"मैं बेहद डरा हुआ हूं. वो लोग मुझे और मेरे परिवार को मार डालेंगे, जैसे उन्होंने मेरे पिता का कत्ल किया. मैं अपनी सारी हिम्मत जोड़कर ये शिकायत दर्ज करा रहा हूं. मेरी दरख्वास्त है कि आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो और मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा दी जाए." साहिल परवेज ने ये सारी बातें 19 मार्च को एक शिकायत में लिखीं थीं. वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के बाद स्थापित एक ईदगाह रिलीफ कैंप में था.
25 फरवरी को उसके पिता की मौत के बाद सिर्फ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया था. बाद में साहिल ने विस्तार से शिकायत दर्ज कराई. उसके मुताबिक, पहले जिन पर ध्यान नहीं दिया गया था. अब पहले से दर्ज एफआईआर में ही नई धाराएं जोड़ी गई हैं. इसके बाद करीब 20 लोगों से पूछताछ हुई और उत्तरी घोंडा के 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
क्विंट ने इस बात की पुष्टि की है कि इनमें से 16 लोग सक्रिय तौर पर या किसी न किसी रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं या स्थानीय शाखाओं में जाते थे.
सभी को 9 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. इन पर हत्या (सेक्शन 302), दंगे (सेक्शन 147), दंगों में धारदार हथियार का इस्तेमाल करने (सेक्शन 148), गैरकानूनन तरीके से बुलाई गई भीड़ का हिस्सा बनने (सेक्शन 149), अपराध की साजिश रचने (सेक्शन 120 बी) जैसे संगीन आरोप हैं. इसकी पुष्टि आरोपियों के रिश्तेदार और पीड़ितों के वकील ने भी की है. केस की चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है.
क्विंट रिपोर्टर ने पीड़ित से बात की है और उसकी शिकायत की जांच की. साथ ही एफआईआर की कॉपी भी देखी है. हमने आरएसएस का पक्ष जानने के लिए उनसे बात की. संघ ने दावा किया कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. पुलिस जांच से साफ पता चलता है कि उसने तथ्यों का पता लगाने का प्रयास नहीं किया. आरएसएस ने दावा किया कि मुस्लिम भी दंगों में शामिल थे, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. मामले में आरएसएस की ओर से विस्तृत बयान दिया गया है, जिसे इस स्टोरी में शामिल किया गया है.
24 और 25 फरवरी: पेट्रोल बम, बुलेट और गालियां
परवेज ने 19 मार्च को भजनपुरा पुलिस स्टेशन में उसके इलाके में दो दिन चली हिंसा की शिकायत दर्ज कराई. इसमें उसने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उसके इलाके में 24 और 25 फरवरी को हुई हिंसा का पूरा ब्यौरा दिया. उसने बताया कि 24 फरवरी को दोपहर 12 बजे दंगे शुरू हो गए थे. भीड़ चिल्लाकर "मुल्ले क** मुर्दाबाद, कपिल मिश्रा जिंदाबाद', "देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को' जैसे नारे लगा रही थी.
इस शोर-शराबे में परवेज ने देखा कि सड़क पर खड़े कई आरोपियों के पास लाठियां, डंडे, बंदूकें, लोहे की रॉड, तलवारें और पेट्रोल बम थे.
उन्होंने बताया: देर रात तक इन लोगों ने मुस्लिमों के घरों को निशाना बनाया. उन पर पेट्रोल बम, पत्थरों और बुलेट से हमला किया. वे पूरी रात गालियां बकते रहे. कुछ ऐसे लोग भी थे, जो घरों से बाहर निकलकर उनसे बात करने की कोशिश कर रहे थे या इलाके में शांति कायम करने की कोशिश कर रहे थे. उन पर भी इन लोगों ने हमला किया.
साहिल ने खुद अपने पिता की हत्या देखी
शिकायत में उस शाम का जिक्र करते हुए, जब उसके पिता को गोली मारी गई, साहिल बताते हैं:
25 फरवरी को तकरीबन शाम के 7 बजे होंगे. मैं और मेरे पिता नमाज अदा करने निकले ही थे. बाहर हमारे सामने की गली में सुशील, जयवीर, देवेश मिश्रा (गली 8) और नरेश त्यागी हाथों में तलवार, बंदूकें और डंडे लेकर खड़े थे. जब सुशील ने मेरे पिता को देखा तो हमारी तरफ गोली चला दी. मेरे पिता वहीं जमीन पर गिर पड़े और मैं अपनी जान बचाने के लिए भागा.
साहिल ने अपनी शिकायत में दावा किया- उसने कुछ दूरी से देखा कि देवेश और जयवीर उसके पिता के पास पहुंचे और उन्हें लात मारी. फिर उनकी जेब से कुछ चीजें निकाली. वो लोग चिल्ला रहे थे कि आज वो उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे.
आरएसएस सदस्यों ने कहा-उनकी विचारधारा को निशाना बनाया जा रहा है
9 अप्रैल को द्वारका के एसआईटी क्राइम ब्रांच ऑफिस में 22 लोगों को बुलाया गया. जहां उनसे दिनभर पूछताछ का दौर चला. आखिर में इनमें से 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
साहिल परवेज की शिकायत में देवेश मिश्रा का नाम था. लेकिन उसे अब तक ना गिरफ्तार किया गया ना उसका नाम चार्जशीट में है. वह 1996 से संघ के साथ जुड़ा हुआ है और बीते आठ सालों से आरएसएस का यमुना विहार डिस्ट्रिक्ट प्रभारी है. हाल ही में वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़ गया है और अब डिस्ट्रिक्ट का उपाध्यक्ष है. देवेश मिश्रा ने क्विंट को बताया,
लोग हमें निशाना बना रहे हैं. संघ की विचारधारा रखने वाले सभी लोग निशाने पर हैं.’ मिश्रा ने बताया कि वह एफआईआर में नाम होने के बाद भी क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया. उसने कहा, “मैं 23 से 27 फरवरी तक दिल्ली में नहीं था. मैं अपने परिवार के साथ इटावा में था और यह बात मैं साबित कर सकता हूं.
जब रिपोर्टर ने साहिल से इस बारे में पूछा तो उसने एक बार फिर दावा किया-''मैंने उसे (देवेश मिश्रा) अपनी आंखों से देखा था. जो देखा, वो लिखा है. मुझे कानून पर भरोसा है. कई लोगों ने मेरा हौंसला तोड़ने की कोशिश की, कहा गया कि इन सबसे कुछ नहीं होगा. मैंने ये शिकायत अपनी जान जोखिम में डालकर लिखवाई है.''
शिकायत में एक अन्य नाम सुभाष त्यागी का है. लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया. जब हमने उससे आरोपियों के संघ के साथ जुड़े होने की बात पूछी तो उसने कहा, "हम जहां रहते हैं, वहां हिंदू समुदाय के लोग संपर्क में रहते हैं. क्योंकि वहां एक तरफ जहां मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, दूसरी तरफ हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं. क्या संघ से संबंध होना गलत है? वो लोग अपराधी नहीं हैं. वो अच्छा काम करते हैं और देश के विकास के बारे में सोचते हैं."
जब पूछा गया कि देवेश और सुभाष किस तरह संघ से जुड़े हैं, तो देवेश ने बताया, 'मैं अब वीएचपी में हूं, जो आरएसएस का हिस्सा है. मैं 1996 से संघ में काम कर रहा हूं. इसके बाद मुझसे डिस्ट्रिक्ट में वीएचपी की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा गया. ठीक इसी तरह सुभाष त्यागी को भी आरएसएस से कुछ समय बाद हिंदू मंच भेज दिया गया."
देवेश को तो गिरफ्तार नहीं किया गया. लेकिन सुभाष के दो भाई उन 16 गिरफ्तार लोगों में शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी हुई है. सुभाष ने बताया,
“मेरे भाई उत्तम त्यागी और नरेश त्यागी को पुलिस ने 9 अप्रैल को गिरफ्तार किया. हम देख रहे हैं कि क्या कर सकते हैं. एक खास विचारधारा के लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है.”सुभाष
16 आरोपी, जो संघ के सदस्य हैं
आरएसएस ने सभी गिरफ्तार आरोपियों को निर्दोष बताया और कहा कि वे सभी संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. संघ के पदाधिकारियों ने सभी आरोपों का जवाब विस्तार से क्विंट को दिया है. इसे स्टोरी के आखिर में आप पढ़ेंगे.
देवेश और सुभाष ने रिपोर्टर को ये भी बताया कि कैसे 16 आरोपी संघ से जुड़े हैं. शुरुआत सुभाष के सगे भाइयों उत्तम त्यागी और नरेश त्यागी से करते हैं. रिपोर्टर को बताया गया कि उत्तम लंबे समय तक संघ का प्रचारक रहा है और उनकी कई गतिविधियों में शामिल रहा है. दूसरा भाई नरेश त्यागी भी संघ का नियमित और सक्रिय सदस्य था.
देवेश ने बताया, एक अन्य आरोपी हरिओम मिश्रा है. उसकी जिम्मेदारी उत्तरी घोंडा में रोज सुबह शाखा लगाने की थी. राजपाल त्यागी एक गणित टीचर है. वह भी शहीद भगत सिंह पार्क में रोज सुबह शाखा जाता है. देवेश ने बताया कि संघ में उसके पास ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं है, क्योंकि वह टीचर था और उसके पास ज्यादा समय नहीं होता था.
हमने अभी तक चार आरोपियों के बारे में बताया है.
पवन (पिता मोहनलाल), सुरेश पंडित, सोनू उर्फ अमित शर्मा (पिता प्रकाश शर्मा) और एस. माहेश्वरी (चंद्र माहेश्वरी बिजलीवाले) भी 16 आरोपियों में से चार अन्य नाम हैं. ये आरोपी और इनके परिवार वाले संघ के सक्रिय और नियमित कार्यकर्ता थे.
देवेश ने बताया कि अन्य नामों में दो भाई अतुल चौहान और वीरेंद्र चौहान, दीपक कुमार, सुशील और उत्तम मिश्रा हैं, जो आरएसएस की शाखा में जाते थे. चुनावों के दौरान भाजपा के कैम्पेन में मदद भी करते थे. इन्हें मिलाकर हो गए 13 आरोपी.
बाकी बचे तीन में से दो नाम जयवीर तोमर और चिरंजीवी हैं. ये दोनों संघ और उसकी विचारधारा के समर्थक थे. तीसरा नाम संदीप चावला का है. हालांकि वह संघ की गतिविधियों में नियमित तौर पर शामिल नहीं होता था. आरएसएस के पदाधिकारी ने क्विंट को दिए एक बयान में इन 16 नामों की पुष्टि की है.
आरएसएस, वीएचपी और हिंदू जागरण मंच से नाराज देवेश
साथियों की गिरफ्तारी के बाद राज्य में संघ के पदाधिकारियों, वीएचपी, हिंदू मंच, भाजपा विधायकों, सांसदों की ओर से कोई मदद या आश्वासन न मिलने से देवेश नाराज है. उसने 25 अप्रैल को फेसबुक पर लिखा- "16 बेकसूर स्वयंसेवकों को जेल गए 16 दिन हो गए. संघ के जिला और विभाग प्रांत के अधिकारी कब जागेंगे?'
20 मई को उसने दूसरी पोस्ट लिखी. देवेश ने कहा, 16 बेकसूर हिंदू जेल में हैं. आरएसएस के लोग और चुने हुए प्रतिनिधियों को उनकी कोई फिक्र नहीं है. उन्होंने पोस्ट में लिखा,
“निर्दोष लोग जेल में हैं. लेकिन हिंदुओं के हितों की रक्षा का दावा करने वाले संगठन आरएसएस, वीएचपी, हिंदू जागरण मंच और भाजपा नेता आंखें मूंद कर बैठे हैं.”देवेश
मिश्रा 1996 से स्वयंसेवक हैं. वे कहते हैं, “आज जब मैं राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रतिनिधियों का व्यवहार देखता हूं तो बहुत दुख होता है.” वो ये भी पूछते हैं कि संघ के सदस्य हमें अपना परिवार का सदस्य बताते हैं तो इस वक्त वो खाना कैसे खा रहे हैं या नींद कैसे ले पा रहे हैं. वो भी तब जबकि हमारे परिवार के लोग जेल में हैं.
पोस्ट में लिखा है: “अगर संघ के नेता प्रयास करें या अमित शाह से सीधे बात करें तो 16 निर्दोष लोग छूट जाएंगे.
हर जगह से धमकियां
परवेज की शिकायत की जांच अभी चल रही है, आरोपों पर बहस होनी अभी बाकी है- परवेज ने इस रिपोर्टर को अपने गांव से बताया उस पर शिकायत को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है.
19 मार्च को दर्ज शिकायत में भी उन्होंने इस आशंका को कई बार दोहराया. उसने लिखा: "वे बोल रहे हैं कि अगर मैंने अपना मुंह खोला तो पूरे परिवार को गोली मार देंगे. उन्होंने कहा है कि अगर मैं पुलिस के पास गया तो उन्हें तुरंत पता चल जाएगा. मुझे डर है कि वो मुझे और मेरे परिवार को मार देंगे, जैसा उन्होंने मेरे पिता के साथ किया. मेरी दरख्वास्त है कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए. मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा दी जाए.'
16 मई को परवेज ने एक और खत लिखा. खत में उसने कई आरोपियों के नाम बताए थे, जिन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
उसने लिखा, "मैंने अपनी शिकायत में पिता की मौत से जुड़े कई लोगों के नाम बताए हैं. फिर भी आज तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया. वे लोग मुझे मारने की धमकी दे रहे हैं. उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं ये लिखूं कि मुझसे नाम देने में गलती हो गई है और मैं आरोपियों को नहीं पहचान सकता. उन लोगों ने पुलिस विभाग और गृह मंत्रालय से अपनी नजदीकी का भी दावा किया है."
संघ ने हिंदुओं को भगाने की साजिश बताया, वीएचपी बोली- मुस्लिमों पर फोकस करें
जब क्विंट ने संघ से जुड़े 16 लोगों की गिरफ्तारी और वीएचपी के पदाधिकारी देवेश मिश्रा को लेकर दिल्ली में वरिष्ठ संघ पदाधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने आरोपों पर तीन पेज का जवाब भेजा. इसमें से चुनिंदा अंश इस प्रकार हैं:
"क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा और भजनपुरा एसएचओ की मिलीभगत से आरएसएस और उसकी विचारधारा से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है."
संघ ने 16 बिंदुओं में अपने जवाब भेजा है, जिनमें से कुछ को यहां बताया जा रहा है (संघ का पूरा जवाब आर्टिकल के आखिर में दिया गया है):
- जांच के दौरान द्वारका ऑफिस में बुलाए गए सुशील नयन को क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा ने दो लाख रुपए का लालच देकर आरोपित अन्य लोगों के खिलाफ गवाह बनने को कहा.
- देवेश मिश्रा को परवेज आलम की हत्या में फंसाने के लिए साजिश रची. देवेश 23 फरवरी से 27 फरवरी तक अपने परिवार के साथ इटावा में थे. इससे साबित होता है कि इसी प्रकार अन्य 16 संघ के स्वयंसेवकों को एक साजिश के तहत फंसाया गया है.
- इस केस में जिन भी निर्दोष हिंदुओं को फंसाया गया है, वह सभी क्षेत्र के खास और सामाज में प्रतिष्ठित परिवारों से हैं. आईओ रिछपाल सिंह मीणा ने मुस्लिमों से मोटी रकम लेकर उन्हें गलत फंसाया है.
- सभी निर्दोष आरोपी संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हैं.
- संघ के कार्यकर्ताओं को टारगेट करने के पीछे मुस्लिम समुदाय की सुनियोजित साजिश है. मकसद ये है कि हिंदुओं में भय का वातावरण बने और वो वहां से भाग जाएं, क्योंकि ये एक मुस्लिम बहुल इलाका है. लेकिन दुख की बात है कि इस षड्यंत्र में मुस्लिमों से मोटी रकम लेकर आईओ रिछपाल सिंह मीणा और एसएचओ भजनपुरा भी शामिल हो गए.
- आईओ रिछपाल सिंह मीणा और भजनपुरा एसएचओ के व्यवहार से यह साबित होता है कि दोनों आरएसएस की विचारधारा व हिंदुत्व के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित, कुंठित व पीड़ित हैं. क्योंकि ना तो इन्होंने वास्तविक तथ्य जानने का प्रयास किया और ना ही दंगों में शामिल मुस्लिम समाज के खिलाफ कोई कार्रवाई की है.
क्विंट रिपोर्टर ने स्पेशल पुलिस कमिश्नर (क्राइम) प्रवीर रंजन, दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा और इंस्पेक्टर आरएस मीणा से भी संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा. हमने उनसे जवाब देने के लिए शिकायतों की कॉपी भेजने की भी बात कही है. जैसे ही जवाब आता है उसे आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र कुमार जैन ने मिश्रा के केस में क्विंट से बात की. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है आप जबरदस्ती देवेश का नाम इस केस में घसीट रहे हैं. पुलिस ने खुद पूछताछ की है और उन्हें जाने दिया. अगर शिकायतकर्ता किसी का भी नाम लेता है और जब तक वह शख्स फांसी पर लटक नहीं जाता, तब तक देश के धर्मनिरपेक्ष लोगों की सांस अटकी रहती है. मुझे यह चौंकाने वाली बात लगती है कि जब पुलिस ने उसे पूछताछ के बाद जाने दिया, तो सिर्फ शिकायत के आधार पर ऐसा क्यों हो रहा है? फिर आप दंगों के नेचर को भी भूल जाते हैं. कैसे लोगों को जलाने और मारने के लिए देवबंद और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मुसलमानों को लाया गया था. मुझे लगता है कि आपको इसके बजाय इन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
संघ के पदाधिकारियों का पूरा बयान:
RSS पदाधिकारियों का जवाब
ऊपर सब-हेड में जिन बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया गया है, वो यहां पढ़ सकते हैं ताकि आरएसएस का पूरा जवाब आ सके.
महोदय, 24-25 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के विषय में क्राइम ब्रांच द्वारका के इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा और भजनपुरा थाना एसएचओ की मिलीभगत से निर्दोष हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई के विषय में आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं. यह कार्रवाई क्राइम ब्रांच द्वारका के इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा और थाना भजनपुरा के एसएचओ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक षड्यंत्र के तहत की है.
उदाहरण के लिए-
- क्राइम ब्रांच द्वारका के इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा और भजनपुरा थाना के एसएचओ ने क्राइम ब्रांच का अस्थाई ऑफिस 2008 के दंगों में आरोपित अनीस मलिक व पप्पू मलिक के घर पर बनाया. जिसके कारण इन्होंने आरएसएस के लोगों के खिलाफ षड्यंत्र रचा.
- सुभाष त्यागी जी 25 फरवरी से 28 फरवरी तक बीमार थे. इन्हें भी इसी प्रकार से परेशान किया गया.
- इन दंगों में जिन 16 लोगों को फंसाया गया है, उन सब लोगों के स्वयं के मकान, दुकान और गाड़ियां मुस्लिम दंगाइयों द्वारा जला दिए गए.
- मुस्लिम दंगाइयों की पहचान वीडियो और फोटो के आधार पर पुलिस को बताई गई. लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. जिससे साबित होता है कि मुस्लिम दंगाइयों से क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह ने काफी पैसा वसूला है.
- इंस्पेक्टर रिछपाल सिंह मीणा ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को नोटिस देकर जांच के लिए बुलाया और काफी लोगों को पैसा लेकर छोड़ दिया.
- चार्जशीट में हेराफेरी (राहत देने के नाम पर) कर कई लोगों से जैसे, आरोपी पवन के पिता और आरोपी अमित शर्मा के पिता से आईओ रिछपाल सिंह ने मोटी रकम वसूली.
- आईओ रिछपाल सिंह मीणा और एसएचओ भजनपुरा की मिलीभगत के कारण सुशील नयन को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
- आईओ रिछपाल सिंह मीणा ने फोन लोकेशन को आधार बनाकर सभी 16 निर्दोष संघ के कार्यकर्ताओं को फंसाया है. (जबकि सभी के घर आसपास ही हैं)
- आईओ रिछपाल सिंह मीणा ने एक बार भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि जैसे देवेश मिश्रा को षड्यंत्र के तहत फंसाया जा रहा है, कहीं सभी 16 आरएसएस कार्यकर्ता इसी प्रकार निर्दोष तो नहीं है, जो सच भी है.
- आईओ रिछपाल सिंह मीणा ने बिना किसी ठोस सबूत (कोई फुटेज या वीडियो) के निर्दोष लोगों को फंसा दिया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)