दिल्ली की एक अदालत ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि केस में आरोप तय कर दिए. पाटकर पर खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष वीके सक्सेना ने मामला दर्ज कराया था.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने मेध्ाा पाटकर के खिलाफ सक्सेना की शिकायत पर आरोप तय किए. सक्सेना का आरोप है कि पाटकर ने साल 2006 में एक टीवी चैनल पर उन्हें बदनाम करने वाला बयान दिया था.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने कहा, “इस अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ यह मामला बनता है.”
अदालत ने मेधा पाटकर के खिलाफ आईपीसी की धारा 499/500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया है. 28 अगस्त को वीके सक्सेना के सबूतों की रिकॉर्डिंग की जाएगी.
क्या है मामला
मेधा पाटकर के खिलाफ जो मानहानि का आरोप तय किया गया है, वो 2006 का मामला है. इस आरोप के मुताबिक, मेधा ने 2006 के अप्रैल महीने में एक न्यूज चैनल पर चर्चा के दौरान यह दावा किया था कि सक्सेना को गुजरात के सरदार सरोवर निगम से सिविल कॉन्ट्रैक्ट मिला था, जो कि सरदार सरोवर बांध के काम का प्रबंधन करती है. सक्सेना ने इस आरोप से इनकार किया था.
अदालत ने इन दोनों के बीच चल रहे तीन मानहानि के मामलों को अलग किया है. इनमें से एक मामला मेधा ने और दो मामले सक्सेना ने दायर किए थे. अदालत का मानना है कि यह मामले लंबे समय से लंबित हैं और जल्द इनका निपटारा किया जाना जरूरी है.
18 साल से जारी है कानूनी लड़ाई
मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच साल 2000 से ही कानूनी लड़ाई चल रही है. मेधा पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ उन्हें और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए मुकदमा दायर कराया था. सक्सेना तब अहमदाबाद के गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे.
इसके बाद सक्सेना ने एक टीवी चैनल पर उनके प्रति मानहानि वाली टिप्पणी और प्रेस में उनके खिलाफ अपमानजनक बयान जारी करने को लेकर मेधा पाटकर के खिलाफ दो मामले दर्ज कराये थे.
सक्सेना की ओर से दर्ज मामले की सुनवाई के लिए अदालत ने 27 अगस्त की तारीख तय की है और मेधा की ओर से दर्ज मामले की सुनवाई के लिए 29 अगस्त की तारीख दी गई है. अदालत ने मेधा पाटकर और सक्सेना को पहले यह सलाह दी थी कि वह मध्यस्थता के जरिए इस मामले को सुलझा लें. लेकिन इन दोनों ने ही इसे मानने से इनकार कर दिया था.
(इनपुट: भाषा)
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