जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के घर और दफ्तर पर ED ने छापा मारा है. मुबई और दिल्ली में करीब एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की गई. सूत्रों ने बताया कि ये रेड इंटेलीजेंस और अलग-अलग शिकायतों के आधार पर की गई थी. ईडी के अधिकारी ने बताया कि यह रेड विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत की गई है. सूत्रों ने जुलाई में कहा था कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जांच में कंपनी के कोष को इधर उधर करने समेत व्यापक स्तर पर अनियमितता का पता चला था.
सूत्रों के मुताबिक, गोयल के बिजनेस एंपायर में 19 प्राइेवट कंपनियां हैं, जिसमें से 14 भारत में रजिस्टर हैं और 5 विदेश में. गोयल ने 1992 में आइल ऑफ मैन में M/s Tail Winds Corporation नाम से एक कंपनी शुरू की थी, जो जेट एयरवेज की सभी फाइनेंशियल एक्टिविटी कंट्रोल करती है. ईडी हसमुख दीपचंद गर्दी की भी जांच कर रही है, जिसने Tail Wind में काफी पैसा इन्वेस्ट किया था और अब वो दुबई में रहता है.
जेट एयरवेज नकदी संकट के बाद 17 अप्रैल से परिचालन से बाहर है, नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने मार्च में जेट एयरवेज के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था. जिस शख्स ने जेट एयरवेज को बनाया और 25 साल तक चलाया, उसी नरेश गोयल को एयरलाइंस को बचाने के लिए अपनी कंपनी के चेयरमैन पद से हटना पड़ा था.
क्या है जेट के बंद होने की कहानी
जेट एयरवेज 8,500 करोड़ रुपये के कर्ज के तले डूबी हुई है. साल 2010 से जेट एयरवेज लगातार घाटे में थी. नुकसान और कर्ज बढ़ने के बाद देनदार एयरलाइंस को और पैसा देने से मुकर गए. धीरे-धीरे कंपनी के पास कर्मचारियों की सैलरी और तेल के लिए भी पैसा नहीं बचा. इसके बाद कंपनी को अपनी उड़ानों की संख्या कम करनी पड़ी. जेट ने 118 के बजाय जेट 7 विमानों से काम चलाने लगी. आर्थिक स्थिति हद से ज्यादा खराब होने के बाद निवेशकों और लेंडर्स ने चेयरमैन नरेश गोयल को पद से हटने के लिए कहा. नरेश गोयल कंपनी से हट गए फिर भी न तो लेंडर्स और न ही किसी निवेशक ने पैसा दिया.
कंपनी के पास जब तेल तक के लिए भी पैसा नहीं बचा, तो 18 अप्रैल से सभी उड़ानें बंद कर दी गईं.
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