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मारे गए कैदियों के वकील ने बताया, पुलिस की थ्‍योरी में कहां है झोल

जेल से भागने और एनकाउंटर की बात से ऐसा लगता है कि वो लोग भागे नहीं थे, बल्कि उन्हें गाड़ी से वहां लाया गया था

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भारत
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31 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के भोपाल जेल से 8 कैदियों के फरार होने की खबर आई. फिर चंद घंटों बाद ही उनके एनकाउंटर की भी खबर आ गई. ये सारे 'स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (सिमी) से जुड़े थे.

बात सिर्फ एनकाउंटर तक ही नहीं रुकी. एनकाउंटर के समय के कुछ वीडियो भी सामने आए, जिसके बाद इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे.

इस एनकाउंटर के बारे में जानने के लिए द क्विंट ने मारे गए एक कैदी के वकील परवेज आलम से फोन पर बात की.

मैं पुलिस के इस बयान को नहीं मान सकता कि उस रात जब कैदियों और जेल वार्डन रमाशंकर के बीच झड़प हुई, तब सीसीटीवी कैमरा खराब था.
परवेज आलम, वकील
भोपाल सेंट्रल जेल आईएसओ 9001 सर्टिफाइड है. ऐसे जेलों के लिए यह अनिवार्य है कि इसमें सीसीटीवी कैमरे अच्छी तरह से काम करें.

परवेज आलम ने यह भी कहा कि सीसीटीवी फुटेज को सामने लाया जाना चाहिए.

परवेज आलम ने पुलिस और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मारे गए 8 कथित सिमी के सदस्यों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बहुत गुप्त तरीके से रखी गई है. ये रिपोर्ट मारे गए लोगों के परिवारों को अभी तक नहीं दिया गया है. उन्होंने इस पूरे एनकाउंटर पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इसकी जांच एनआईए से नहीं, बल्कि सीबीआई से कराई जानी चाहिए.

जेल से भागने और  एनकाउंटर की बात से ऐसा लगता है कि वो लोग भागे नहीं थे, बल्कि उन्हें गाड़ी से वहां लाया गया था
भोपाल सेंट्रल जेल को मिला है ISO सर्टिफिकेट (फोटो: सेंट्रल जेल भोपाल)

मारे गए कथित सिमी के सदस्यों के वकील जावेद चौहान भी कहते हैं कि जिस तरह से पुलिस जेल से भागने और मनीखेड़ी पत्थर के पास एनकाउंटर की बात बता रही है, उससे ऐसा लगता है कि कैदी भागे नहीं थे, बल्कि उन्हें गाड़ी से वहां लाया गया था.

चौहान एनकाउंटर पर एक और सवाल दागते हुए कहते हैं कि अगर आप सही तरीके से सोचें, तो जेल से भागने के बाद कैदी एक जगह जमा नहीं होते हैं. सभी अपने-अपने रास्ते जाते हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.

सुप्रीम कोर्ट और NHRC की गाइडलाइंस का भी उल्‍लंघन

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी इस मामले को फेक एनकाउंटर और पहले से प्लान किया हुआ बताया है. परवेज आलम और जावेद चौहान, दोनों ने पुलिस के बयानों में विरोधाभास की तरफ इशारा करते हुए कुछ मुद्दे सामने रखे हैं.

एनकाउंटर के समय की वीडियो क्लिप के आधार पर चौहान कहते हैं कि आठों जेल से फरार हुए कैदियों को गोली उनकी कमर से ऊपर मारी गई है.

सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का निर्देश है कि‍ एनकाउंटर के समय पुलिस कमर के नीचे के हिस्से में गोली मारे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का साफ उल्‍लंघन देखने को मिल रहा है. दोनों वकीलों ने दावा किया कि आठ लोगों पर 46 गोलियां चलाई गयी थीं, जो कि अधिकांश या तो उनके सिर या उनकी छाती पर लगी हैं.

और भी हैं सवाल

-अगर किसी ने कथित सिमी सदस्य को हथियार दिया था, तो पुलिस ने अभी तक वैसे किसी भी बिचौलिए को क्यों नहीं पकड़ा, जिसने देसी रिवाल्वर और कट्टा जैसे हथियार इन्हें दिए?

-जब उस रात सिर्फ दो ही गार्ड सेल के निकट ड्यूटी पर थे, जिसमें रामशंकर से कैदियों की झड़प हुई, तो फिर बाकी गार्ड कहां थे और उन्हें कुछ क्यों नहीं हुआ?

-8 में से पांच लोगों को वीडियो में देखा जा सकता है कि वो मनीखेड़ी पत्थर के टीले पर जा खड़े हुए थे. उन्हें सरेंडर करने का कोई अवसर नहीं दिया गया.

-कुछ चादरों की मदद से 30 फीट ऊंची दीवार फांदना असंभव लगता है.

-जेल के ताले को खोलने के लिए लकड़ी के टुकड़े और टूथब्रश का उपयोग करना तो असंभव और हास्यास्पद लगता है.

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