हरियाणा में पंचायत चुनावों के लिए एजुकेशन क्वालिफेकेशन की जरूरत खत्म करने के बाद राज्य सरकार अब मेयर पदों पर भी सीधा चुनाव कराना चाहती है. चुनाव में वोटर न सिर्फ वार्ड काउंसिलर बल्कि मेयर पदों के चुनाव के लिए भी वोट डाल सकते हैं. ग्राम पंचायतों चुनावों में वोटर सीधे पंच और सरपंच चुनते हैं. इसी तर्ज पर अब मेयरों का भी चुनाव होगा. सीधे चुनाव नगर पालिका परिषदों और कमेटियों के लिए भी हो सकते हैं.
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार इसके जरिये शहरी निकायों पर अपना कब्जा जमाना चाहती है, बुधवार को सरकार ने मेयर पदों पर सीधे चुनाव को मंजूरी दे दी. इसका दस बड़े शहरों में असर होगा.
हिसार, करनाल, रोहतक, यमुनाननगर और पानीपत नगरपालिकाओं के चुनाव अक्टूबर में होने हैं. जल्द ही यहां मेयर पद पर सीधे चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है.
फरीदाबाद और गुरुग्राम के मेयरों का असर काफी ज्यादा होगा क्योंकि उनका प्रभाव क्षेत्र विधायकों से भी बड़ा होगा. सरकारी सूत्रों का कहना है कि मेयरों पर सीधे चुनाव का मकसद उन्हें स्वतंत्र तौर पर काम का अवसर मुहैया कराना है. सरकार नहीं चाहती कि मेयरों के फैसलों पर पार्षद अड़ंगा डालें.
मेयरों ने कहा- अच्छा कदम,भ्रष्टचार पर लगेगी लगाम
कुछ मौजूदा मेयरों का कहना है कि सीधा चुनाव अच्छा फैसला है. इससे पार्षदों की खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगेगा. जनता सीधे मेयरों को चुन सकेगी. जनता उसी को वोट देगी जो शहर का विकास करा सकता है. पार्षदों के वोट से मेयर बनता था इसीलिए उस मेयर को पार्षदों का दबाव सहना होता था.
आम लोगों का भी कहना है कि सीध चुनाव से नगरपालिकाओं में भ्रष्टाचार काफी कम हो जाएगा. उनका कहना है कि पार्षदों और मेयर की राजनीति में काफी काम अटक जाते हैं, सीधे चुनाव से मेयर पर पार्षदों का दबाव नहीं होगा. वे स्वतंत्र तौर पर काम कर सकेंगे और शहरों का विकास होगा.
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