"मुझे नहीं लगता कि इलेक्टोरल बॉन्ड और सीएजी (Comptroller and Auditor General of India) रिपोर्ट के बाद बीजेपी के पास यह अधिकार है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ भी बोले."
क्विंट से बातचीत के दौरान यह बयान DMK सांसद कनिमोझी ने दिए.
(पिछले साल, उक्त CAG रिपोर्ट ने तीन परियोजनाओं में सार्वजनिक धन के गलत आवंटन और दुरुपयोग के मामलों को उजागर किया था.)
क्विंट से बातचीत में कनिमोझी ने कहा कि चुनावी बॉन्ड को लेकर डीएमके के पास "छिपाने के लिए कुछ भी नहीं" है.
दिवंगत डीएमके नेता एम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी ने आगे कहा, हमने ईडी के छापे और पूछताछ की धमकी किसी को नहीं दी, जिसने भी डीएमके को चुनावी चंदा दिया है, वो सच में पार्टी को ही चंदा देना चाहते थे.
तमिलनाडु राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने चुनावी चंदे के जरिए अप्रैल 2019 से अप्रैल 2023 तक 656.5 करोड़ रुपये हासिल किए. इसके मुकाबले, बीजेपी को सभी पार्टियों के मुकाबले सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ का चंदा मिला.
कनिमोझी दूसरी बार तमिलनाडु के थूथुकुडी से चुनाव लड़ रही हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इन्होंने द क्विंट से चुनावी बॉन्ड, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, इंडिया ब्लॉक, तमिलनाडु में बीजेपी के हिंदुत्वाद पर बात की.
संपादित अंश को नीचे लिखा गया है:
बीजेपी ने डीएमके पर "भ्रष्टाचार" और "वंशवाद की राजनीति" का आरोप लगाया है. तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख ने यह भी कहा है कि 'तमिलनाडु राजनीतिक बदलाव का इंतजार कर रहा है.' पार्टी की इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
देखिए, सबसे पहले तो यह कि मुझे नहीं लगता कि इलेक्टोरल बॉन्ड और कैग रिपोर्ट के बाद बीजेपी के पास यह अधिकार है कि वह भ्रष्टचार के खिलाफ कुछ भी बोले. लोग अपने पिता-मां, भाई- बहन से प्रभावित होकर राजनीति का रुख कर सकते हैं. लेकिन फिर, यह लोगों पर निर्भर करता है कि वह आपको स्वीकार कर रहे हैं या नहीं.....पॉलिटिक्स में आगे बढ़ने के लिए यह जरूरी है कि लोग आपको वोट दें वरना आप औरों के तरह गायब हो जाएंगे.
"और सच्चाई यह है कि बीजेपी में ऐसा कोई नहीं है, जो राजनीतिक परिवार से नहीं आता हो. बहुत ऐसे नेता है, जो राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में आपको यह अधिकार किसने दिया कि आप दूसरों पर टिप्पणी करें?"- कनिमोझी
डीएमके उन कुछ पार्टियों में से एक थी, जिन्होंने स्वेच्छा से चुनावी बॉन्ड से जुड़ा दानकर्ताओं का डाटा जारी किया. क्या यह सोच समझ कर लिया फैसला था? डाटा से यह भी पता चलता है कि फ्यूचर गेमिंग ने सबसे ज्यादा चंदा दिया, जिसे सबसे ज्यादा डीएमके ने भुनाया...आपकी इस पर क्या राय है?
हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है, इसीलिए पार्टी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी को सार्वजनिक करने का फैसला किया. हमने ईडी के छापे और पूछताछ की धमकी किसी को नहीं दी, जिसने भी डीएमके को चुनावी चंदा दिया है, वो पार्टी को ही चंदा देना चाहते थे.
हम इन कंपनियों को कोई इन्वेस्टमेंट नहीं दे रहे हैं. क्योंकि जैसा आपको पता होगा कि जिन कंपनियों ने बीजेपी को चंदा दिया, उन्हें सरकारी टेंडर मिले. हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं.
"जिसने भी हमें चंदा दिया है, वो सबके सामने है और हमपर कोई दाग नहीं है."
लोकसभा चुनाव होने में बस कुछ ही हफ्ते बचे हैं, ऐसे वक्त में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ईडी गिरफ्तारी और कांग्रेस को आईटी नोटिस भेजे जाने के बारे में आपका क्या कहना है?
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वह विपक्षी दलों को धमकाने के लिए ऐसा कर रहे हैं और, बेशक, कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने का यह मतलब है कि उनके पास चुनाव प्रचार के लिए कोई पैसा नहीं होगा तो पार्टी पर भी अंकुश लगेगा.
मुझे नहीं लगता कि कोई भी विपक्षी नेता या पार्टी अब वास्तव में बीजेपी से डरती है. वे मुकदमों का सामना करने के लिए तैयार हैं. वे बस यह सोचते हैं कि यह एक विचार की लड़ाई है और इसलिए यह जरूरी है कि वे इसे अंत तक लड़ें.
क्या आपको लगता है कि इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ बोलने के लिए पर्याप्त कोशिशें की हैं?
हां, निश्चित रूप से. उनकी (अरविंद केजरीवाल) गिरफ्तारी के खिलाफ सभी नेताओं ने एकजुट होकर अपनी राय रखी है. डीएमके ने चेन्नई में विरोध प्रदर्शन भी किया था, जिसका नेतृत्व पार्टी नेताओं ने किया था. हर कोई जानता है कि उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया है और यह कार्यवाही कितनी गलत है.'
तमिलनाडु में बीजेपी ने डीएमके को "हिंदू विरोधी" पार्टी कहा है. आपकी इसपर क्या प्रतिक्रिया है? क्या आपको लगता है कि तमिलनाडु राज्य एक गैर-द्रविड़ पार्टी को स्वीकार करने के लिए तैयार है?
अन्नामलाई सपना देख सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि लोग बीजेपी को अपने आसपास भी देखना पसंद करते हैं. और मैं यह सच में नहीं समझ पा रही हूं कि डीएमके को हिंदू विरोधी पार्टी किस तर्ज पर कहा गया है.
हमारी ज्यादातर योजनाएं बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए हैं. जब आप आरक्षण की बात करते हैं तो हम बहुसंख्यक हिंदुओं के बारे में बात कर रहे हैं. हमारे पास सरकार के अधीन हिंदू (धार्मिक और धर्मार्थ) बंदोबस्ती विभाग है. पिछले तीन साल में हमने लगभग 1,300 मंदिरों का अभिषेक किया है. कई ऐसे छोटे गांव के मंदिर हैं जहां उनके पास मंदिर के रखरखाव के लिए पैसे नहीं है और हमारी सरकार ने उन्हें लगभग 130 करोड़ रुपये दिए हैं. पहले इन लोगों को 1 लाख रुपये मिलते थे, लेकिन इसे दोगुना कर 2 लाख रुपये कर दिया गया है.
आज लगभग 13,000 से ज्यादा मंदिर अस्तित्व में हैं और वहां पूजा हो रही है क्योंकि सरकार ने इसके लिए फंड दिए हैं. तो आप (बीजेपी) कैसे कह रहे हैं कि हम हिंदू विरोधी हैं?
तमिलनाडु के लोग समझ गए हैं कि धर्म एक बहुत ही निजी चीज है और हम धर्म को राजनीति में नहीं ला सकते. क्योंकि आप सरकार से धर्म बचाने की चाहत नहीं रखते बल्कि यह उम्मीद रखते हैं कि सरकार आपके धर्म के अनुपालन के अधिकार की रक्षा करे.
बीजेपी जैसी सरकारें लोगों के लिए कुछ नहीं करती, इसलिए वह धर्म का सहारा लेती है कि लोग उनसे सवाल ना करें.
तमिलनाडु में डीएमके बीजेपी के हिन्दुत्व गेम को कैसे टक्कर देती है?
लोग जानते हैं कि उनके अपने मंदिर की देखभाल कब की जा रही है, और आप देखते हैं कि नवीनीकरण हो रहा है और मंदिर का संचालन पहले से बेहतर हो रहा है.
बीजेपी धर्म की राजनीति करती है, इसलिए वह एक धर्म को एकजुट करके दूसरे धर्म के खिलाफ नफरत फैलाती है. पर मुझे ऐसा लगता है कि लोग अपने निर्णय को लेकर बेहद कॉन्फिडेंट हैं. वे विकास, शिक्षा स्वास्थ्य, उद्योग और रोजगार चाहते हैं. जब सरकारें इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं, तो लोग सरकार से खुश होते हैं और वे उन बातों से प्रभावित नहीं होते जो लोग उन्हें बताते हैं.
अन्नामलाई यहां (तमिलनाडु में) बीजेपी नेता हैं और बीजेपी यह उम्मीद कर रही है कि कम से कम वह जीतें. इसलिए पीएम साउथ का दौरा इतनी बार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री आ रहे हैं और कह रहे हैं कि 'मैं तमिलों के साथ हूं.' लेकिन जब अन्नामलाई कर्नाटक में काम कर रहे थे तो उन्होंने खुद कहा था, 'मुझे तमिल मत कहो. मैं एक कन्नडिगा हूं. मैं तमिल कहलाना नहीं चाहता.'
कम से कम वह ऐसे उम्मीदवार को टिकट देते जो तमिल हो और तमिल कहलाने पर गर्व महसूस करता हो.
तमिलनाडु में चुनाव दो तरफा है या त्रिकोणीय है. क्या AIADMK का बीजेपी से अलग होना डीएमके को फायदा पहुंचाएगी?
मुझे यह दो तरफा मुकाबला लगता है, जिसमें एक तरफ AIADMK और दूसरी ओर DMK है. हालांकि मुझे यकीन है कि लोग यह नहीं मानते कि AIADMK वास्तव में बीजेपी से दूर चली गई है. क्योंकि, उन्होंने (AIADMK) उनके (BJP) के अधिकांश गैर-लोक विधेयक का समर्थन किया है. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि AIADMK के पास लोगों का विश्वास है.
यदि बीजेपी तमिलनाडु में कुछ सीटें जीतती है, तो यह वोट उन्हें AIADMK के साथ उनके गठबंधन के मिलेंगे न कि अपनी योग्यता पर. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि AIADMK और बीजेपी के अलग होने से कोई फर्क पड़ने वाला है.
उत्तर भारत में अपने पिछले चुनाव में अपने इतने बड़े जीत के बावजूद बीजेपी की पकड़ दक्षिण में कमजोर क्यों है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि बीजेपी उन मुद्दों से नहीं जुड़ पा रही हैं जिनकी यहां के लोग परवाह करते हैं. लोग धर्म को राजनीति में नहीं लाना चाहते, लोग एक-दूसरे से नफरत नहीं करना चाहते. वे सदियों से शांति और सद्भाव में रहे हैं और वे आगे भी यही जीवन जीना पसंद करते हैं.
तमिल के लोग प्रगति चाहते हैं. वह चाहते हैं कि उनके बच्चे शिक्षित हों, और उनके बच्चों के पास बेहतर जीवन और सुरक्षा हो.
एक दूसरे से नफरत कर, एक दूसरे से लड़ कर आपने जो कुछ भी बनाया है उसे खोना नहीं चाहते. और शायद बीजेपी इस बात को नहीं समझती.
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