दिल्ली के एक कोर्ट ने शुक्रवार को 2020 के दिल्ली दंगों में पहली सजा का ऐलान किया. यह सजा कलीम अहमद नाम के व्यक्ति को शाहरुख पठान को पनाह देने के लिए दी गई है. बता दें शाहरुख पठान की पुलिसकर्मी पर बंदूक लहराते हुए तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं. यह घटना फरवरी, 2020 की थी.
कलीम अहमद को आईपीसी की धारा 216 (ऐसे आरोपी को शरण देने, जो कस्टडी से भागा हो या जिसकी गिरफ्तारी का आदेश हो चुका हो) के तहत तब सजा सुनाई गई, जब कलीम ने स्वैच्छिक तरीके से अपना गुनाह कबूल कर लिया.
एडीशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने अपने आदेश में कहा, "दोषी ठहराए गए कलीम अहमद ने कोर्ट में अपने किए पर पछतावा व्यक्त किया है और राहत की मांग की है, साथ ही कहा है कि उन्हें शाहरुख पठान द्वारा भरमाया गया था. कलीम 17.03.2021 से 07.09.2021 तक हिरासत में थे, जबकि इस अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल है."
जज ने कलीम अहमद के गुनाह कबूल करने के बाद उन्हें उतनी ही सजा दी, जितनी वे हिरासत में काट चुके थे, साथ ही 2000 रुपये का जुर्माना भी उनके ऊपर लगाया गया.
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि कलीम अहमद ने दंगों में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन आरोपी शहरुख पठान को घटना के बाद फरार होने के लिए पनाह दी. 24 साल के शाहरुख पठान पर 2020 दंगों के पहले दिन पुलिसकर्मियों पर बंदूक तानने का आरोप है.
इसके बाद शाहरुख पठान पर आईपीसी की धारा 147(दंगों के लिए सजा), 148 (जानलेवा हथियारों के साथ दंगा), 149 (सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपराध को अंजाम देने में शामिल व्यक्ति), 216 (एक आरोपी को पनाह देना), 307 (हत्या की कोशिश), 353 (किसी सरकारी अधिकारी को उसके कर्तव्यों से रोकने के लिए आपराधिक शक्ति का इस्तेमाल) समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
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