Farmer Protest: हरियाणा (Haryana) के शाहाबाद में 6 जून को किसानों पर हुई बर्बारतापूर्ण लाठीचार्ज के बाद मामला गर्माता जा रहा है. 12 जून को कुरुक्षेत्र के पिपली में किसानों द्वारा बुलाई गई महांपचायत में हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान शामिल हुए. इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने भी शिरकत की.
किसानों ने NH-44 किया जाम
सोमवार (12 जून) को दोपहर 2 बजे जब सरकार और किसानों के बीच वार्ता का हल नहीं निकला तो, उन्होंने (किसानों) ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) को जाम कर दिया. हजारों की संख्या में किसान, रात को भी हाईवे पर डटे रहे.
किसानों के प्रदर्शन से लोगों को हुई मुसीबत
किसानों के धरने के कारण पिपली की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर जाम रहा. इस कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान, लोगों से अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं. क्विंट हिंदी से बात करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि उनका धरना शांतिप्रिय तरीके से जारी रहेगा.
बड़े आंदोलन की तैयारी में किसान
क्विंट हिंदी से बात करते हुए हिसार निवासी 95 साल के किसान राम सिंह ने कहा, "जब तक सरकार हमारी मांग को पूरा नहीं करती तब तक, हम यहां से हटने वाले नहीं हैं. धरना चाहे एक दिन चले या 4 महीने, हम यहां से जाने वाले नहीं हैं."
दिल्ली में हम बड़े आंदोलन में शामिल रहे हैं और एक बार फिर से हम बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं.राम सिंह, किसान
'365 दिन सड़क पर काटने को तैयार'
पानीपत जिले के किसान सतीश ने कहा, "जिन बुजुर्गों को घर की खाट पर होना चाहिए था. आज सरकार ने उन बुजुर्गों को सड़कों पर लिटा दिया है. हमारी लड़ाई सरकार से MSP को लेकर है, जो हम लेकर रहेंगे.
सतीश ने आगे कहा कि 1 रात तो क्या हम 365 दिन भी सड़क पर काटने को तैयार हैं. 6 जून को शाहाबाद में सरकार ने जो हठधर्मिता दिखाई है, उसका हम पुरजोर विरोध करते हैं.
सरकार से किसानों को आस
अंबाला निवासी युवा किसान दिलजीत सिंह ढींढसा ने कहा कि अन्नदाता उम्मीद पर जीता है और हमें पूरी आस है कि सरकार हमारी मांग मानेगी. क्योंकि किसान जब फसल तैयार करता है तो 6 महीने उसकी आस में रहता है.
सरकार कई तरह की हथकड़ें अपना रही है. लेकिन किसानों के पास एकता है और यही एकता उन्हें जीत दिलाएगी.दिलजीत सिंह ढींढसा, किसान
किसानों का दावा-'सरकार को मनाकर रहेंगे'
एक अन्य किसान रणबीर सिंह ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "हम धरने पर बैठे हैं और जब तक सरकार नहीं मानती, तब तक बैठे रहेंगे. हम सरकार को मनाकर रहेंगे. धरना चाहे कितना भी लंबा क्यों ना चले, हमार संघर्ष सरकार के साथ जारी रहेगा."
वहीं, धरने के पहले दिन सरकार और किसानों की बातचीत हुई, लेकिन किसान अपनी सभी मांगों को मनवाकर तभी धरना खत्म करने की बात कह रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि जब हम 13 महीने दिल्ली के बॉर्डर पर बैठ सकते हैं तो यहां क्यों नहीं.
(इनपुट-परवेज खान)
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