्षीय एयर बबल आखिर क्या होते हैं? भारत इसपर ऐसे में क्यों विचार कर रहा है जब केस रोजाना बढ़ रहे हैं? सभी सवालों के जवाब इस FAQs में जानिए.

क्या होते हैं ट्रैवल बबल? कैसे काम करते हैं?

ट्रैवल बबल या द्विपक्षीय एयर बबल, दो देशों के बीच एक ट्रैवल कॉरिडोर बोता है, जो अपने बॉर्डर को फिर से खोलना और एक-दूसरे के साथ फिर से कनेक्शन स्थापित करना चाहते हैं. ये उन देशों के बीच एक विशिष्ट साझेदारी है, जिसने या तो वायरस को खत्म कर दिया गया है, या फिर टेस्टिंग के आंकड़ों पर भरोसा करते हैं.

किन देशों के साथ ट्रैवल बबल स्थापित करने पर विचार कर रहा है भारत?

भारत अमेरिका, यूनाइडेट किंगडम, फ्रांस और जर्मनी के साथ द्विपक्षीय एयर बबल स्थापित करने पर विचार कर रहा है. 23 जून को एक बयान में, उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि इन डेस्टिनेशन की मांग कम नहीं हुई है और सरकार द्विपक्षीय एयर बबल स्थापित करने पर विचार कर रही है.

तो क्या इन देशों के लिए इंटरनेशन फ्लाइट्स अब चालू हो गई हैं?

नहीं. केंद्र सरकार ने कहा है कि इन देशों के साथ बातचीत चल रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है.

भारत अब एयर बबल पर विचार क्यों कर रहा है?

अमेरिका के एयर इंडिया द्वारा संचालित ‘वंदे भारत’ फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत इन एयर ट्रैवल बबल पर ‘विचार’ कर रहा है. अमेरिका ने भारत पर ‘अनुचित’ और ‘भेदभावपूर्ण प्रैक्टिस’ का आरोप लगाते हुए इन फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनके जरिये भारत विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश ला रहा था.

अमेरिकी सीमा में प्रवेश करने के लिए, एयर इंडिया को अब ऐसी उड़ानों के संचालन के लिए उनकी सरकार से अनुमति लेनी होगी. फ्रांस ने भी, आने वाले यात्रियों को लाने के बिना भारत को पेरिस के लिए उड़ान भरने के लिए कहा है.

हालांकि, भारत ऐसे बबल पर तब विचार कर रहा है, जब देश में मामले स्पाइक कर रहे हैं, खासकर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में.

क्या दूसरे देशों ने भी बनाए हैं ट्रैवल बबल?

एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया जैसे देशों ने सबसे पहले बाहरी लोगों को प्रवेश से रोकते हुए, अपने बीच मुफ्त सफर की अनुमति के साथ बबल बनाए थे.

मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ट्रैवल एयर बबल स्थापित करने वाले पहले बड़े देश हो सकते हैं, वहीं फिजी और कुक आइलैंड जैसे छोटे देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं.

द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन के देश भी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए हवाई यात्रा को फिर से खोल सकते हैं. हालांकि, वो अमेरिकी नागरिकों को अपनी सीमा में प्रवेश करने से रोकने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अमेरिका वायरस को रोकने में फेल रहा है.

ट्रैवल बबल में किसे सफर करने की अनुमति होगी?

सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई सफाई नहीं आई है. अगर इस तरह के बबल बनाए जाते हैं, तो उड्डयन मंत्रालय को ट्रैवल और क्वॉरन्टीन नियमों के बारे में एसओपी जारी कर सकता है.

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