चुनाव आयोग (Election Commission) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) के यूनिक नंबर के साथ राजनीतिक पार्टियों और कंपनियों का डाटा सार्वजनिक कर दिया है. इसके मुताबिक अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 तक कोलकाता स्थित कंपनी केवेंटर ग्रुप (Keventer Group) ने बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) और सहित कई पार्टियों को 616.92 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा दिया है.
केवेंटर्स ग्रुप के स्वामित्व वाली कंपनियां
केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (Keventer Foodpark Infra) ने ₹195 करोड़, मदनलाल लिमिटेड (Madanlal Limited) ₹185.5 करोड़, एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (MKJ Enterprises Limited) ₹192.4 करोड़ और सासमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Sasmal Infrastructure) ने ₹44 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
यह चार कंपनियां, जिन्होंने 2019 और 2024 के बीच चुनावी बांड खरीदे, केवेंटर समूह का हिस्सा हैं और सबके रजिस्टर दफ्तर कोलकाता में एक ही हैं. अब आपको बताते हैं कि केवेंटर समूह के इन चार कंपनियों ने कुल मिलाकर किन पार्टियों को कितने चंदे दिए.
बीजेपी को ₹351.92 करोड़ दिए
कांग्रेस को ₹160.60 करोड़ दिए
तृणमूल कांग्रेस को ₹65.9 करोड़ दिए
समाजवादी पार्टी को ₹10 करोड़ दिए
बीजू जनता दल को ₹10 करोड़ दिए
भारत राष्ट्र समिति को ₹10 करोड़ दिए
आम आदमी पार्टी को ₹7 करोड़ दिए
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को ₹1 करोड़ दिए
शिरोमणि अकाली दल को ₹50 लाख दिए
बीजेपी को दिए लगभग आधा रकम
महेंद्र कुमार जलन की केवेंटर ग्रुप और संबंधित कंपनियों ने चुनावी बांड के रूप में बीजेपी को 351.92 करोड़ रुपये दिए है. यह रकम कंपनी द्वारा सभी पार्टियों को कुल मिला कर दी गई रकम के आधे हिस्से से ज्यादा है. दिलचस्प बात यह है कि यह रकम तब दी गई जब ईडी इस कंपनी पर अपनी कार्रवाई को सख्त किए जा रही थी.
ईडी की जांच शुरू और बीजेपी को मिले 334 करोड़
2017 में, पश्चिम बंगाल सरकार ने मेट्रो डेयरी की अपनी पूरी 47% हिस्सेदारी 85.5 करोड़ रुपये में केवेंटर ग्रूप को बेच दिया. राज्य की हिस्सेदारी बिक्री के तुरंत बाद, केवेंटर समूह ने अपना लगभग 15% शेयर 170 करोड़ रुपये में सिंगापुर स्थित फर्म को बेच दिए, जिससे सरकार पर कंपनी के कम मूल्यांकन के आरोप लगने लगे.
उसके एक साल बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें राज्य सरकार पर केवेंटर मेट्रो डेयरी के शेयरों को गंभीर रूप से कम कीमत पर देने का आरोप लगाया गया. इसके बाद अप्रैल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी.
ठीक इसी वक्त अप्रैल से मई के बीच केवेंटर समूह ने बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के जरीए 334.42 करोड़ का चंदा दिया, वहीं कांग्रेस को 30 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को ₹20 करोड़, समाजवादी पार्टी को ₹10 करोड़ और शिरोमणि अकाली दल को 50 लाख का चंदा दिया.
ध्यान दें कि यह दौर 2019 के आम चुनावों का भी था और दिलचस्प बात यह है कि करोड़ों का चंदा देने वाली केवेंटर फूडपार्क लिमिटेड फर्म ने वित्त वर्ष 2020 में केवल 12.24 लाख रुपये ही प्रॉफिट दर्ज किया है.
अधीर के याचिका खारिज और कांग्रेस के खाते में पहुंचे पैसे
फरवरी 2021 में ईडी ने मेट्रो डेयरी मामले में केवेंटर के कोकलत्ता ऑफिस में छापा मारा. उसी साल जुलाई से अक्टुबर के बीच केवेंटर्स ग्रुप से जुड़ी कंपनी एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 35.4 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा, दिसमें से 27.7 करोड़ रुपए तृणमूल कांग्रेस को दिए और 8 करोड़ रुपए कांग्रेस पार्टी को.
13 जून 2022 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अधिर रंजन चौधरी की दायर याचिका खारिज कर दी और फैसला सुनाया कि बिक्री न तो अवैध थी और न ही मनमानी थी, जिसे सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
उसी साल 2022 से जनवरी 2024 तक चारों कंपनियों ने राष्ट्रीय पार्टियों समेत कई क्षेत्रीय पार्टियों को करोड़ों का चंदा दिया. जिसकी कुल कीमत नीचे लिखी हुई है.
कांग्रेस को ₹122.60 करोड़ दिए
तृणमूल कांग्रेस को ₹18.5 करोड़ दिए
बीजेपी को ₹17.5 करोड़ दिए
बीजू जनता दल को ₹10 करोड़ दिए
भारत राष्ट्र समिति को ₹10 करोड़ दिए
आम आदमी पार्टी को ₹7 करोड़ दिए
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को ₹1 करोड़ दिए
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