3 जुलाई को, दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के लॉ फैकल्टी ने 44 एलएलएम (LLM) छात्रों कि एक लिस्ट जारी की, जिन्हें अटेंडेंस की कमी के कारण 4 जुलाई से शुरू होने वाली परीक्षा में शामिल होने से रोकने की बात कही गई.
पाठ्यक्रम में लगभग 130 छात्रों में से, तीन वर्षीय पाठ्यक्रम से 32 और दो वर्षीय पाठ्यक्रम से 12 छात्रों को परीक्षा में शामिल होने से रोका गया.
छात्रों के लिए यह बहुत अनुचित है, क्योंकि विश्वविद्यालय ने परीक्षा शुरू होने से ठीक एक दिन पहले 'डिटेन' किए गए छात्रों कि सूची जारी की. इसकी वजह से छात्रों को इस दिशा में सही कदम उठाने का पर्याप्त समय नहीं मिला. छात्रों का कहना है कि कई अनुरोधों के बावजूद उन्हें परीक्षा में बैठने कि अनुमति नहीं दी गई.
क्योंकि हमे अटेंडेंस की कमी के कारण डिटेन किया जा रहा है, तो ऐसे में विश्वविद्यालय को दो जरूरी सवालों के जवाब देने होंगे : मार्च 2024 में शुरू होने वाले सेमेस्टर के बीच में छात्रों को अटेंडेंस की कमी के बारे में क्यों नहीं बताया गया? जब शिक्षकों ने कई विषयों में पर्याप्त कक्षाएं नहीं लीं, तो विश्वविद्यालय अटेंडेंस की कमी का दावा कैसे कर सकता है?एलएलएम के छात्र
छात्र कहते हैं, "अगर हम तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में नामांकित एलएलएम प्रथम वर्ष के छात्रों कि बात करें, तो बैच की संख्या लगभग 60 है, और आधे से अधिक छात्रों को 'डिटेन' किया गया है. इसका मतलब है कि आधे से अधिक छात्रों को अगले सेमेस्टर में प्रमोट नहीं किया जाएगा. लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि एलएलबी के छात्र और फैकल्टी के सामने भी अटेंडेंस की कमी का यही मुद्दा था और इसी वजह से उनकी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थी और रेमेडियल कक्षाओं कि व्यवस्था की गई थी. लेकिन हमारे कोर्स में इस तरह कि कोई सुविधा नहीं दी गई."
"हमने प्रशासन से अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने सुनने से इनकार कर दिया. यह कितना उचित है कि एलएलबी के छात्रों को रेमेडियल कक्षाएं दी गईं जबकि उसी 'फैकल्टी ऑफ लॉ' के अंतर्गत आने वाले एलएलएम के छात्रों को अटेंडेंस की कमी के कारण परीक्षा देने से रोक दिया गया?"
इससे हमारे शैक्षणिक करियर पर असर पड़ने वाला है. हममें से कई लोग इंटर्नशिप, नौकरी, परीक्षा की तैयारी और कक्षाओं के बीच उलझे रहते हैं. विश्वविद्यालय को इन सभी बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए इस कदम से हम ही नहीं बल्कि हमारे माता-पिता भी चिंतित हैं. विश्वविद्यालय का यह फैसला हमारे करियर को बर्बाद कर देगा. हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि कृपया अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें और इस मुद्दे को हल करें.
(क्विंट ने छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के 'फैकल्टी ऑफ लॉ' की डीन प्रोफेसर अंजू वली टिक्कू से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने टिप्पणी देने से इनकार कर दिया.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)