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मीडिया में #MeToo पर सख्त हुआ एडिटर्स गिल्ड, जारी किए निर्देश

गिल्ड ने मीडिया संस्थानों से यौन उत्पीड़न / हमले के मामलों में दोषी पाए गए लोगों को सजा देने की बात कही है.

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भारत में #MeToo अभियान के तहत कुछ पत्रकारों पर लग रहे आरोपों के मद्देनजर देश में मीडिया संस्थानों के संपादकों के एसोसिएशन 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. गिल्ड ने पुरुष सहकर्मियों द्वारा महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर एक बयान जारी करते हुए मीडिया संस्थानों को कड़े निर्देश दिए हैं.

निर्देश में कहा गया है, 'संस्थान अपने यहां दर्ज किए गए सभी शिकायतों पर निष्पक्ष जांच करें. साथ ही यौन उत्पीड़न / हमले के मामलों में जो भी दोषी पाया जाए, उसे सजा दी जाए.'

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एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता के बयान के बाद #MeToo अभियान के भारतीय वर्जन का असर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के अलावा मीडिया जगत में भी बड़े पैमाने पर देखने को मिला है. कई मीडिया संस्थानों मेंं बड़े ओहदे पर काबिज लोगों पर उन संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं.

एडिटर्स गिल्ड का बयान:

"एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ अपने पुरुष सहकर्मियों द्वारा महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न और हमले की घटनाओं पर चिंता और निराशा व्यक्त करता है. यह ऐसे पुरुषों के सभी हिंसक आचरण की साफ तौर पर निंदा करता है. यह और भी बदतर है, जब अपराधी अपने पेशे में सीनियर या सुपरवाईजर जैसे पदों पर आराम से काम कर रहे हैं.

गिल्ड उन महिला पत्रकारों के प्रति आभार और एकजुटता व्यक्त करता है, जिन्होंने इन अहम मुद्दों को सार्वजनिक बहस में लाने के लिए हिम्मत दिखाई है.

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गिल्ड यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है कि पीड़ितों या आरोपी के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन न हो. प्रेस की आजादी को फलने-फूलने के लिए एक निष्पक्ष और सुरक्षित कामकाजी माहौल जरूरी है. हमारे पेशे में न्यूजरूम तुलनात्मत तौर पर अनौपचारिक, उन्मुक्त और पवित्र जगह है. इसे सुरक्षा दी जानी चाहिए. गिल्ड उन सभी महिला पत्रकारों को अपना पूरा समर्थन देता है, जिन्हें शारीरिक या मानसिक तौर पर यौन शोषण का शिकार होना पड़ा या इस वजह से उनके करियर में नुकसान पहुंचा.

गिल्ड सभी मीडिया संगठनों को निर्देश देता है कि वे अपने यहां रिपोर्ट किए गए ऐसे सभी मामलों की निष्पक्ष जांच करें. यह हम सभी के लिए हमारे इंटरनल प्रोसेस को मजबूत करने का समय है. इसमें कर्मचारियों की ट्रेनिंग और जागरूकता में सुधार शामिल है. ये कानूनी तौर पर और उससे भी परे जरूरी है. यौन उत्पीड़न या हमले के दोषी पाए गए किसी को भी कानून में दिए गए प्रावधानों के तहत सजा दी जानी चाहिए.

जहां तक जेंडर की बात है, न्यूजरूम काम करने की सबसे समावेशी जगह है. मीडिया लीडर्स के तौर पर यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि यह सभी के लिए सुरक्षित और निष्पक्ष रहे, खासकर महिलाओं के लिए."

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