तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने गुरुवार को कहा है कि भारत के लोग चीनियों की तुलना में आलसी हैं, लेकिन ये देश सबसे ज्यादा स्थिर है और विविध परंपराओं का एक जीता जागता उदाहरण है.
इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स के कार्यक्रम में उन्होंने भारत और चीन के लोगों के बीच एक हल्की फुल्की तुलना की. दलाई ने कहा कि चीनियों की तुलना में , मुझे लगता है कि भारत के लोग आलसी हैं. उन्होंने कहा, ये जलवायु के चलते हो सकता है. लेकिन भारत सबसे ज्यादा स्थिर देश है. दुनिया में भारत कोई भी भूमिका निभा सकता है. उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता की भावना और कई परंपराओं को साथ लेकर चलने को लेकर भारत की सराहना की.
धार्मिक सहिष्णुता सबसे अहम है: दलाई लामा
दलाई ने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता सबसे अहम है. हालांकि, कभी कभी नेताओं के चलते समस्याएं आती हैं जो उसे प्रभावित करना चाहते हैं. उन्होंने भारत के धार्मिक बहुलवाद का जिक्र किया और कहा कि पिछली कई सदियों में जैन, हिंदू, बौद्ध, सिख, जरथ्रुष्ट, ईसाई और इस्लाम धर्म सह -अस्तित्व बनाए हुए है.
उन्होंने कहा कि भारत में एक साथ मिलकर रहने की परंपरा है. ये अलग -अलग परंपराओं के साथ चलने का एक जीवंत उदाहरण है. मैं गर्व से तिब्बती संस्कृति के बारे में भी ये कह सकता हूं. दलाई ने डोकलाम गतिरोध का भी जिक्र किया और कहा कि ये छोटी समस्याएं हैं. चीनी सेना आई थी. तब वहां संघर्ष विराम था. फिर हट गई. ये आसान नहीं था. उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, चीनी अधिकारी बनावटी मुस्कुराहट दिखाने में माहिर हैं.
तिब्बत विकास चाहता है: दलाई लामा
दलाई लामा ने कहा तिब्बत चीन से स्वतंत्रता नहीं चाहता बल्कि ज्यादा विकास चाहता है. उन्होंने कहा कि चीन और तिब्बत के बीच करीबी संबंध रहे हैं. हालांकि, कभी-कभार उनके बीच संघर्ष भी हुआ है.
उन्होंने कहा, अतीत गुजर चुका है. हमें भविष्य पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि तिब्बती चीन के साथ रहना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, हम स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं, हम चीन के साथ रहना चाहते हैं. हम और विकास चाहते हैं. दलाई लामा ने कहा कि चीन को तिब्बती संस्कृति और विरासत का सम्मान करना चाहिये.
उन्होंने कहा, तिब्बत की अलग संस्कृति और एक अलग लिपि है. चीनी जनता अपने देश को प्रेम करती है. हम अपने देश को प्रेम करते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी चीनी इस बात को नहीं समझता है कि पिछले कुछ दशकों में क्या हुआ है.
(इनपुट: भाषा)
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