ब्रिटेन के एक सीनियर नेता ने दावा किया है कि भारत सरकार ने उन्हें यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का निमंत्रण दिया था, लेकिन बाद में वापस ले लिया.
यूरोपीय संसद (MEP) के लिबरल डेमोक्रेट सदस्य क्रिस डेविस ने कहा कि अभी वो कश्मीर दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होते, लेकिन सरकार ने उनसे निमंत्रण वापस ले लिया क्योंकि उन्होंने पुलिस सुरक्षा के बिना कश्मीर के स्थानीय लोगों से बात करने की मांग की थी.
बता दें, यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन की यात्रा पर मंगलवार को श्रीनगर पहुंचा है. वहां सरकारी अधिकारी उन्हें कश्मीर की जमीनी हकीकत के बारे में जानकारी दे रहे हैं. वहां उनकी स्थानीय लोगों से भी मुलाकात होगी.
अधिकारियों के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से 27 सांसद शामिल थे, जिनमें से ज्यादातर दक्षिणपंथी या दक्षिणपंथी पार्टियों से थे, लेकिन चार सांसद कश्मीर यात्रा पर नहीं गए. वो अपने-अपने देश लौट गए.
लिबरल डेमोक्रेट के सदस्य डेविस ने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत सरकार 'अपनी सच्चाई' को छिपाने और मीडिया की पूरी आजादी को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रही थी.
“मैं मोदी सरकार के लिए एक पीआर स्टंट में हिस्सा लेने के लिए तैयार नहीं हूं और न ही ये दिखावा कर सकता हूं कि सब ठीक है. ये बहुत स्पष्ट है कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कश्मीर में खत्म किया जा रहा है और दुनिया को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.”क्रिस डेविस, यूरोपीय सांसद
“ऐसा क्या है जिसे भारत सरकार को छिपाना पड़ रहा है? पत्रकारों और नेताओं को स्थानीय लोगों से बात करने की खुली छूट क्यों नहीं? मैं इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम में हजारों लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिनका कश्मीर के साथ पारिवारिक संबंध हैं. वो कश्मीर में अपने रिश्तेदारों से खुलकर बात करना चाहते हैं.”क्रिस डेविस, यूरोपीय सांसद
कश्मीर यात्रा से एक दिन पहले 28 अक्टूबर यूरोपीय संसद के सभी 27 सदस्यों ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. पीएमओ की ओर से कहा गया कि यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल की जम्मू-कश्मीर यात्रा से लोगों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्र के सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी.
(इनपुटः PTI)
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