दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर को इस साल फरवरी में हुई दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में जमानत दे दी है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हाई कोर्ट ने सफूरा को निर्देश दिया है कि वह ऐसी किसी गतिविधि में संलिप्त न हों, जिससे जांच में बाधा आए. उन्हें दिल्ली न छोड़ने का भी निर्देश दिया गया है, उन्हें इस संबंध में अनुमति लेनी होगी. कोर्ट ने सफूरा को 15 दिनों में कम से कम एक बार फोन के जरिए जांच अधिकारी के संपर्क में रहने का भी निर्देश दिया है.
हाई कोर्ट ने 10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पेश करने पर सफूरा को रिहा करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर सफूरा की जमानत का विरोध नहीं किया.
जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की सदस्य जरगर को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था. वह गर्भवती हैं. हालांकि दिल्ली पुलिस ने 22 जून को दिल्ली हाई कोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनकी गर्भावस्था से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती है.
पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट और ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं हैं, जिसकी उन्होंने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया.
जरगर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. उन्होंने निचली अदालत द्वारा 4 जून को जमानत देने से इनकार करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
जरगर की तरफ से कोर्ट में पेश हुईं वकील नित्या रामकृष्णन ने दलील दी थी कि जरगर नाजुक हालत में हैं और चार महीने से ज्यादा की गर्भवती हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए.
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