केंद्र सरकार ने सोमवार, 27 फरवरी को सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) के फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) के लाइसेंस को निलंबित कर दिया है. यह कदम आयकर विभाग द्वारा CPR, ऑक्सफैम इंडिया और इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) के परिसरों का 'सर्वे' किए जाने के पांच महीने बाद उठाया गया, जो कई डिजिटल मीडिया संस्थाओं को फंड देता है.
सीपीआर वेबसाइट के मुताबिक, इसे "भारत सरकार द्वारा गैर-लाभकारी समाज (not-for-profit society) के रूप में मान्यता प्राप्त है, और केंद्र में इसे टैक्स की छूट है. CPR को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से ग्रांट मिलता है, और यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा प्राप्त संस्थान है. सीपीआर विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से ग्रांट लेता है.
इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल 5 सितंबर को जब आयकर विभाग ने सर्वे किया था तब सीपीआर का एफसीआरए पंजीकरण चल रहा था. लाइसेंस 30 सितंबर को समाप्त हो गया था. पिछले साल, फोर्ड फाउंडेशन, ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग, और विकास अध्ययन संस्थान, UK को अपनी वेबसाइट पर डोनर्स के रूप में लिस्ट किया गया था.
आई-टी सर्वे के बाद, सीपीआर ने कहा कि यह सभी स्थानीय कानूनों का अनुपालन कर रहा है. "हम खुद को अनुपालन के उच्चतम मानकों पर रखते हैं और आश्वस्त हैं कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है."
सीपीआर अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी यामिनी अय्यर ने एक बयान में कहा, हम अधिकारियों के किसी भी प्रश्न का समाधान करने के लिए उनके साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बयान में कहा गया है कि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान नेटवर्क परिषद के 24 अनुसंधान संस्थानों में से एक के रूप में, सीपीआर के पास सभी आवश्यक अप्रूवल और सैंक्शंस थे, और सरकार द्वारा एफसीआरए के तहत प्राप्तकर्ता के रूप में अधिकृत किया गया था. संस्थान ने कहा कि उसने आयकर जांच में सहयोग किया है.
सरकार किसी भी एनजीओ के एफसीआरए पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार सुरक्षित रखती है, अगर यह पाया जाता है कि अधिनियम का उल्लंघन किया गया है तो.
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