तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कई महीनों से धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन अभी तक कोई समाधान सामने निकलकर नहीं आ सका है. अब किसानों ने संसद के मानसून सत्र के दौरान संसद कूच का ऐलान कर दिया है. किसानों ने 22 जुलाई से संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी. लेकिन दिल्ली पुलिस किसानों के इस फैसले से नाखुश नजर आ रही. दिल्ली पुलिस ने किसानों को संसद के सामने प्रदर्शन करने की मंजूरी नहीं दी.
लेकिन किसानों ने अब यह प्रदर्शन जंतर मंतर में करने का फैसला लिया है और सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार ने इसकी इजाजत भी दे दी है.
संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है. इसी दौरान किसान नेताओं ने संसद के बाहर धरने का प्लान बनाया था, ताकि तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने का उनका आंदोलन सफल हो सके. इसी को लेकर रविवार को सिंधु बॉर्डर के पास दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं की बीच बैठक हुई. इस बैठक में किसान नेता योगेंद्र यादव, डॉ दर्शन पाल, अजीत सिंह समेक 8 से 10 किसान नेता मौजूद रहे. लेकिन किसानों के इस प्रस्ताव को दिल्ली पुलिस ने मंजूरी नहीं दी.
पुलिस ने क्या तर्क दिया
सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं और पुलिस के बीच एक बैठक हुई. इसमें किसान नेताओं के साथ ज्वाइंट सीपी और डीसीपी स्तर के अधिकारी मौजूद रहे. लेकिन दिल्ली पुलिस इस प्रदर्शन से सहमत नजर नहीं आई. पुलिस ने डीडीएमए गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि अभी राजनैतिक सभा की इजाजत नहीं है.
जंतर मंतर में होगा प्रदर्शन
किसानों ने अब इस प्रदर्शन को जंतर मंतर में करने का फैसला लिया है. 200 किसान जिनके पास पहचान पत्र होंगे उन्हें पुलिस अपने साथ बसों में लेकर जंतर मंतर छोड़ेगी और वहां धरना प्रदर्शन किया जाएगा.
दिल्ली सरकार ने दी इजाजत- सूत्र
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने किसानों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जंतर मंतर पर किसान संसद आयोजित करने की इजाजत दे दी है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कल से शुरू होने वाली इस किसान संसद की रणनीति पर मंथन किया. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी जब तक संसद का मानसून सत्र समाप्त होगा.
किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा कि इसमें सब कुछ संसद जैसे चलेगा. इसमें अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभी तय होंगे. बीच में चाय के लिए छुट्टी दी जाएगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)