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किताब विवाद पर पूर्व आईएसआई चीफ को देश छोड़ने से रोका 

किताब में कहा गया है कि आईएसआई मोदी की जीत से खुश थी ताकि भारत की कट्टरपंथी छवि पेश की जा सके

Published
भारत
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रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत के साथ संयुक्त रूप से किताब लिखने के मामले में आईएसआई के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी को देश छो़ड़ने से रोक दिया गया है. कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने सोमवार को दुर्रानी के खिलाफ यह आदेश जारी किया.

दुर्रानी ने अगस्त 1990 से मार्च 1992 के बीच आईएसआई की अगुवाई की थी. उन्होंने रॉ प्रमुख आर एस दुलत के साथ मिल कर‘द स्पाई क्रॉनिकल्स : रॉ, आईएसआई एंड इल्यूजन आफ पीस' लिखी है. इसे हाल में ही भारत में जारी किया गया था.

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कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के फैसले ने रोका विदेश जाना

पाकिस्तानी सेना के मीडिया विभाग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के बयान के मुताबिक दुर्रानी को सोमवार को उनकी किताब को लेकर उनका रुख जानने के बारे में सामान्य मुख्यालय (जीएचक्यू) तलब किया गया था. बयान में कहा गया कि सेवारत लेफ्टिनेंट जनरल की अगुवाई में एक औपचारिक कोर्ट आफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है ताकि मामले की विस्तार से जांच हो सके. इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुर्रानी का नाम बाहर जाने पर रोक वाली सूची (ईसीएल) में डालने की कार्रवाई हुई. इस सूची में किसी व्यक्ति का नाम आ जाने पर वह पाकिस्तान छोड़कर बाहर नहीं जा सकता.

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दुर्रानी ने अपनी इस किताब को लेकर उनके 'अपने ही लोगों' पर निराशा जतायी है. किताब विवाद में आने के साथ ही सेना के सेवानिवृत कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने विभिन्न टीवी कार्यक्रमों में दुर्रानी को निशाना बनाया गया है.

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किताब में लिखा था, मोदी के जीतने से आईएसआई खुश थी

द स्पाई क्रॉनिकल्स : रॉ, आईएसआई एंड इल्यूजन आफ पीस' में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व डायेक्टर जनरल असद दुर्रानी और भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व सेक्रटरी ए. एस. दुलत ने कई मुद्दों को फिर से याद किया है.
किताब में यह भी दावा किया गया है कि आईएसआई नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से 'खुश' था. पाकिस्तान की सीक्रेट सर्विस एजेंसी आईएसआई की पहली पसंद मोदी ही हैं. इस बात को विस्तार से समझाते हुए दुर्रानी ने लिखा है कि इसके पीछे मोदी की 'कट्टरपंथी' छवि है, आईएसआई आस लगाए बैठा है कि मोदी कोई ऐसा कदम उठाएंगे जिससे भारत की सेक्युलर छवि को नुकसान पहुंचेगा. उसका पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फायदा होगा.

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