"मैं कन्हैया लाल को देख सकता था, जो भड़काऊ भाषण दे रहे थे... और उन्होंने कहा, 'सभी हिंदू एक साथ आएं, अपने घरों से बाहर निकलें, सीएए का समर्थन करें और इन मुसलमानों को भागीरथी विहार कॉलोनी से बाहर भेजें, मुसलमानों को मारें, उनके घरों पर कब्जा करें, उनके घरों को लूटें.' "
भागीरथी विहार निवासी निसार अहमद का फरवरी में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली हिंसा में हुई हिंसा के दौरान बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल की कथित संलिप्तता को लेकर ये कहना है. अहमद रेडिमेड गार्मेंट व्यापारी हैं, जिनकी भगीरथी विहार में दुकान को हिंसा के दौरान लूट लिया गया था.
अहमद ने अब दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट पिटिशन दाखिल की है, जिसमें हिंसा के दौरान उनकी दुकान पर हमले के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग के साथ-साथ धमकी देने का आरोप लगाया गया है.
22 जून को, क्विंट ने एक पुलिस शिकायत के बारे में बताया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कन्हैया लाल ने दंगों के दौरान भागीरथी विहार में भीड़ का नेतृत्व किया था. रिपोर्ट को हाईकोर्ट में अहमद की पिटिशन में एक एनेक्शचर के रूप में भी जोड़ा गया है.
धमकी के आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट एमआर शमशाद और आदित्य समददार के जरिए दाखिल याचिका के मुताबिक:
- अहमद की “बहन और उसका परिवार, जो भागीरथी विहार में रहते हैं, उन पर कुछ स्थानीय निवासियों द्वारा दबाव डाला जा रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर हत्या, आगजनी और लूटपाट की, अहमद को उनकी शिकायतों को वापस लेने या इनकार करने के लिए.”
- “दिल्ली दंगों से संबंधित दूसरी एफआईआर के अन्य सभी आरोपी, जो इस इलाके में रहते हैं, उनको सूचित किया जा रहा है कि याचिकाकर्ता (अहमद) ने अपनी शिकायत में उनका नाम लिया है. इन व्यक्तियों ने तब अन्य स्थानीय निवासियों, जो याचिकाकर्ता को जानते हैं, उन्हें याचिकाकर्ता पर शिकायत और बयान वापस लेने या खारिज करने का दबाव डालने को कहा.”
अहमद ने धमकी की इन कोशिशों के पीछे कन्हैला लाल पर आरोप लगाया है.
ये कथित धमकी कैसे दी जा रही है, इसका उदाहरण देते हुए, याचिका का दावा है:
- 2 अप्रैल: गगन नाम के एक व्यक्ति ने दिल्ली पुलिस के साथ होने का दावा करते हुए, अहमद को फोन किया और उसे बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल से बात करने के लिए कहा, जिसने कथित तौर पर पूछा कि उसने अपनी शिकायत में एक ‘मोगली’ का नाम क्यों लिया है. उसके बाद उसे धमकी भरे फोन आने लगे.
- 7 जून: एक शख्स ने अहमद को फोन किया और ‘धमकी भरे अंदाज’ से बात की और पूछा कि शिकायत में अहमद ने उसका नाम क्यों लिखा है. अहमद का कहना है कि इस व्यक्ति का नाम उसकी शिकायत में नहीं था और ये सिर्फ डराने के लिए किया गया था.
- 21 जून: ‘गगन’ ने अहमद को फिर से फोन किया और उसे “ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ‘मोगली’ शिकायत का हिस्सा ना हो.”
- 24 जून: एक शख्स उसकी बहन के घर अहमद पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने के लिए गया. अहमद का कहना है कि उनकी बहन और उनका परिवार अब अपनी जिंदगी को लेकर डर में है.
निसार अहमद ने बताया- दिल्ली हिंसा में क्या हुआ
निसार अहमद ने अपनी रिट पिटिशन में बताया है:
24 फरवरी
- लगभग 7:30 बजे (24 फरवरी को), जैसा कि अंधेरा हो गया था, माइक से कहे जा रहे नारे “का ** ओ को भगाओ यहां से” और “मुल्लों को में” जैसे बयानों में बदल गए.
- शुरुआत में इकट्ठा हुई छोटी भीड़ लगभग 500-600 लोगों की बड़ी भीड़ मे बदल गई. आसपास से जा रहे लोगों को रोककर उनके धर्म के बारे में पूछा जाने लगा. अगर आईडी डॉक्यूमेंट या किसी की पैंट उतारकर उसकी पहचान मुस्लिम के तौर पर हो रही थी, तो उसे तलवार या कृषि औजार से काटा जा रहा था.
- कुछ लोग मौत से बचने में कामयाब रहे, लेकिन पाइप और लाठियों से उन्हें बेरहमी से पीटा गया. महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. बाहर दिखने वाली महिलाओं, या कोई भी महिला जो बुर्का पहनी दिखी या मुस्लिम दिख रही थी, उसे तलवारों से मार दिया जाता था. मृतकों के शव को भागीरथी विहार नाला में फेंक दिया गया.
- याचिकाकर्ता (अहमद) ने अपने मोबाइल फोन से लगातार 100 नंबर पर फोन किया. जब भी उनकी कॉल का जवाब दिया जाता था, तो उन्हें बताया जाता था कि स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित कर दिया गया था और पुलिस अपने रास्ते में है. कोई भी पुलिस अधिकारी वहां नहीं आया.
- लगभग 8 बजे नरसंहार ने खुली लूट और आगजनी का रूप ले लिया.
25 फरवरी
- अहमद द्वारा पहचाने गए तीन लोग रात करीब 9:30 बजे, लगभग 200 लोगों की एक बड़ी भीड़ के साथ उसके घर आए. उनमें से एक ने उसके घर का गेट तोड़ना शुरू कर दिया. एक अन्य ने याचिकाकर्ता की दुकान और रेडिमेड कपड़ों के गोडाउन के शटर को खोलने के लिए एक क्रोबार का इस्तेमाल किया.
- करीब 10 लाख का सामान लूटा गया. उसकी तीन मोटरसाइकिल- एक इनफील्ड बुलेट, एक बजाज प्लैटिना और एक हीरो स्पेलन्डर को सड़क पर लाकर आग के हवाले कर दिया गया.
- एक बड़ी भारी ट्रंक जिसमें उसकी बहू के गहने और याचिकाकर्ता के बेटे से उसकी शादी के दूसरे जरूरी सामानों को भी लूट लिया गया. ट्रंक में सोना और ज्वेलरी भी थी, जिसे याचिकाकर्ता अपनी बेटी की शादी के लिए बचा रहा था.
- ग्राउंड फ्लोर को लूटने के बाद, भीड़ ने घर की दूसरी मंजिलों पर जाने के लिए रास्ता बनाना शुरू कर दिया. पहली और दूसरी मंजिल को सड़क लेवल पर सीढ़ियों के जरिए पहुंचा जा सकता था, लेकिन तीसरी मंजिल को सीढ़ियों पर केवल एक स्टील गेट के जरिए जाया जा सकता था.
- याचिकाकर्ता का परिवार अपनी जान बचाने के लिए ऊपर की ओर भागा और तीसरी मंजिल पर बने स्टील के गेट को अंदर से बंद कर लिया. इसके बाद, इससे पहले कि भीड़ उनके पास पहुंच पाती, याचिकाकर्ता और उनके परिवार ने तीसरी मंजिल के पिछले हिस्से से एक-दूसरे नीचे जाने में मदद की. एक पड़ोसी ने उनकी मदद के लिए सीढ़ी दी. याचिकाकर्ता और उनका परिवार एक घर से दूसरे घर में छिपता चला गया और आखिरकार वो सब लगभग 3 बजे उन्हीं हिंदू पड़ोसियों द्वारा इलाके से मुख्य सड़क तक पहुंचाए गए. उनके घर को पूरी तरह से लूट लिया गया था और जो कुछ भी बच गया था, उसे आग के हवाले कर दिया गया था.
अहमद की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. उनका “मानसिक रूप से कमजोर भाई जो 25/02/2020 को घर से रेस्क्यू नहीं किया जा सका था, उसका पता नहीं चल पाया”. तीन दिन बाद ही उसका पता लगा था.
अहमद ने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब इसे वापस लेने के लिए उसे धमकाया जा रहा है. जब तक कि उन्होंने रिट पिटिशन दाखिल नहीं की, उनके घर और दुकान पर हमले को लेकर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
पुलिस और कोर्ट का जवाब
- अहमद की याचिका के जवाब में, दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि उसे तीन चार्जशीट प्रोवाइड किए जाएं, जिसमें वो गवाह है.
- पुलिस ने जवाब दिया कि अहमद की शिकायत दर्ज की गई है और FIR 78/2020 के साथ संयुक्त की गई है, जिसमें एक शिकायतकर्ता एक आस मोहम्मद है.
- कोर्ट ने पुलिस को FIR 78/2020 की रिपोर्ट का स्टेटस भी देने का भी निर्देश दिया, जिसमें अब निसार अहमद की शिकायत भी शामिल है.
- स्टेटस रिपोर्ट में, पुलिस ने दावा किया कि एक दिनेश यादव उर्फ मिशेल, जिसका नाम अहमद ने अपनी शिकायत में दिया था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
- हालांकि, अहमद के वकील एमआर शमशाद ने बताया कि शिकायत में नामित लोगों में से कोई भी FIR 78 में शामिल नहीं किया गया है. शमशाद ने ये भी कहा है कि वो "उपयुक्त प्राधिकारी" से अहमद को सुरक्षा देने का अनुरोध करेंगे.
- एडवोकेट शमशाद ने क्विंट को बताया, "निसार की शिकायत गंभीर है क्योंकि इसमें उन लोगों के नाम हैं जिन पर दंगा, हत्या और लूट के आरोप हैं. ये भीड़ इलाके में हत्याओं में शामिल थी. उनकी शिकायत को एक साधारण एफआईआर के साथ टैग किया गया है जो आरोपी का नाम नहीं देती (जैसा कि निसार ने कहा है). पुलिस ने निसार द्वारा नामित लोगों को अनदेखा करते हुए अन्य आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग चार्जशीट फाइल की हैं. इससे जांच पर सवाल खड़े होते हैं. हम इसे जल्द ही कोर्ट में ले जाएंगे."
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