असम में 'विदेशी' घोषित कर दिए गए एक शख्स की मौत के बाद विरोध के तौर पर उसके परिवार ने शव लेने से इनकार कर दिया. डिटेंशन सेंटर में दो साल बिताने के बाद बीमारी की वजह से इस शख्स की मौत हो गई थी.
असम के सोनितपुर जिले के अलिसिंगा गांव के रहने वाले दुलाल चंद्र पाल का रविवार को बीमारी से पीड़ित होने के चलते गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 65 वर्षीय 'मानसिक रूप से अस्थिर' व्यक्ति दुलाल के परिवार ने उसके शव को तब तक लेने से इनकार कर दिया, जब तक कि प्रशासन उसे भारतीय नागरिक घोषित नहीं कर देता.
मृतक के एक बेटे ने द हिंदू को बताया कि अगर उनके पिता बांग्लादेशी थे, तो उन्हें शव को बांग्लादेश भेजना चाहिए था. परिवार के मुताबिक, उन्हें 'मानसिक रूप से अस्थिर' होने के बावजूद साल 2017 में 'विदेशी' घोषित किया गया था. पाल डायबटीज और गुर्दे की बीमारी से भी पीड़ित थे. उन्हें अक्टूबर 2017 से डिटेंशन सेंटर में रखा गया था. उन्हें इस साल 28 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
ये भी पढ़ें- NRC पर बोला बांग्लादेश- अपनी आंखें खुली रखे हुए हैं हम
“हमारे पास साल 1960 बने जमीन के दस्तावेज हैं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हमारे पिता को नजरबंद किया और उनकी मानसिक स्थिति के बारे में नहीं सोचा. चूंकि सरकार ने उन्हें बांग्लादेशी घोषित किया था, इसलिए उन्हें उनका शव बांग्लादेश भेजना चाहिए था.”-आशीष पाल ने द हिंदू को बताया
एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतक के परिवार के सदस्यों को शव स्वीकार करने को मनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से उनके गांव में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा गया है.
राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि 1985 के बाद से अब तक डिटेंशन सेंटर्स में 25 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक 45 दिन का नवजात बच्चा भी शामिल है.
(एनडीटीवी और द हिंदू के इनपुट्स के साथ)
ये भी पढ़ें- कब तक अनिश्चितता और चिंता के साथ जिएंगे NRC से बाहर लोग: चिदंबरम
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)