ADVERTISEMENTREMOVE AD

केदारनाथ के पट खुले- कौन कर सकता है यात्रा,कैसे पहुंचें,कितनी है ट्रेकिंग?

Kedarnath Dham के पट शुक्रवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में खोल गए

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

उत्तराखंड में केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट खुल चुके हैं. इस दौरान शुक्रवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की मौजूदगी में पूजा-अर्चना की गई.

बता दें केदारनाथ मंदिर, 12 शिवलिंग मंदिरों में से एक है. यह मंदिर 6 महीने खुला रहता है, जबकि साल के दूसरे 6 महीने यह बंद रहता है. लेकिन कोरोना के चलते 2020 से यहां श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं थी. अगर आप भी केदारनाथ की यात्रा करने का विचार बना रहे हैं, तो पहले कुछ जरूरी जानकारी जान लें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कौन कर सकते हैं यात्रा

उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने कोविड महामारी के चलते श्रद्धालुओं की संख्या निश्चित की हुई है. रोजाना 12,000 श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन की अनुमति होगी. जबकि बद्रीनाथ में 15,000 और गंगोत्री में 7,000 व यमुनोत्री में 4,000 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई है.

इसके लिए श्रद्धालुओं को कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट या कोरोना नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट दिखाना जरूरी नहीं है, बता दें उत्तराखंड में फिलहाल कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में है.

कैसे पहुंचे केदारनाथ

केदारनाथ धाम उत्तराखंड मे स्थित है. यहां सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो करीब 201 किलोमीटर दूर स्थित है. लेकिन बड़ा स्टेशन हरिद्वार है, जो तकरीबन 225 किलोमीटर की दूरी पर है. वहां से आप टैक्सी या चमोली के रास्ते गोपेश्वर जाने वाली बस से सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं. सोनप्रयाग से गौरीकुंड महज 5 किलोमीटर बचता है, यहां स्थानीय वाहन उपलब्ध होते हैं. गौरीकुंड से ही केदारनाथ की चढ़ाई शुरू होती है. इस यात्रा में करीब 12 घंटे लगते हैं.

गौरीकुंड से आखिरी की 16 किलोमीटर की यात्रा पैदल करनी होती है, इस दौरान यात्री खच्चर की सवारी करना भी चुन सकते हैं. अगर आप पैदल जाना चाहते हैं, तो चढ़ाई वाली यह यात्रा सुबह 8 बजे गौरीकुंड से शुरू होती है, शाम तक आप केदारनाथ पहुंच सकते हैं. इसके लिए आप गुप्तकाशी, सोनभद्र या गौरीकुंड कहीं लॉकर व्यवस्था का भी लाभ ले सकते हैं.

दूसरी तरफ गुप्तकाशी से सीधे केदारनाथ के लिए हेलिकॉप्टर सेवा बी शुरू की गई है. इसका किराया राउंडट्रिप में तकरीबन 7750 रुपये है.

यह तो हुआ पहला तरीका, जिसमें आपकी यात्रा हरिद्वार या ऋषिकेश से शुरू होती है. दूसरा तरीका जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून वाला है. आप प्लेन से देहरादून के पास स्थित इस हवाई अड्डे तक पहुंच सकते हैं. फिर यहां से टैक्सी या कैब से केदारनाथ पहुंच सकते हैं.

आराम की व्यवस्था

केदारनाथ पहुंचने के लिए गौरीकुंड से पैदल यात्रा करने वाले धाम में एक या दो दिन रहते हैं, ताकि आराम कर सकें. वहां पर पर्याप्त धर्मशालाएं मौजूद हैं. वहीं नीचे गौरीकुंड, गुप्तकाशी और दूसरी जगहों पर होटल सेवा भी उपलब्ध हैं.

हरिद्वार से गौरीकुंड का रास्ता करीब 12 घंटे का है, ऐसे में यह पहाड़ी रास्ता दुर्गम साबित हो सकता है. इसलिए यात्रियों को रास्ते में श्रीनगर या देवप्रयाग में रुकने की सलाह दी जाती है और अगले दिन बची हुई यात्रा करने को कहा जाता है. श्रीनगर और देवप्रयाग भी देखने वाली जगह हैं, साथ ही वहां रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में होटल मौजूद हैं.

उत्तराखंड में पंच प्रयाग काफी प्रसिद्ध हैं, जहां अलग-अलग नदियां एक-दूसरे में मिलती हैं. हरिद्वार से गौरीकुंड के रास्ते में पड़ने वाली अहम जगह और उनकी दूरी कुछ इस तरह है-

  • हरिद्वार से ऋषिकेश- 24 किलोमीटर

  • ऋषिकेश से देवप्रयाग- 71 किलोमीटर

  • देवप्रयाग से श्रीनगर- 35 किलोमीटर

  • श्रीनगर से रुद्रप्रयाग- 32 किलोमीटर

  • रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी- 45 किलोमीटर

  • गुप्तकाशी से सोनप्रयाग- 31 किलोमीटर

  • सोनप्रयाग से गौरीकुंड- 5 किलोमीटर

मौसम के लिए रहें तैयार, ट्रेकिंग में बरतें जरूरी सावधानी, ले जाएं जरूरी सामान

जैसा ऊपर बताया गया है, आप ट्रेकिंग के पहले अपने सामान को गौरीकुंड में लॉकर में रख सकते हैं. ट्रेकिंग में जितना कम सामान होगा, उतना बेहतर होगा. रास्ते में आपको खाने-पीने की व्यवस्था और टॉयलेट सुविधाएं भी मिल जाएंगी.

याद रखें ट्रेकिंग के लिए बेहतर ट्रेकिंग या स्पोर्ट शूज का इस्तेमाल करें, जो ग्रिप बनाने में मददगार रहते हैं. साथ में जरूरी मेडिसिन, ओआरएस घोल और पानी जरूर रखें. हल्का-फुल्का खाने का सामान भी रखा जा सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी के लिए, जैसे रात होने की स्थिति में चढ़ाई-उतार के लिए माचिस, टॉर्च वगैरह भी रखें. कई बार बारिश की संभावना भी होती है, ऐसे में रेनकोट रखना ना भूलें.

इसके अलावा पूरे टूर के लिए ठंडे और हल्के दोनों ही तरह के कपड़ें रखें. हालांकि इस मौसम में शीत ऋतु जितनी ठंड तो नहीं होती, पर ऊंचाई पर सुबह और रात के वक्त ठंड लग सकती है. इसलिए तैयारी पूरी कर रखें.

पढ़ें ये भी: केदारनाथ धाम के कपाट खुले, एक दिन में 12 हजार लोग कर पाएंगे दर्शन

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×