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पेगासस जासूसी मामले में एडिटर्स गिल्ड की SC में याचिका, SIT जांच की मांग

Editors Guild ने कहा- प्रेस की स्वतंत्रता सरकार द्वारा पत्रकारों की रिपोर्टिंग में गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है

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पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spyware) को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें पत्रकारों, एक्टिविस्टों, नेताओं के कथित जासूसी के आरोपों की विशेष जांच दल (SIT) से जांच की मांग की गई है. साथ ही ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग है.

साथ ही अदालत से मांग की गई है कि वो स्पाइवेयर कॉन्ट्रैक्ट पर सरकार से डिटेल और टारगेटेड लोगों की लिस्ट भी मांगे. कोर्ट इस मामले में 5 अगस्त को सुनवाई करेगा.

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LiveLaw के अनुसार एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपने याचिका में कहा है कि,

"प्रेस की स्वतंत्रता सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा पत्रकारों की रिपोर्टिंग में गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है. इसमें सूत्रों के साथ सुरक्षित और गोपनीय रूप से बोलने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने और सरकार का विरोध करने वालों के साथ बात करने की उनकी क्षमता शामिल है."

पेगासस विवाद में कई याचिका SC के सामने 

पेगासस स्पाइवेयर विवाद के संबंध में कई अन्य लोगों ने भी शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार भी शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की बेंच 5 अगस्त को पेगासस 'स्नूपगेट' की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

इसके साथ साथ सुप्रीम कोर्ट में सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास और एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी याचिका दायर की हैं.

बता दें कि ऑनलाइन समाचार पोर्टल द वायर द्वारा 'पेगासस प्रोजेक्ट' के तहत प्रकाशित रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में कई पत्रकार, कार्यकर्ता, विपक्षी नेता और यहां तक ​​कि वर्तमान केंद्रीय मंत्री भी निगरानी के संभावित लक्ष्य हो सकते हैं. जांच में शामिल मीडिया संस्थानों ने कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा कुछ सेलफोनों के फोरेंसिक विश्लेषण में पेगासस की मदद से 'सिक्योरिटी ब्रीच' का सबूत मिला है.

दूसरी तरफ सरकार ने भारी हंगामे के बाद जासूसी के आरोपों को सिरे से नकार दिया है और इसे 'भारत के लोकतंत्र और इसके सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम' करने का प्रयास कहा है.

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