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हाईकोर्ट ने NEET के लिए 25 साल की अधिकतम आयु सीमा बरकरार रखी

मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक कॉमन एंट्रेस टेस्ट है NEET

Published
भारत
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दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में बैठने के लिए सीबीएसई की तय की गई उम्र सीमा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 25 साल और आरक्षित वर्गों के लिए अधिकतम सीमा 30 साल को चुनौती दी गई थी.

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हालांकि हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन में उस प्रावधान को हटा दिया, जो ओपन स्कूलों से या प्राइवेट पढ़ाई करने वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोक रहा था.

जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की एक बेंच ने कहा कि सीबीएसई की 22 जनवरी के नोटिफिकेशन में सामान्य श्रेणी के मामले में अधिकतम आयु सीमा 25 साल और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के मामले में 30 साल करने का प्रावधान ‘वैध और कानूनी’ है.

पीठ ने कहा इस खंड के इस प्रावधान को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को खारिज किया जाता है. पीठ ने 81 पेज के फैसले में कहा, "छात्र/अभ्यर्थी, जिन्होंने एनआईओएस (ओपन स्कूलिंग नेशनल इंस्टीट्यूट) से या मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल स्टेट बोर्डों से कक्षा 12 वीं की पढ़ाई की है, उन्‍हें नीट परीक्षा में चयन और शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा.''

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क्या है NEET?

देश में ऐसे युवकों की तादाद लाखों में है, जो 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिला चाहते हैं.

देशभर के इन मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिला एक कॉमन एंट्रेस टेस्ट के जरिए होने लगा है, इसे नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) नाम दिया गया है. NEET ने ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (AIMPT) और दूसरे राज्यों के मेडिकल कॉलेजों की परीक्षा की जगह ली है.

इस परीक्षा को कराने की जिम्मेदारी सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) के पास है.

NEET की टाइमलाइन

साल 2010 में कॉमन मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की जरूरत महसूस की गई थी. साल 2012 में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने NEET परीक्षा का कॉन्सेप्ट सामने रखा. विवाद यहीं से शुरू हो गया और इसके खिलाफ कई पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए.

28 अप्रैल, 2016 को NEET परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी थी. दरअसल, ये फैसला एक एनजीओ की पिटिशन पर दिया गया था. एनजीओ ने कोर्ट से कहा था कि छात्रों को एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई करने के लिए तमाम परीक्षाएं देनी पड़ती हैं, जिसमें उनका लाखों रुपए खर्च होता है.

NEET परीक्षा के तहत पहला टेस्ट 1 मई, 2016 को होना था, वहीं दूसरा टेस्ट 24 जुलाई, 2016 को था.इस बीच राज्यों के आपत्ति के कारण, केंद्र सरकार ने इस परीक्षा को 1 साल टालने के लिए अध्यादेश जारी किया, 24 मई, 2016 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी. दो साल से ये परीक्षाएं कराई जा रही हैं.

हालांकि NEET परीक्षा के खिलाफ कई कॉलेज और संस्थानों ने फैसले पर कोर्ट से स्टे लिया हुआ है और निजी तौर पर एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स में एडमिशन के लिए परीक्षा करा रहे हैं.

-इनपुट भाषा से

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