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नौकरी, पढ़ाई या बिजनेस के लिए जाना है विदेश? ये हैं ताजा ट्रेंड   

लॉकडाउन के बाद लोग बाहर जाना चाहते हैं. भारतीयों को ऐसे देश की तलाश है जहां नौकरी और सेहत की अच्छी व्यवस्था हो.

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अभी तो लॉकडाउन है लेकिन लॉकडाउन के बाद लोग बाहर जाना चाहते हैं. भारतीयों को ऐसे देश की तलाश है जहां नौकरी और सेहत की अच्छी व्यवस्था हो. और ये तलाश करने वालों की तादाद पहले से ज्यादा है. ये कहना है इमिग्रेशन एडवाइजर और एक्वेस्ट एडवाइजर के CEO परेश कारिया का. क्विंट से खास बातचीत में परेश कारिया ने बताया कि विदेश जाने को लेकर इस वक्त क्या ट्रेंड है.

किन देशों में इमिग्रेशन का ट्रेंड ज्यादा है?

अमेरिका के बजाय अब लोग कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जाना चाहते हैं. ज्यादातर लोग वहां जाना चाहते हैं जहां हेल्थकेयर सिस्टम अच्छा है. हेल्थ के बाद शिक्षा और बिजनेस के मौकों को लोग तवज्जो दे रहे हैं.

अमेरिका की तरफ रुख घटने की प्रमुख वजह ये है कि वहां एंट्री मुश्किल होती जा रही है. पहले H1B वीजा का रिजेक्शन रेट महज 3% था लेकिन अब ये बढ़कर 12% हो गया है. इसी तरह 75% आवेदन पेंडिंग हैं.

हालांकि, अभी अमेरिका ने H1B वीजा पर जो रोक लगाई है उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला. क्योंकि कोरोना के कारण लोग वैसे भी कहीं आ-जा नहीं रहे. और इसका अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर कोई असर नहीं होगा. जो कंपनियां वीजा बैन का विरोध कर रही हैं, उनका मकसद ये है कि 6 महीने बाद कहीं ये बैन रिन्यू न हो जाए.

कनाडा क्यों बन रहा नंबर 1 पसंद?

मूल वजह ये है कि कनाडा प्रवासियों का स्वागत करता है. वहां की आबादी कम है इसलिए बाहर के लोगों तरजीह देते हैं. इसका सबूत ये है कि 2016 में जहां महज 35 हाजर भारतीयों को कनाडा वीजा मिला वहीं 2019 में सिर्फ नवंबर तक 80 हजार लोगों को वीजा दिया गया.

कनाडा में एंट्री कैसे, किसे तवज्जो?

कनाडा में तीन तरह से एंट्री मिलती है. एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम यानी प्वाइंट बेसिस से. इसमें मास्टर्स डिग्री, अच्छी अंग्रेजी बोलने वालों, अच्छी कंपनी में काम के अनुभव और जिनकी उम्र 30 साल से कम हो उन्हें तवज्जो देते हैं. दूसरा कारोबारियों को प्राथमिकता देते हैं, जो वहां की इकनॉमी को फायदा पहुंचा सकते हैं. तीसरी कैटेगरी स्टार्टअप वीजा की. अगर कोई नया उद्यमी है, जिसके पास कोई बिजनेस आइडिया है तो उसका स्वागत करते हैं.

छात्रों के लिए देश कौन बेहतर?

इस वक्त कनाडा नंबर 1 पसंद है. अमेरिका भी काफी संख्या में स्टूडेंट जा रहे है. लेकिन अमेरिका में पढ़ाई के बाद नौकरी मिलना मुश्किल होता जा रहा है जबकि कनाडा में शिक्षा के बाद नौकरी और परमानेंट रेजिडेंसी (PR) मिलना आसान है.

रहने के लायक सबसे बेहतर देश कौन?

  • फिनलैंड
  • नार्वे
  • डेनमार्क
  • स्विट्ज़रलैंड
  • कनाडा
  • ऑस्ट्रेलिया
  • न्यूजीलैंड
  • पुर्तगाल
  • जापान

अमीर क्यों जाना चाह रहे पुर्तगाल?

पहली वजह ये है कि पुर्तगाल में परमानेंट रेसिडेंसी मिलना आसान है. आप चार पांच करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी खरीद लें या फिर किसी वेंचर में निवेश कर दें तो PR मिलने की गुंजाइश रहती है. खास बात ये है कि PR के लिए पुर्तगाल में लगातार रहना भी जरूरी नहीं. साल में सिर्फ 7 दिन रहें तो भी चलेगा. 6 साल बाद पुर्तगाल का पासपोर्ट भी ले सकते हैं, जिसके सहारे आप यूरोपीय यूनियन के 27 देशों में कहीं भी जाकर रह सकते हैं.

टैक्स बचाने के लिए लोग कहां जाना चाहते हैं?

अब टैक्स बचाने का चार्म कम हुआ है क्योंकि ज्यादातर देशों में सख्ती बढ़ी है. कैरिबीयिन इलाके में कुछ दूर दराज के देश हो सकते हैं लेकिन अब लोग मुख्यत: कैरिबीयिन देशों की नागरिकता इसलिए लेना चाहते हैं ताकि बाकी दुनिया में आने-जाने में सहूलियत मिल जाती है. कैरिबीयिन पासपोर्ट होने दुनिया भर का वीजा आसानी से मिलता है.

गल्फ का क्या ट्रेंड है?

भारत से ज्यादातर लोग नौकरी के लिए जाते हैं क्योंकि PR मिलना मुश्किल. वहां जाने वाले हर शख्स को ये पता रहता है कि आज न कल वहां से लौटना ही पड़ेगा. वहां से काफी तादाद में लोग देश भी लौट रहे हैं. एक नया ट्रेंड जो देखने को मिल रहा है वो ये है कि गल्फ में बसे अमीर भारतीय अब यूरोप और इंग्लैंड में जाकर बस रहे हैं.

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