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दिल्ली हिंसा: पुलिस डायरी में बीजेपी नेता का नाम,चार्जशीट से गायब?

पुलिस ने 3 चार्जशीट में अहमद की गवाही का जिक्र किया,सारे ब्यौरे एक जैसे हैं,लेकिन BJP के एक पार्षद का नाम हटा दिया

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी के आखिरी हफ्ते में हुए हिंसा की जांच में निसार अहमद, भागीरथी विहार ई-ब्लॉक में एक कपड़े का दुकानदार, दिल्ली पुलिस का एक अहम गवाह बनकर उभरा है.

अहमद के बयान का जिक्र कम से कम तीन चार्जशीट में किया गया है – FIR संख्या 102/2020, 103/2020 और 104/2020 से संबंधित – जो कि भागीरथी विहार में हिंसा के दौरान हुई तीन हत्या से जुड़ी है. इन हत्याओं के मामले में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

हालांकि, रोचक बात ये है कि लगता है अहमद की गवाही के कुछ हिस्सों को चुनकर इस्तेमाल किया गया है.

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जहां पुलिस से की गई अहमद की शिकायत की लगभग सारी बातें चार्जशीट में शामिल की गई हैं, एक अहम नाम हटा दिया गया है – वो नाम है बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल का.

ये कोई इकलौती शिकायत नहीं है जिसमें कन्हैया लाल – पूर्वी दिल्ली नगर निगम के जौहरीपुर से बीजेपी पार्षद – के दिल्ली हिंसा में शामिल होने के आरोप लगे हैं. 22 जून को क्विंट ने एक और शिकायत की रिपोर्ट छापी थी जिसमें दावा किया गया था कि कन्हैया लाल ने भागीरथी विहार में भीड़ की अगुवाई की थी और कथित तौर पर ‘क***ओं को, मुल्लों को निबटा दो’ कहा था.

इस रिपोर्ट में हम निसार अहमद की शिकायत से जुड़ी गोकुलपुरी पुलिस स्टेशन की डायरी एंट्री साझा करेंगे, तीन चार्जशीट में (FIR संख्या 102/2020, 103/2020 और 104/2020) में शामिल अहमद के बयान दिखाएंगे और दोनों के बीच का फर्क बताएंगे, खास तौर बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल को लेकर.

निसार अहमद ने अपनी शिकायत में क्या लिखा

यह 22 मार्च को गोकुलपुरी थाने की पुलिस डायरी में लिखी गई बातों (GD No: 0026A) का अंश है जिसमें निसार अहमद ने अपने बयान में बताया उसने क्या देखा और सुना:

‘24.02.2020 को 4-5 बजे शाम के बीच, मैं अपने घर पर था जब मैंने जोर के हंगामे की आवाज सुनी. मैं अपने घर की छत पर गया, वहां से मैंने देखा कि गोकुलपुरी टोल टैक्स पुल के पास जूस की दुकान के करीब, जो कि मेरे घर से 100-150 मीटर की दूरी पर है, 200 से 250 लोग जमा थे और डीजे विकास कश्यप CAA के पक्ष में भीड़ जुटा कर वहां साउंड सिस्टम लगा रहा था.

वह ‘जय श्री राम’, ‘हिंदू एकता जिंदाबाद’ और ‘जागो हिंदू जागो’ जैसे नारे लगा रहा था. वहां मौजूद जिन लोगों को मैं पहचान पाया वो थे विकास कश्यप, गोलू बाइक वाला, गौरब डाबरा, मुकेश मास्टर जी और कन्हैया लाल. कई और लोग थे जिन्हें मैं चेहरे से जानता हूं और सामने लाए जाने पर उन्हें पहचान सकता हूं.

वहां डीजे विकास के लगाए गए साउंड सिस्टम पर कन्हैया लाल भड़काऊ भाषण दे रहा था. वो कह रहा था:

आओ, सारे हिंदू घर से बाहर आओ, CAA का समर्थन करो और इन क**ओं को भागीरथी कॉलोनी से बाहर निकालो, क**ओं को मारो, इनके घरों पर कब्जा करो और इनके माल को लूट लो.
बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल का कथित भाषण (गवाह नसीर अहमद के मुताबिक)

वो और भी भड़काऊ नारे लगा रहा था जैसे कि ‘हिंदुओं बाहर आओ, पुलिस तुम्हारे साथ है’.

मैं भाषण और नारेबाजी सुनकर डर गया था, मैं नीचे अपने कमरे में आया और करीब 6 बजे शाम को अपने मोबाइल से 100 नंबर डायल कर जानकारी दी कि पिछले तीन घंटे से ये लोग टोल टैक्स के करीब जूस कॉर्नर के पास जमा हैं और सामुदायिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

मैंने 100 नंबर पर पांच बार से ज्यादा फोन किया और वो कहते रहे कि वो पुलिस को भेज रहे हैं लेकिन कोई पुलिस वाला नहीं आया.’

शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि 24 फरवरी को ये नारेबाजी रात तक चलती रही और अगले दिन इलाके में हिंसा हो गई. अहमद ने आरोप लगाया कि ‘माइकल, मोगली और टिंकू भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे’, करीब 50 लोगों की भीड़ के साथ मिलकर इन लोगों ने उसका गोदाम लूट लिया और गाड़ियों में आग लगा दी.

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तीन चार्जशीट में शामिल नसीर अहमद का बयान

भागीरथी विहार में हुई हिंसा से जुड़ी तीन चार्जशीट में निसार अहमद की गवाही का व्यापक तौर पर जिक्र किया गया है. ये गवाही FIR संख्या 102/2020, 103/2020 और 104/2020 से जुड़ी थी, जिसमें क्रमश: हम्जा, आमीन और भूरे अली उर्फ सलमान की हत्या का मामला दर्ज था.

तीनों चार्जशीट में बयानों का जिक्र लगभग एक तरीके से किया गया. चार्टशीट के कुछ अंश इस तरह से हैं:

‘जांच के दौरान, निसार अहमद, S/o श्री दीन मोहम्मद, R/o ई***, भागीरथी विहार, दिल्ली-110094 से पूछताछ की गई, जिसने बताया कि वो ऊपर दिए गए पता पर अपने परिवार के साथ रहता है और इसी पते पर कपड़े की एक दुकान चलाता है.

24.02.2020 को करीब 4-5 बजे शाम को जब वो अपने घर में था, उसे जोर के हंगामे की आवाज सुनाई पड़ी, जिसके बाद वो अपनी छत पर चला गया, उसने देखा कि जौहरीपुर में नाला तिराहा के पास करीब 200-250 लोग जमा

हो चुके थे और ये लोग CAA के पक्ष में लाउडस्पीकर पर जय श्री राम, हिंदू एकता जिंदाबाद, जागो हिंदू जागो के नारे लगा रहे थे.

वह इनमें से कुछ लोगों को जानता था जैसे कि 1. पंकज शर्मा, R/o भागीरथी विहार, दिल्ली 2. प्रिंस R/o जौहरीपुर, दिल्ली 3. अंकित R/o गंगा विहार, दिल्ली 4. सुमित चौधरी R/o गोकुलपुरी, दिल्ली 5. लोकेश R/o गंगा विहार, दिल्ली 6. हिमांशु R/o जौहरीपुर, दिल्ली 7. जतिन R/o गंगा विहार, दिल्ली 8. विवेक R/o गंगा विहार, दिल्ली 9. ऋषभ R/o गंगा विहार, दिल्ली 10. साहिल उर्फ बाबू R/o भागीरथी विहार, दिल्ली 11. मॉन्टी नागर 12. अवधेश मिश्रा उर्फ सरदार 13. मोनू 14. शेखर 15. मोगली 16. विनय उर्फ बिन्नी 17. टिंकू 18. बाबा. ये सब हिंदू मॉब के हिस्सा थे.

इन सब के हाथों में लोहे की रॉड, छड़ी, लाठी, डंडे थे और ये सब हिंदू समुदाय के लोगों से बाहर निकलने और भागीरथी विहार, दिल्ली से मुस्लिम समुदाय के लोगों को बाहर निकालने की जिद कर रहे थे.

उसने आगे बताया कि भीड़ मुसलमानों को मारने, उनके घरों पर कब्जा करने और उन्हें लूटने के नारे भी लगा रही थी. शोर शराबा सुनकर वो डर गया और नीचे अपने कमरे में चला आया. उसने आगे कहा कि डर के मारे उसने PCR को कई बार फोन किया लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया और उसी दिन शाम में हिंसा शुरू हो गई.

पुलिस को की गई शिकायत की तरह, चार्जशीट में में लिखा है कि अहमद के हवाले से मोगली, माइकल और टिंकू पर 25 फरवरी की सुबह उसके घर के पास भीड़ की अगुवाई करने और उसके सामान की लूट में शामिल होने का आरोप लगाया गया है .

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चार्जशीट से बीजेपी के कन्हैया लाल का नाम कैसे गायब हुआ?

अहमद की शिकायत के आधार पर पुलिस की जनरल डायरी एंट्री और तीन चार्जशीटों में शामिल उसके बयान कमोबेश एक जैसे ही हैं, सिवाय इन बातों के:

  • कन्हैया लाल का नाम, जो कि पुलिस की डायरी में मौजूद है, तीनों चार्जशीट से गायब है. चार्जशीट में ‘मार दो’, ‘मुसलमानों के घर कब्जा कर लो’ और उन्हें ‘लूट लो’ जैसे नारों का भी जिक्र है. लेकिन ये बात नहीं लिखी है कि अहमद के मुताबिक ये नारे कन्हैया लाल लगा रहा था.
  • पुलिस की डायरी में पंकज शर्मा, प्रिंस, अंकित, सुमित चौधरी, लोकेश, हिमांशु, जतिन, विवेक, ऋषभ, साहिल, अवधेश मिश्रा, शेखर और बाबा के नाम नहीं हैं लेकिन चार्जशीट में ये नाम मौजूद हैं. इनमें से नौ इस वक्त इस मामले में गिरफ्तार हैं. चार्जशीटों के मुताबिक ये सभी कट्टर हिंदू एकता व्हॉट्सऐप ग्रुप के हिस्सा हैं जहां कथित तौर पर हिंसा की योजना बनाई गई थी.
  • जिन लोगों पर अहमद का घर लूटने का आरोप है, उनमें माइकल, मोगली और टिंकू के नाम पुलिस की डायरी और चार्जशीट दोनों में मौजूद हैं. चार्जशीट में एक और नाम सोनू का है.

निसार अहमद के वकील एडवोकेट एम आर शमशाद ने बताया कि ये नाम इसलिए जोड़े गए क्योंकि उनके मुवक्किल ने उनकी पहचान तब की जब पुलिस ने उन्हें सीसीटीवी फुटेज का हिस्सा दिखाया.

लेकिन चार्जशीट से कन्हैया लाल का नाम हटाए जाने पर शमशाद बताते हैं कि पुलिस इलाके में आरोपियों के एक सामान्य समूह को सारी हिंसा का दोषी मानकर चल रही है और कन्हैया लाल जैसे दूसरे लोगों को नजरअंदाज कर रही है.

पुलिस ने आरोपियों के सामान्य समूह के खिलाफ दायर तीन चार्जशीट में निसार की शिकायत में नामजद आरोपी को नजरअंदाज किया है. शिकायतों से निपटने का यह तरीका जांच प्रक्रिया पर सीधा सवाल खड़ा करता है.
एडवोकेट एम आर शमशाद, निसार अहमद के वकील
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निसार अहमद की शिकायत पर दर्ज FIR

पुलिस से की गई निसार अहमद की शिकायत की स्थिति एक अलग कहानी है. 22 मार्च को पुलिस डायरी में की गई एंट्री के मुताबिक, पुलिस ने शुरुआत में अहमद की शिकायत तब तक लिखने से मना कर दिया था, जब तक वो कुछ खास नाम न हटा ले.

‘अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए मैं कई बार पुलिस स्टेशन गया लेकिन उन्होंने विस्तार से मेरी शिकायत मंजूर करने से मना कर दिया. उन्होंने मुझे बिना किसी नाम की छोटी शिकायत दर्ज कराने को कहा, वरना उन्होंने कहा वो मुझे झूठे मामलों में गिरफ्तार कर जेल में बंद कर देंगे,’ अहमद में अपनी शिकायत में आरोप लगाया.

अहमद ने दावा किया कि पुलिस ने उससे कहा, ‘तुम्हें इस बात की खैर मनानी चाहिए कि तुम जिंदा हो.’

निसार अहमद को इसके बाद FIR दर्ज कराने के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा. पिछले हफ्ते हुई पहली सुनवाई में, पुलिस ने कहा कि अहमद की शिकायत भागीरथी विहार A-ब्लॉक के निवासी आस मोहम्मद की संपत्ति के नुकसान के असंबंधित मामले से जोड़ दी गई थी.

हाईकोर्ट की दखल के बाद ही अहमद को वो तीन चार्जशीट मुहैया कराई गई जिसमें उसकी गवाही का जिक्र है.

हाईकोर्ट में दायर अपनी रिट याचिका में, अहमद ने कन्हैया लाल पर ‘गलत जानकारी फैलाने’ का आरोप लगाया है जिसमें कहा गया कि इन मामलों मे अभियुक्तों के नाम उसकी वजह से जोड़े गए हैं. अहमद के मुताबिक, इसके बाद उसे अभियुक्तों से जुड़े लोगों की तरफ से काफी दबाव और उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है.

क्विंट ने कन्हैया लाल से उन पर लगे आरोपों के बारे में बात करने की कोशिश की और दिल्ली पुलिस के पीआरओ एम एस रंधावा और डीसीपी (उत्तर-पूर्व) वेद प्रकाश सूर्य से जानना चाहा कि चार्जशीट में कन्हैया लाल का नाम क्यों नहीं है, लेकिन अभी तक किसी ने हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया है. अगर उनके जवाब सामने आते हैं तो हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.

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