केंद्र सरकार ने गुरुवार, 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के तहत आरक्षण का लाभ उठाने के लिए 8 लाख रुपये वार्षिक आय के मानदंड पर फिर से विचार करेगी. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को इस बारे में जानकारी दी और इसके लिए चार सप्ताह का समय मांगा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक महीने का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी. तब तक नीट की काउंसलिंग नहीं होगी.
गौरतलब है कि पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स के लिए सीटों में अखिल भारतीय कोटा (AIQ) में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका में तीन-जजों की बेंच के समक्ष केंद्र ने जवाब प्रस्तुत किया है.
मापदंड पर दोबारा गौर करने के लिए केंद्र सरकार गठित करेगी कमेटी
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संवैधानिक संशोधन को टालना अंतिम उपाय होना चाहिए, लेकिन मेडिकल एडमिशन के मद्देनजर केंद्र को EWS कोटे मानदंड पर फिर से विचार करने में चार सप्ताह लगेंगे और तब तक पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया स्थगित किया जाएगा.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार मानदंडों पर फिर से विचार करने के लिए एक समिति का गठन करेगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2021 को एक नोटिस जारी कर 50 फीसदी AIQ सीटों पर OBC को 27 फीसदी और EWS को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था. लेकिन एडवोकेट सुबोध एस पाटिल के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह आरक्षण का प्रावधान 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया है कि यह दिखाने के लिए कोई डेटा नहीं है कि ओबीसी का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है और जब इसकी कोई मांग नहीं है, तो ओबीसी और EWS के लिए कोटा प्रदान करना "उचित नहीं है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)