Dress Code in Temple's: देश के अलग-अलग हिस्सों में अब मंदिरों में प्रवेश करने के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी ड्रेस कोड लागू करने का ऐलान कर दिया गया है. मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने के पीछे भारत की सनातन संस्कृति को बचाए रखने का तर्क दिया जा रहा है.
कहां-कहां लागू हुआ ड्रेस कोड?
श्री राधा दामोदर मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश
मनकामेश्वर मंदिर,प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
श्री गिलहराज जी मंदिर, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
श्री बालाजी महाराज मंदिर, मुजफ्फरनगर , उत्तर प्रदेश
दक्षेश्वर महादेव मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड
नीलकंठ महादेव मंदिर, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
टपकेश्वर महादेव मंदिर, देहरादून, उत्तराखंड
गोपालकृष्ण मंदिर, धंतोली, नागपुर, महाराष्ट्र
संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर, बेलोरी,नागपुर, महाराष्ट्र
बृहस्पति मंदिर, कनोलीबारा,नागपुर, महाराष्ट्र
दुर्गामाता मंदिर, हिलटाप, नागपुर, महाराष्ट्र
बालाजी मंदिर, अशोक नगर, मध्य प्रदेश
कतील दुर्गापरमेश्वरी मंदिर, दक्षिण कन्नड़,कर्नाटक
पोलाली राजराजेश्वरी मंदिर, दक्षिण कन्नड़,कर्नाटक
गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर, कर्नाटक
जैन मंदिर, शिमला, हिमाचल प्रदेश
जिन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है, वो पुराने हैं, जहां पहले ऐसे कोई प्रावधान नहीं थे. कर्नाटक के मंदिरों में ड्रेस कोड कुछ साल पहले लागू किया गया था. लेकिन बाकी सभी मंदिरों में पिछले कुछ महीनों में ड्रेस कोड लागू करने का ऐलान किया गया है.
क्या ड्रेस कोड लागू किया गया?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, शिमला के जैन मंदिर की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि " सभी स्त्री-पुरुष शालीन वस्त्र पहनकर आएं. छोटे कपड़े, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस, फ्रॉक और आधी जींस आदि पहनने वालों को केवल मंदिर परिसर के बाहर ही पूजा करनी चाहिए."
कुछ ऐसा ही आदेश अन्य मंदिर प्रशासन की तरफ से जारी किया जा चुका है, जिसमें कहा गया है कि ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वालों की एंट्री बैन की जा सकती है.
हालांकि, ड्रेस कोड सभी भक्तों पर लागू होता है,लेकिन मंदिर प्रशासन के बयानों से संकेत मिलता है कि यह मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए है.
'छोटे कपड़ों में महिलाएं दूसरों का ध्यान भटकाती हैं'
16 मई को, मुजफ्फरनगर बालाजी मंदिर समिति की एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें भक्तों, विशेषकर लड़कियों और महिलाओं को मंदिर परिसर में "अश्लील" कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
मंदिर प्रशासन के इस कदम की जानकारी देते हुए मंदिर के कानूनी सलाहकार आलोक शर्मा ने मीडिया को बताया कि "आज युवा कोई भी (प्रकार के) कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करते हैं. इस तरह के कपड़े पहनकर मंदिर में आना अशोभनीय है. जिससे मंदिर के अन्य भक्त परेशान हो जाते हैं."
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा ने कहा, "हमने देखा है कि कुछ महिलाएं जो छोटे कपड़ों में भगवान के दर्शन के लिए आती हैं, दूसरों को विचलित करती हैं. पूजा करते समय महिलाओं के सिर को ढंकना चाहिए. मंदिर एक पवित्र स्थान है, और हम सभी को उस स्थान की गरिमा को बनाए रखना चाहिए."
मुस्लिमों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध
18 मई को अलीगढ़ के श्री गिलहराज जी मंदिर में भी इसी तरह के पोस्टर लगाए गए थे. यह मंदिर नाथ संप्रदाय की अखिल भारतीय अवधूत योगी महासभा के अंतर्गत आता है, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं.
अलीगढ़ जिले के 100 से अधिक मंदिर अखिल भारतीय अवधूत योगी महासभा के अंतर्गत आते हैं. लेकिन, ड्रेस कोड के अलावा, मंदिर में मुसलमानों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई.
पिछले 17 साल से मंदिर के महंत के तौर पर काम कर रहे योगी कौशलनाथ ने मीडिया को बताया कि मंदिर प्रशासन ने दो अहम फैसले लिए हैं- पहला मंदिर में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक, दूसरा ड्रेस कोड सिस्टम लागू किया.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक पाण्डेय ने दोनों फैसलों का स्वागत करते हुए दावा किया था कि, "देश में लव जिहाद की घटनाएं बढ़ रही हैं और धार्मिक स्थलों में अश्लीलता निश्चित रूप से सनातन के लिए चिंता का विषय है."
कुछ ऐसे ही निर्णय अन्य राज्यों के मंदिर प्रशासन ने लिया है. हालांकि, अब कई राज्यों में मंदिर प्रशासन के द्वारा सरकार से पूरे प्रदेश में ड्रेस कोड लागू करने की मांग की जा रही है.
(इनपुट-पीयूष राय और मीनाक्षी शशिकुमार)
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