कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र के बाद दिल्ली पर पड़ता दिख रहा है. लेकिन इसके बावजूद केजरीवाल सरकार के बोल्ड फैसलों ने सभी को चौंकाकर रख दिया है. दिल्ली में लगातार बढ़ते मामलों के बीच सरकार पूरे शहर को खोलने में बिल्कुल भी नहीं हिचक रही, वहीं इसे लेकर पड़ोसी राज्यों ने भी अपने तल्ख तेवर दिखाने शुरू कर दिए. एनसीआर में बढ़ते मामलों का ठीकरा भी दिल्ली पर ही फूट रहा है. ऐसे में लॉकडाउन का ताला खोलने को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसकी जानकारी आपको डीटेल में देते हैं.
कोरोना के चलते दिल्ली से डरे पड़ोसी
कोरोना के मामले हर राज्य में बढ़ रहे हैं, वहीं हर किसी राज्य की सीमाएं दूसरे राज्यों से भी लगती हैं. लेकिन जिस तरह से दिल्ली बदनाम हुई, वैसे कोई भी राज्य नहीं हुआ. यूपी ने पहले ही नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर सील कर दिया था, वहीं अब हरियाणा ने भी दिल्ली से सटी सारी सीमाओं को सील कर दिया. लेकिन सिर्फ सील ही नहीं किया, बल्कि बढ़ते मामलों का जिम्मेदार दिल्ली को बताया है.
पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि हमारे 80 प्रतिशत केस उन जिलों में हैं जो दिल्ली से सटे हैं. इसके बाद जब रविवार को दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को सील रखने का ऐलान हुआ तो उसमें भी दिल्ली को ही कटघरे में खड़ा किया गया. बताया गया कि पिछले 20 दिनों में 42 फीसदी मामलों का संबंध दिल्ली से था.
‘ऑडियंस पोल’ लाइफलाइन का इस्तेमाल
अब बात करते हैं अरविंद केजरीवाल की सोमवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें पड़ोसी राज्यों की तरफ से उछाले गए कीचड़ को थोड़ा साफ करने की कोशिश की गई. आखिरकार सीएम केजरीवाल ने ऐलान किया कि अगले एक हफ्ते के लिए वो दिल्ली का बॉर्डर सील कर रहे हैं. हालांकि इसमें भी अरविंद केजरीवाल ने वही पुराना तरीका अपना जो वो अपनी 49 दिन की सरकार से अपनाते आए हैं. यानी वो लाइफ लाइन जिसने केजरीवाल को कभी निराश नहीं किया है. जब भी उन्होंने 'ऑडियंस पोल' की लाइफ लाइन चुनी, उन्हें फैसले लेने में आसानी हुई. इस बार भी केजरीवाल ने जनता से राय मांगी है कि बॉर्डर को खोला जाए या बंद रखा जाए.
लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली में कोरोना की स्थिति को लेकर एक और बात कही, जिससे अब सियासी घमासान शुरू भी हो चुका है. केजरीवाल ने एक बार फिर दिल्ली में दिल्ली वालों के इलाज की बात की है.
केजरीवाल ने कहा कि 5 जून तक साढ़े नौ हजार बेड्स का इंतजाम हो जाएगा. लेकिन अगर बाहरी राज्यों से लोग दिल्ली में आए तो मुश्किल हो जाएगी. बॉर्डर खुलने पर लोग दिल्ली में अच्छा इलाज कराने आएंगे. अब केजरीवाल के इस बयान को लेकर जमकर राजनीति शुरू हो चुकी है. हालांकि वक्त आने पर ‘जनता की राय’ वाला पैंतरा काम आ सकता है.
'केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है'
दिल्ली सरकार पर लॉकडाउन 4 में संक्रमण बढ़ते हुए भी पूरे शहर को खोलने का आरोप लगाया गया. आरोप लगा कि केजरीवाल सरकार सिर्फ अपना मुनाफा देख रही है और कोरोना मामलों को कंट्रोल करने में नाकाम रही है. लेकिन दिल्ली सरकार के मंत्री ये कहते आए कि जिन चीजों की इजाजत केंद्र सरकार ने दी थी, उन्हीं को खोला गया है. इसका नतीजा केजरीवाल की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखा.
फिर चाहे वो सलून खोलने वाली बात हो, ऑटो-रिक्शा में सवारियों को छूट की बात हो या फिर बाजारों को पूरी तरह खोलने की बात... केजरीवाल ने हर चीज से पहले केंद्र का नाम लिया. उन्होंने पहले ये बताया कि केंद्र सरकार ने ये निर्णय लिया है... दिल्ली सरकार सिर्फ उसी का पालन कर रही है. यानी इस बार उन्होंने पूरी जिम्मेदारी केंद्र की गाइडलाइंस पर पहले ही डाल दीं हैं.
दिल्ली में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. दिल्ली में सोमवार को 990 मामले सामने आए हैं, जिसके बाद यहां कोरोना मामलों का आंकड़ा 20 हजार पार कर गया है. यहां कुल 20834 कोरोना पॉजिटिव केस आए हैं और 523 लोगों की मौत हो चुकी है.
सीलिंग के इस खेल में पिस रहे लोग
पहले हरियाणा सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सीलिंग के ऑर्डर जारी हुए, जिसने कोरोना से परेशान लोगों की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ा दीं. राज्यों के बीच इस सीलिंग के खेल में लोग बुरी तरह पिस रहे हैं. फिर चाहे वो दिल्ली-गुड़गांव बॉर्डर हो, दिल्ली-नोएडा बॉर्डर हो या फिर दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर हर तरफ हजारों की संख्या में लोग नजर आ रहे हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें घंटे के हिसाब से अब सैलरी मिल रही है, ऐसे में उन्हें बॉर्डर पर ही रोका जा रहा है, जिससे वो बिना पैसे कमाए ही घर वापस लौट रहे हैं.
बता दें कि एनसीआर से हजारों लोग रोजाना दिल्ली नौकरी करने आते हैं, वहीं दिल्ली से भी नोएडा, गुड़गांव में नौकरी करने वालों की तादात लाखों में हैं. ऐसे में जब तक बॉर्डर को लेकर ये घमासान चलता रहेगा, तब तक लोगों को राहत मिलना मुश्किल है.
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