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दिल्ली हिंसा में बिंद्रा का नाम, बोले- क्या लंगर बांटना जुर्म है?

पुलिस की चार्जशीट में बिंद्रा को बताया गया है एंटी सीएए प्रदर्शनों का मुख्य आयोजक

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नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर अब दिल्ली पुलिस लगातार चार्जशीट करने में जुटी है. ऐसी ही एक चार्जशीट कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले में दायर की गई है. जिसमें डीएस बिंद्रा का नाम भी शामिल है. बिंद्रा ने क्विंट से बातचीत में बताया कि 'मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है, मैं सिर्फ लंगर बांटने का काम करता था. क्या ये एक अपराध है?'

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बिंद्रा दिल्ली में रहने वाले एक वकील हैं. लेकिन उनका नाम तब चर्चा में आया जब उन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों के लिए पब्लिक किचन और लंगर सेवा शुरू की. बिंद्रा शाहीन बाग और चांदबाग में एंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान खाना पहुंचाने का काम करते थे.

लेकिन अब दिल्ली हिंसा में उनका नाम सामने आया है. बिंद्रा ने क्विंट से बातचीत में ऐसे सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा,

“मैंने सिर्फ लंगर देने का काम किया. मैंने वही किया जो मेरा ईमान मुझे सिखाता है. जो हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसके लिए मुझे निशाना क्यों बनाया जा रहा है.”
डीएस बिंद्रा

चार्जशीट में क्या हैं आरोप?

डीएस बिंद्रा को लेकर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में चांदबाग इलाके में प्रदर्शन को भड़काने आरोप है. हालांकि उनका नाम रतनलाल की हत्या को लेकर दर्ज की गई चार्जशीट में मौजूद 17 आरोपियों में शामिल नहीं है. लेकिन राइट विंग वेबसाइट ऑप इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में पूरा फोकस बिंद्रा और इस हिंसा में उनके शामिल होने को लेकर किया है. इस पर बिंद्रा ने कहा कि इस वेबसाइट ने उन्हें उनका पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया.

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक जो हिंसा हुई उसमें डीएस बिंद्रा, सलमान सिद्दीकी, सलीम खान, सलीम मुन्ना, शाहदाब, अख्तर और अन्य लोगों का हाथ था. जिन्होंने लोकल लोगों के साथ मिलकर हिंसा फैलाने का काम किया.

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पुलिस ने कुछ गवाहों के आधार पर बिंद्रा के खिलाफ ये आरोप लगाए हैं. कॉन्स्टेबल सुनील और ज्ञानसिंह ने इस मामले में अपनी गवाही दी है, चार्जशीट के मुताबिक इन दोनों की ड्यूटी उस इलाके में थी. चार्जशीट में कहा गया है कि दोनों बीट कॉन्स्टेबल रेगुलर विजिट के लिए प्रोटेस्ट साइट पर जाते थे. इन दोनों के मुताबिक इसी दौरान सलीम खान, सलीम मुन्ना, डीएस बिंद्रा, सुलेमान सिद्दीकी, अयूब अथर, शाहदाब, उपसाना, रवीश और अन्य लोगों ने ही इस प्रोटेस्ट को ऑर्गेनाइज किया था.

एक दूसरे गवाह के मुताबिक बिंद्रा ने अन्य लोगों के साथ मिलकर वहां टेंट लगाने को कहा और प्रदर्शनकारियों के लिए व्यवस्था की. एक दूसरे गवाह दुश्यंत किशोर के मुताबिक बिंद्रा ने उन्हें लंगर शुरू करने के लिए कहा था. पुलिस के गवाह नजम उल हसन ने बताया है कि,

बिंद्रा ने सभी लोगों से कहा कि बाहर निकलकर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करें. उन्होंने कहा कि मैं प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर और मेडिकल कैंप लगाऊंगा. पूरा सिख समुदाय आप लोगों के साथ है. अगर आप लोग अभी बाहर नहीं आए तो वही हाल होगा जो 1984 में सिखों के साथ हुआ था.
नजम उल हसन, गवाह
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बिंद्रा ने आरोपों से किया इनकार

हालांकि बिंद्रा ने उन पर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने इस आरोप को भी खारिज किया कि वही एंटी सीएए प्रोटेस्ट के मुख्य आयोजक थे. उन्होंने कहा,

“मैंने जैसा आपको बताया कि मैंने वहां सिर्फ लंगर लगाने का काम किया था. ये मेरे सिख धर्म का एक हिस्सा है. इस दौरान हर समुदाय के लोग वहां आए और उन्होंने बिना किसी भेदभाव के वो लंगर खाया. फिर चाहे वो पंजाब से आए सिख हों या फिर स्थानीय मुस्लिम, सब लोग वहां लंगर खाते थे.”
डीएस बिंद्रा

बिंद्रा ने आगे कहा कि सांप्रदायिक तनाव के बीच हमने सिख और मुस्लिमों के बीच भाईचारे को कायम रखने का काम किया. मेरा सिर्फ यही मकसद था. हमारे इस काम के लिए प्रोत्साहन मिलने की बजाय हमें निशाना बनाया जा रहा है.

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