ठेले पर लदा आजाद हिंदुस्तान का घायल नागरिक, 'पहले तिरंगा, फिर राशन योजना' की 'पहल', टिकट मांगने पर TTE की कुटाई, खुलकर सामने आई जातिवादी समाज की सच्चाई, खाट पर लेट गर्भवती महिला ने पार की नदी, BJP सांसद की 'देशभक्ति' खुल्लमखुल्ला दिखी. ये सारी छपी-छिपी कहानियां हमारे प्यारे हिंदुस्तान की हैं जिन्हें देखा तो गया मगर अनदेखा कर दिया गया, तो आइए हम आपको रूबरू करवाते हैं इस हफ्ते के देखे-अनदेखे हिंदुस्तान से.
ठेले पर लदा आजाद हिंदुस्तान का घायल नागरिक
आजमगढ़ में एक शख्स घायल हो गया,आजाद भारत में घायल शख्स के लिए एंबुलेंस नहीं आ पाई, तो घायल को ठेले पर लादकर सीएचसी ले जाया गया. सीएचसी में भी इलाज नहीं हो पाया. फिर घायल को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आजाद भारत के घायल नागरिक ने अस्पताल के रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इससे पहले भी 18 जुलाई को आजमगढ़ में ही एंबुलेंस में धक्का लगाने का वीडियो वायरल हुआ था. उस मामले में प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सीएमओ से तीन दिन में रिपोर्ट भी मांगी थी. मगर रिपोर्ट का हासिल ठेले पर घायल शख्स और उसकी मौत.
खाट पर लेट गर्भवती महिला ने पार की नदी
आजाद भारत के आजमगढ़ से मध्यप्रदेश चलते हैं, कहानी का प्लॉट वही है हालांकि किरदार थोड़े अलग हैं, इसमें गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर गांव वाले उफनती नदी पार करते हैं. हैरानी की बात यह है कि ये लोग इस समस्या का पहली बार सामना नहीं कर रहे हैं, बल्कि हर साल बारिश में इलाके के लोगों को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है. नदी है, बरसात होती है, पानी बढ़ता है मगर पुल नहीं है. मामला विकासखंड शाहपुर के जामुनढाना गांव का है.
'पहले तिरंगा, फिर राशन योजना' की पहल
नदी पार करने को पुल नहीं है, मगर हर घर तिरंगा का जश्न फुल है. हरियाणा में एक जिला है करनाल, यहां जब लोग राशन लेने गए तो राशन डिपो होल्डर ने कहा कि पहले 20 रुपए में झंडा खरीदो, फिर सरकारी राशन मिलेगा. अब ऐसे में राशन लेने गया किसान मजदूर बोला कि भैया उधार मांगकर तो राशन लेने आए हैं, अब 20 रुपए कहां से लाएं? मगर डिपो संचालक ने बिना तिरंगा खरीदे राशन नहीं दिया, वहीं डिपो संचालक से जब इस पर सवाल किया गया तो बोले कि विभागीय अधिकारियों का आदेश है कि बिना झंडा राशन नहीं मिलेगा.
BJP सांसद की 'देशभक्ति' खुल्लमखुल्ला दिखी
तिरंगे के जश्न के दौरान सरकार के सांसद का एक अद्भुत वीडियो हमारे सामने आया, कौशांबी से बीजेपी सांसद हैं विनोद सोनकर जी, सांसद महोदय ने 'हर घर तिरंगा' अभियान को सफल बनाने की कोशिश में तिरंगा उल्टा पकड़ रखा था, इस पर भीड़ ने सांसद महोदय को बताया कि झंडा उल्टा है तो महोदय ने साइड बदल दी मगर झंडा अभी भी उल्टा था फिर तिबारा बताने पर सांसद महोदय झंडा सीधा पकड़कर हर घर तिरंगा अभियान को सफल बना पाए, बाद में बोले कि जल्दबाज़ी में गलती से मिस्टेक हो गई.
टिकट मांगने पर TTE की कुटाई
आजाद भारत में पुलिस के सिपाही 9 अगस्त को गोरखधाम एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहे थे इम्पोर्टेन्ट ये नहीं है इम्पोर्टेन्ट ये है कि बिना टिकट सफर कर रहे थे. TTE रामबरन ने टिकट चेक कर लिया तो बोले कानपुर में उतर जाएंगे. अब वर्दी से कौन उलझता तो TTE रामबरन ने कहा कि उतर जाइयेगा मगर जब कानपुर में भी वो नहीं उतरे तो TTE ने फिर से साहब को टोक दिया. साहब ने TTE की पिटाई कर दी बहरहाल कानपुर जीआरपी ने दोनों सिपाहियों को हिरासत में ले लिया है.
सिपाही के रोने वाला वीडियो वायरल
एक तरफ पुलिस के सिपाही TTE को पीट रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पुलिस लाइन के मेस में बने खाने की क्वालिटी को लेकर एक सिपाही के रोने वाला वीडियो वायरल हुआ है. सिपाही ने आरोप लगाया था कि 12 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी अच्छा खाना नहीं मिलता है. कांस्टेबल का यह भी आरोप है कि फिरोजाबाद पुलिस उसे मानसिक रूप से बीमार घोषित करने के लिए आगरा ले जा रही थी. ऐसा ही मामला कुछ साल पहले bsf के जवान तेज बहादुर यादव ने भी उठाया था जिन्हें bsf ने 2017 में BSF से सेवामुक्त कर दिया था.
आजाद भारत में छुआछूत, भेदभाव कब का खत्म हो चुका है, सभी नागरिक समान हैं, सबके लिए सम्मान है ऐसी दलीलें अगर कोई आपके सामने रखे तो उसे ये वीडियो ज़रूर दिखायेगा, जब देश 75वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में जुटा हुआ था तब 9 साल का मासूम इंद्र मर चुका था, उसे मारा गया था उसके अपने शिक्षक द्वारा, इंद्र का गुनाह कि दलित होते हुए शिक्षक की मटकी को प्यास लगने पर हाथ लगा दिया था. आरोप है कि टीचर ने इंद्र को इतना पीटा की बाद में उसकी मौत हो गई. मामला जालौर के सायला पुलिस थाने इलाके के सुराणा गांव का है. इंद्र सरस्वती विद्या मंदिर में तीसरी क्लास में पढ़ता था.
पंचायत अध्यक्षों को निकाय कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं
भेदभाव की ये एक कहानी नहीं है. इसी जश्न के दौरान तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा (TNUEF) द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि राज्य में कई दलित पंचायत अध्यक्षों को उनके कार्यालयों में कुर्सी तक नहीं दी गई है. सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 386 पंचायतों में से 22 में दलित अध्यक्षों को कुर्सियां उपलब्ध नहीं कराई गईं. राज्य के 24 जिलों में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि कई दलित पंचायत अध्यक्षों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने तक की अनुमति नहीं है. कुछ मामलों में, पंचायत अध्यक्षों को स्थानीय निकाय कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं है.
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