दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से अंतरिम जमानत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में गुरुवार या अगले हफ्ते सुनवाई कर सकता है. वहीं इससे पहले मंगलवार, 7 मई को ED की गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर भी सुनवाई हुई.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच में केजरीवाल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और ED की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और SG तुषार मेहता मौजूद ने दलीलें पेश की. जांच में देरी पर कोर्ट सवाल उठाते हुए ईडी को केस फाइल पेश करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि हम चुनाव के कारण अंतरिम जमानत देते हैं... और आप ऑफिस के कामकाज में भाग लेते हैं तो इसका व्यापक असर हो सकता है.
कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुनवाई शुरू होते ही एसवी राजू ने 100 करोड़ के हवाला ट्रांजेक्शन का जिक्र किया, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि दो साल में 100 करोड़ का मामला 1100 करोड़ का कैसे हो गया. इस पर ED ने कहा कि ये पॉलिसी के फायदे हैं.
सुनवाई में आगे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान 7 स्टार ग्रैंड हयात होटल में रुके थे और इसके बिल का भुगतान चानप्रीत सिंह ने किया था. चानप्रीत सिंह ने कथित तौर पर AAP के अभियान के लिए कैश लिया था.
ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हमारी जांच राजनीति से नहीं सबूतों से प्रेरित है. ऐसे सबूत जो हमारे पास हैं. ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा,
"शुरुआती चरण में अरविंद केजरीवाल फोकस में नहीं थे और ED उनपर ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन जांच आगे बढ़ने पर ही उनकी भूमिका स्पष्ट हुई. हमारे पास सबूत हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ की मांग की थी. अगर केजरीवाल ने हमारे नौ समन को नजरअंदाज नहीं किया होता और जांच में सहयोग किया होता तो उनकी गिरफ्तारी नहीं होती."
सुप्रीम कोर्ट ने जांच में लगे ED के टाइमिंग पर भी सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि, किसी मामाले की जांच करने के लिए आपको दो साल का वक्त लग गया. एक जांच एजेंसी द्वारा इतना समय लेना ठीक नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस फाइल पेश करने को कहा. साथ ही कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले दिल्ली एक्साइज पॉलिसी कथित घोटाले की फाइलें भी मांगी.
अंतरिम जमानत पर कोर्ट ने क्या कहा?
अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल एक निर्वाचित नेता हैं और लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की उन्हें जरूरत है.
SG तुषार मेहता ने कहा, कोर्ट पहले पूरा मामला सुने, 'वह मुख्यमंत्री है और उन्हें कैंपेन करने कि जरूरत है' इस ग्रांउड पर बेल देकर हम क्या उदाहरण रख रहे हैं? क्या दूसरे लोग मुख्यमंत्री से कम महत्वपूर्ण हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि हम चुनाव के कारण अंतरिम जमानत देते हैं.. और आप ऑफिस के कामकाज में भाग लेते हैं तो इसका व्यापक असर हो सकता है.
डॉ. सिंघवी अगर हम कोई अंतरिम जमानत देते हैं तो हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें क्योंकि कहीं न कहीं इससे टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम सरकार के कामकाज में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं चाहते.
जस्टिस दत्ता ने कहा कि अगर चुनाव नहीं होते तो हम कोई अंतरिम राहत नहीं देते. हम मामले को सुनते और अपना फैसला सुरक्षित रखते.
इससे पहले भी 3 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है, ताकि वे कैंपेन में हिस्सा ले सकें. केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. 1 अप्रैल से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)