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अंकित शर्मा मर्डर केस: चार्जशीट में ताहिर पर दिल्ली पुलिस के आरोप

ताहिर हुसैन पर दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कई आरोप लगाए हैं

Published
भारत
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नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में इस साल की शुरुआत में हुई हिंसा के मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने अब चार्जशीट दाखिल कर लीं हैं. लगभग हर मामले को लेकर पुलिस ने अलग चार्जशीट दाखिल की है. इन्हीं मामलों में से एक आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा के मर्डर का केस भी है. इस मामले में आम आदमी पार्टी से सस्पेंड किए गए पार्षद ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपी के तौर पर बताया गया है.

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ताहिर हुसैन को हिंसा के कई दिनों बाद 16 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के मुताबिक ताहिर ने ही भीड़ को इकट्ठा किया और उनकी इकट्ठा की गई भीड़ ने ही अंकित शर्मा की हत्या कर दी.

चलिए आपको बताते हैं कि ताहिर हुसैन पर पुलिस ने क्या आरोप लगाए हैं और इन आरोपों को लेकर उनके वकील जावेद अली का क्या कहना है.

ताहिर पर भीड़ का नेतृ्त्व करने का आरोप: पुलिस के मुताबिक आरोपी ताहिर हुसैन 24 और 25 फरवरी को खुद अपने घर से और चांदबाग के पास मौजूद मस्जिद से भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे. पुलिस का कहना है कि उन्होंने इसे सांप्रदायिक रंग दिया और मुस्लिमों को ये कहकर भड़काया कि हिंदू कई मुस्मिलों को मार रहे हैं और उनकी दुकानों में आग लगा रहे हैं. ताहिर के लोगों को उकसाने पर वो हिंसक हो गए और हिंदुओं की दुकानों में आग, पेट्रोल बम, पत्थरबाजी करने लगे. साथ ही उनके घरों को निशाना भी बनाया. इसके बाद इसी बेकाबू भीड़ ने अंकित शर्मा को पकड़ा और चांदबाग पुलिया की तरफ घसीटते हुए ले गए. इसके बाद धारदार हथियार से शर्मा के शरीर पर कई वार किए गए और बॉडी को नाले में फेंक दिया.

ताहिर हुसैन के वकील जावेद अली का जवाब: सबसे पहली बात ये है कि ताहिर हुसैन 25 फरवरी को उस इलाके में थे ही नहीं. दिल्ली पुलिस ने उन्हें उस एरिया से निकाल दिया था. पहले ये बात पुलिस ने भी मानी थी. भीड़ को भड़काने और उनका नेतृत्व करने वाले आरोपों की अगर बात करें तो क्यों एक भी ऐसा सबूत नहीं है जिसमें ताहिर ऐसा करते नजर आ रहे हों. ऐसा कोई वीडियो-फोटो या फिर चश्मदीद गवाह क्यों नहीं है? ताहिर के कुछ वीडियो हैं जिनमें वो अपने घर की छत पर नजर आ रहे हैं, लेकिन ऐसे ही वीडियो ग्राउंड पर क्यों नहीं हैं. उस दिन इलाके में करीब एक हजार लोग थे, ये जितने भी आरोप हैं वो सच नहीं हैं और बिना सबूतों के ये कोर्ट में ये टिक नहीं पाएंगे.

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ताहिर के पुलिस को फोन करने को लेकर आरोप: पुलिस का कहना है कि ताहिर हुसैन के घर पर जो लोग थे वो सब उन्हें जानते थे और ताहिर उनके साथ ही अपने घर पर मौजूद थे. लेकिन इसके बावजूद वो आगे कानूनी पचड़े से बचने के लिए बार-बार पीसीआर को कॉल करते रहे.

वकील जावेद अली का जवाब: यह काफी अजीब बात है, जबकि ये ऑन रिकॉर्ड है कि ताहिर हुसैन खुद ही 24 फरवरी को उस इलाके से निकलना चाहते थे. उन्होंने इसके लिए एक वीडियो भी पोस्ट किया, साथ ही पुलिस को कई कॉल भी किए. पुलिस ने ताहिर को रेस्क्यू किया था, जिसके बाद 24 और 25 फरवरी की रात हुई हिंसा के दौरान वो उस बिल्डिंग में नहीं थे.

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पिस्तौल लेने को लेकर आरोप: पुलिस का आरोप है कि ताहिर हुसैन ने 22 फरवरी को खजूरी खास थाने से अपनी लाइसेंसी पिस्तौल वापस ले ली थी. हिंसा से ठीक दो दिन पहले. साथ ही उन्होंने लाइसेंस पर लिए 100 कारतूसों का हिसाब भी नहीं दिया. उनके घर से 64 जिंदा कारतूस और 22 खाली कारतूसों के खोखे मिले.

वकील का जवाब: ये मेरे क्लाइंट की लाइसेंसी पिस्तौल है और उसे हक है वो जब चाहे पुलिस थाने से अपनी पिस्तौल ले सकता है. क्या ये कहने की कोशिश हो रही है कि थाने से अपनी पिस्तौल लेना क्राइम है? सिर्फ ये कह देना कि पिस्तौल निकाली थी काफी नहीं है. पुलिस को ये साबित करना होगा कि इससे क्या कोई घायल हुआ या फिर क्या किसी की हत्या की गई? वहीं जब पुलिस ने मेरे क्लाइंट से पिस्तौल को लेकर पूछा तो उन्होंने आसानी से वो उन्हें दे दी.

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ताहिर के घर से कांच की बोतलें, ईंट-पत्थर मिलने का आरोप: ताहिर हुसैन के घर की छत से कुछ क्रेट बरामद हुईं. जिनमें कई सारी कांच की बोतलें रखी हुई थीं, इन बोतलों में कुछ लिक्विड भरा था और ऊपर कपड़े की बत्ती लगी थी. जैसा पेट्रोल बम में होता है. इसके अलावा कई सारे ईंट-पत्थर भी मिले, जिससे ये बताया गया कि हिंसा में ताहिर हुसैन का बड़ा हाथ था.

वकील का जवाब: 24 फरवरी को ताहिर हुसैन ने काफी मुश्किल से अपने घर में घुस रहे लोगों और इलाके के हालात को कंट्रोल करने की कोशिश की. वहीं 24 और 25 फरवरी की रात जब दंगे हुए थे तब ताहिर घर छोड़ चुके थे. इस चार्जशीट से पता लगता है कि दिल्ली पुलिस का मेरे क्लाइंट के खिलाफ केस मजबूत नहीं है.

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