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BJP में 'दाग' अच्छे हैं? विपक्ष में रहे तो ED-CBI के मारे, दल-बदलकर 'दाग' धुल गए?

Janab Aise Kaise: विपक्ष वाले बार-बार बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहते हैं. इधर से भ्रष्टाचारी डालो, उधर से देशभक्त निकालो. लेकिन क्या ये सच है?

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भारत
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ये विपक्ष वाले बार-बार बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहते हैं. इधर से भ्रष्टाचारी डालो, उधर से देशभक्त निकालो. लेकिन क्या ये सच है? या ये विपक्षी पार्टियां खुद की कमी छिपाना चाहती हैं?

हम आपको बताएंगे कि कैसे पहले विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी, सीबीआई या कहें सरकारी जांच एजेंसी एक्शन लेती हैं. फिर बीजेपी उनके खिलाफ आरोप लगाती है और फिर वही बीजेपी उन कथित दागदार नेताओं के दाग अपनी पार्टी में लाकर धो देती है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

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देश का सबसे बड़ा चुनाव आपके सामने है, नेता दल बदल रहे हैं.. भागमभाग मची है.... सुबह जो नेता सामने वाली पार्टी को संविधान विरोधी होने का सर्टिफिकेट बांट रहे थे, शाम होते ही उसी पार्टी में शामिल होकर मेंबरशिप की पर्ची कटा रहे हैं.. विपक्षी पार्टियां हल्ला कर रही हैं कि केंद्रीय जांच एजेंस‍ियों के बेजा इस्‍तेमाल हो रहा है, लेकिन क्या इन आरोपों में दम है?

क्रोनोलॉजी समझिए

एक नेता हैं, महाराष्ट्र से आते हैं. यूपीए सरकार के समय भारत के एविएशन मिनिस्टर रह चुके हैं. एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय के कथित घोटाले में इनकी भूमिका संदिग्ध थी. नाम है प्रफुल्ल पटेल. जुलाई 2023 में शरद पवार का साथ छोड़कर, शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए. एनडीए में शामिल होने के ठीक 8 महीने बाद, CBI ने एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है.

बता दें कि 2017 में इस मामले में सीबीआई ने पहली FIR दर्ज की थी. जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने अभियुक्त की जगह पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के साथ प्रफुल्ल पटेल के नाम का जिक्र किया था. FIR में कहा गया कि भारत के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बड़ी संख्या में विमानों को किराए पर दिया.

बीजेपी के 'सफाई अभियान' के जरिए लाभ उठाने वाले नेता

बीजेपी के साथ जाने वाले नामों की लिस्ट में ताजा नाम है नवीन ज‍िंंदल. इनके खिलाफ सीबीआई और ईडी ने चार्जशीट दायर कर रखी है. यूपीए सरकार के जिस कोयला घोटाले का जिक्र पीएम मोदी अपने भाषणों में करते आए हैं, उस केस में नवीन जिंदल का भी नाम था.

नवीन जिंदल पर 2016 और 2017 में दो अलग-अलग कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों में सीबीआई ने चार्जशीट दायर की थी. ईडी, जिसने नवीन जिंदल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच की थी, उसने भी मामले में आरोप पत्र दायर किया था. एक मामले में आरोप तय हो चुके हैं. बता दें कि ईडी ने अप्रैल 2022 में कथित विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले में जिंदल स्टील एंड पावर और नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था. अब मार्च 2024 में नवीन जिंदल बीजेपी में शामिल हो गए और कुछ ही घंटों बाद लोकसभा चुनाव के लिए ट‍िकट भी पा गए.

यहां दो सवाल है- क्या अब बीजेपी कथित कोयला घोटाले पर चुप रहेगी. दूसरा- क्या नाम बदलने की राजनीति में 'भ्रष्टाचार' का भी नाम बदलकर 'शिष्टाचार' कर दिया गया है?
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एक और नाम है. अशोक चव्हाण. हाउसिंग घोटाले से लेकर बीजेपी के घर-परिवार का हिस्सा बनने की कहानी देखिए. कभी महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे. मुंबई के आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट आवंटन से जुड़े केस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं. ईडी ने सीबीआई की एफआईआर पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की और उनसे पूछताछ की थी. अशोक चव्हाण फरवरी 2024 में बीजेपी में शामिल हो गए.

अब कुछ पुराने नाम से आपको मिलवाते हैं, जिनके नाम घोटालों में तो आए लेकिन बीजेपी में जाने के बाद जांच और एक्शन बस नाम बराबर ही दिखी.

उदाहरण देखिए

सुवेंदु अधिकारी, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में कद्दावर मंत्री रहे. सुवेंदु अधिकारी से सीबीआई ने शारदा घोटाले में पूछताछ शुरू की थी. उन पर आरोप था कि शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से फेवर लिया था. सुवेंदु पर बाद में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने का आरोप लगा. सुवेंदु अधिकारी का एक कथित स्टिंग ऑपरेशन सामने आया था. स्टिंग ऑपरेशन में टीएमसी नेताओं को कथित तौर पर एक काल्पनिक कंपनी का पक्ष लेने के लिए कैश डिलीवरी स्वीकार करते या बातचीत करते हुए कैमरे पर कैद किया गया था.

  • बता दें कि 2017 में नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की. तब सुवेंदु अधिकारी सांसद थे.

  • अप्रैल 2019 में सीबीआई ने लोकसभा अध्यक्ष से एक्शन की मंजूरी मांगी.

  • दिसंबर 2020 में सुवेंदु बीजेपी में शामिल हो गए.

  • तब से लेकर अबतक स्पीकर से मंजूरी नहीं मिली. फिलहाल सुवेंदु बंगाल से बीजेपी विधायक हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.

पुराने नाम में एक और नाम है हिमंत बिस्वा सरमा. असम में कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री थे. हिमंत बिस्वा सरमा का नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आया. बिस्वा को 2014-15 में शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई की पूछताछ और छापेमारी का सामना करना पड़ा. सरमा पर आरोप था कि उन्होंने शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से पैसे लिए.

  • अगस्त 2014 में सीबीआई ने सरमा के आवास पर छापा मारा

  • नवंबर 2014 में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की

  • 9 महीने बाद अगस्त 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए.

  • और तब से आज तक इस मामले पर किसी तरह के एक्शन, पूछताछ की बात सामने नहीं आई है.. फिलहाल हिमंत बिस्वा सरमा बीजेपी में हैं और असम के सीएम हैं.

ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने पाला बदला और केस और आरोपों पर मानो ताला लग गया.

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इंड‍ियन एक्‍सप्रेस में की एक र‍िपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि साल 2014 मतलब जब पहली बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तबसे व‍िपक्ष के ज‍िन 25 नेताओं पर भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप थे, उनमें से 23 बीजेपी में शामिल हो गए और फिर उनके खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियों की जांच या तो ठंडे बस्ते में चली गई या उन्हें आरोपों से आजादी मिल गई.

जो 25 में से 23 नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं वो किस पार्टी से थे आप भी देखिए-

  • 10 कांग्रेस

  • चार एनसीपी

  • चार श‍िवसेना

  • तीन टीएमसी

  • दो टीडीपी

  • एक समाजवादी पार्टी और

  • एक वायएसआरपी

चलिए अब आपको उन भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं की लिस्ट दिखाते हैं जो दूसरी पार्टी से बीजेपी या एनडीए में आए और फिर जांच एजेंस‍ियों की कार्रवाई या तो बंद हो गई या जांच एजेंसी ने अपनी आंख बंद कर ली.

  • प्रफुल पटेल

  • अजित पवार

  • अशोक चव्हाण

  • हिमंत बिस्वा सरमा

  • सुवेन्दु अधिकारी

  • प्रताप सरनाईक

  • हसन मुशरिफ

  • कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रनिंदर सिंह

  • इफ्तार पार्टी देने वाले बाबा सिद्दीकी

  • संजय सेठ - समाजवादी से बीजेपी

  • सीएम रमेश

  • के गीता

  • सोवन चटर्जी

  • छगन भुजबल

  • कृपाशंकर सिंह

  • दिगंबर कामत

  • तापस रॉय

  • नवीन जिंदल

  • अर्चना पाटिल

  • भावना गवली

  • गीता कोड़ा - जेल में जाने वाले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी

भ्रष्टाचार पर पानी पी पीकर हमला करने वाली बीजेपी फिलहाल कह रही होगी- टेढ़ा है पर मेरा है और ये दाग अच्छे हैं... लेकिन लोग पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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