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अरविंद केजरीवाल का कोर्ट का वीडियो हटाने के लिए सुनीता केजरीवाल को नोटिस, HC ने क्या कहा?

Delhi Excise Policy Case: मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार (15 जून) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पत्नी सुनीता केजरीवाल और कुछ अन्य व्यक्तियों को नोटिस जारी कर उनसे अदालती कार्यवाही की कथित "वीडियो रिकॉर्डिंग" और "पोस्ट" करने से संबंधित विभिन्न कंटेंट को हटाने का आदेश दिया, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद अदालत को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया था.

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याचिका में क्या मांग की गई?

हाईकोर्ट के अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में कोर्ट की कार्यवाही की “ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड करने और शेयर करने की कथित साजिश” और ट्रायल कोर्ट के जज की "जान को खतरे" में डालने के खिलाफ जांच और एफआईआर दर्ज करने के लिए एक एसआईटी के गठन की मांग की गई थी.

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और कुछ अन्य व्यक्ति "अवमाननाकर्ता और राजनीतिक दलों के सदस्य/समर्थक" हैं, जिन्होंने न केवल 28 मार्च को निचली अदालत की कार्यवाही को रिकॉर्ड किया, जब मुख्यमंत्री (जिन्हें पेश किया गया था) ने स्वयं अदालत को संबोधित किया था, बल्कि उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया.

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने एकपक्षीय अंतरिम आदेश में सुनीता केजरीवाल और पांच अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किया और कहा कि उन्हें संबंधित सामग्री को दोबारा पोस्ट करने से रोका जाता है.

कोर्ट का आदेश उन्हें 48 घंटे के भीतर दे दिया जाना चाहिए. सेवा सामान्य और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भी की जानी चाहिए.
हाईकोर्ट

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अप्राप्त प्रतिवादियों को भी सूचना दे.

इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा की ओर से पेश हुए वकील तेजस करिया ने दलील दी कि अगर पोस्ट करने वाले लोग इसे हटा देते हैं तो उनके मुवक्किल के पास हटाने के लिए कुछ नहीं बचता. करिया ने कहा, "

अगर वे इसे नहीं हटाते हैं तो हम अदालत के आदेश के अनुसार इसे हटा देंगे.
तेजस करिया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा की ओर से पेश हुए वकील

इसके बाद, हाईकोर्ट ने कहा कि जब भी मेटा के संज्ञान में यह बात आएगी कि "इस तरह की सामग्री को दोबारा पोस्ट किया जा रहा है", तो वह इसे हटा देगा.

इस बीच, वैभव सिंह ने कहा कि यूट्यूब ने एक ईमेल भेजा है जिसमें कहा गया है कि उसने अपने प्लेटफॉर्म से सामग्री हटा दी है. मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी.

याचिकाकर्ता ने क्या कहा?

सिंह ने अपनी याचिका में कहा था, "आम आदमी पार्टी के कई सदस्यों सहित कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने जानबूझकर अदालत की कार्यवाही को बदनाम करने और उसमें हेरफेर करने के इरादे से ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की है."

उपरोक्त परिस्थिति से पता चलता है कि यह अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा रची गई अदालती कार्यवाही की ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग रिकॉर्ड करने की एक पूर्व नियोजित साजिश थी. केजरीवाल ने न तो पहले और न ही बाद में कभी अदालत में अपना मामला पेश किया, जो दर्शाता है कि 28.03.2024 को अपना मामला पेश करना जनता की भावनाओं को भड़काने की किसी साजिश का हिस्सा था.
वैभव सिंह, अधिवक्ता

उन्होंने कहा कि 28 मार्च को सुनवाई समाप्त होने के तुरंत बाद, आम आदमी पार्टी के सदस्यों और अन्य राजनीतिक दलों से संबंधित कई सोशल मीडिया हैंडलों ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को पोस्ट करना, रीपोस्ट करना, फॉरवर्ड करना, शेयर करना और फिर से शेयर करना शुरू कर दिया गया.

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याचिका में कहा गया है:

"सुनीता केजरीवाल पत्नी अरविंद केजरीवाल, जो दिल्ली के सीएम हैं और दिल्ली शराब नीति घोटाले में आरोपी हैं, ने अदालती कार्यवाही की ऑडियो रिकॉर्डिंग को फिर से पोस्ट किया, जबकि अदालतों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के नियम 2021 के तहत अदालत की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है."

याचिका में कहा गया है कि अदालती रिकॉर्डिंग को अनधिकृत रूप से साझा करना दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायालयों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम 2021 का उल्लंघन है, जो विशेष रूप से अदालती कार्यवाही की अनधिकृत रिकॉर्डिंग पर रोक लगाता है.

इसमें कहा गया है कि अदालती कार्यवाही निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है; लेकिन इस तरह की अनधिकृत रिकॉर्डिंग सनसनीखेज, गलत व्याख्या या रिकॉर्ड की गई सामग्री में हेरफेर को बढ़ावा देकर न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बाधित कर सकती है.

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