दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दिल्ली हिंसा केस में नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या, UAPA की धारा 15, 17 या 18 के तहत कोई भी अपराध तीनों के खिलाफ वर्तमान मामले में रिकॉर्ड की गई सामग्री के आधार पर नहीं बनता है. कोर्ट ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माना कि विरोध जताना कोई आतंकी गतिविधि नहीं है.
कोर्ट ने और क्या-क्या कहा?
अपने फैसले में कोर्ट ने ये भी कहा कि विरोध करने के संवैधानिक अधिकार और आतंकी गतिविधि के बीच की रेखाओं को धुंधला कर दिया गया है:
हम यह कहने के लिए विवश हैं, कि ऐसा दिखता है कि असंतोष को दबाने की अपनी चिंता में और इस डर में कि मामला हाथ से निकल सकता है, स्टेट ने संवैधानिक रूप से अधिकृत 'विरोध का अधिकार' और 'आतंकवादी गतिविधि' के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है . अगर इस तरह के धुंधलापन बढ़ता है, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा.
ऐसे तो UAPA जैसे कानून के मकसद कमजोर होते हैं- कोर्ट
अदालत ने कहा कि इस तरह के आरोप बिना किसी आधार के यूएपीए जैसे कानून की मंशा और उद्देश्य को कमजोर करते हैं:
हमारी नजर में, चार्जशीट में दर्ज आरोपों को पढ़ने पर किसी स्पेसिफिकि, पार्टिकुलराइज्ड, फैक्चुअल आरोपों की कमी है. ऐसे में UAPA के सेक्शन 15, 17 या 18 जैसी अत्यंत गंभीर धाराओं और दंडात्मक प्रावधानों को लोगों पर लगाना, एक ऐसे कानून के मकसद को कमजोर कर देगा, जो हमारे देश के अस्तित्व पर आने वाले खतरों से निपटने के लिए बनाया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में इस केस को लेकर दिल्ली पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाए गए हैं.
जमानत के लिए कोर्ट की शर्तें
कोर्ट ने कहा कि तीनों को जमानत 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो स्थानीय जमानतदारों के अधीन है. इसके अलावा जमानत के तौर पर शामिल शर्तों में तीनों को अपने पासपोर्ट जमा कराने होंगे और ऐसी किसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना होगा, जिससे मामले में बाधा आ सकती है.
नताशा,देवांगना,आसिफ कौन हैं?
तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक की छात्रा है. उसे मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह लगातार हिरासत में है. नरवाल और कलिता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं, जो पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ीं हुईं हैं. वे मई 2020 से हिरासत में हैं.
मामला क्या है?
यह मामला दिल्ली पुलिस की ओर से उस कथित साजिश की जांच से संबंधित है, जिसके कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में भयानक हिंसा भड़क उठी थी. पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपियों ने अभूतपूर्व पैमाने पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ऐसा व्यवधान पैदा करने की साजिश रची, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ी जा सके.
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