दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच रूलिंग पार्टी ने फैसला किया था कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना महामारी के खत्म होने तक सिर्फ दिल्ली के ही लोगों का इलाज होगा. इसके लिए पहले लोगों से सुझाव मांगे गए और एक पैनल बनाया गया, जिसके बाद आखिर में ये फैसला लिया. लेकिन इस फैसले को 24 घंटे के अंदर दिल्ली के उपराज्यपाल ने पलट दिया. अब उपराज्यपाल की तरफ से बताया गया है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया.
रूलिंग पार्टी के फैसले को ऐसे पलटने वाले कदम को लेकर काफी चर्चाएं शुरू हो गई थीं. दिल्ली सरकार और खुद डिप्टी सीएम सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के दबाव में आकर उपराज्यपाल ने ये फैसला लिया है. इस पूरे विवाद के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई. उन्होंने कहा,
“दिल्ली सरकार का फैसला संविधान के खिलाफ था. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक फैसले के दौरान कहा था कि राइट टू इक्वॉलिटी और राइट टू लाइफ दोनों ही राइट टू हेल्थ में भी आते हैं. अगर रेजिडेंस के आधार पर लोगों को सुविधाएं नहीं दी जातीं तो ये संविधान का उल्लंघन होता. इसीलिए मुझे लगा कि इसे बदलना ही सही होगा. जिससे सभी लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएं.”अनिल बैजल, उपराज्यपाल- दिल्ली
कोरोना से लड़ाई में साथ काम करें
उपराज्यपाल बैजल ने विवाद पर जवाब देने के अलावा कहा कि इस महामारी के दौरान सभी संस्थाओं और सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि, "केंद्र सरकार, राज्य सरकार और लोकल बॉडीज को एक साथ काम करने की जरूरत है. इसीलिए मैंने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. जो काफी शांतिपूर्ण तरीके से हुई और इसमें कई उपयोगी सुझाव भी दिए गए."
उपराज्यपाल ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि दिल्ली को केंद्र का भरपूर समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि,
“केंद्र हमें गाइड करने के लिए बार-बार एक्सपर्ट भी भेज रहा है. मुझे दिल्ली के लोगों के हित में फैसला लेने का अधिकार है.”अनिल बैजल, उपराज्यपाल- दिल्ली
एलजी के फैसले पर सवाल
एलजी बैजल के फैसले पर दिल्ली सरकार के कई बड़े नेताओं ने सवाल खड़े किए थे. मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा कि बीजेपी अब उपराज्यपाल पर दबाव बना रही है. वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी यही आरोप लगाया. इसके अलावा सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी राज्यपाल के इस फैसले को लेकर ट्वीट किया और इसे एक बड़ी चुनौती करार दिया. उन्होंने कहा कि एलजी साहब के इस फैसले ने चुनौती खड़ी कर दी है.
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