8 नवंबर, 2016 को हुए नोटबंदी (Demonetisation) को अब पांच साल पूरा हो रहा है, लेकिन इस दौरान देश में नकदी यानी कैश का इस्तेमाल कम नहीं हुआ और अब यह रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है. जहां नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को देश में कुल करेंसी 17.97 लाख करोड़ रुपये की थी, वहीं अब ये बढ़कर 8 अक्टूबर, 2021 तक 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है. इससे पहले मार्च 2020 में करेंसी सर्कुलेशन 24.13 लाख करोड़ रुपये था.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 23 अक्टूबर, 2020 को समाप्त पखवाड़े के लिए, दिवाली से पहले जनता के पास मुद्रा में 15,582 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. साल-दर-साल आधार पर इसमें 8.5 फीसदी या 2.21 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को देश में कुल करेंसी 17.97 लाख करोड़ रुपये की थी. नोटबंदी के तुरंत बाद इसमें भारी कमी भी देखने को मिली, जनवरी 2017 में देश में करेंसी घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपए रह गई थी. लेकिन अब यह फिर से नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई है.
सिस्टम में नकदी लगातार बढ़ रही है, भले ही सरकार और आरबीआई ने "कम नकद समाज", भुगतान के डिजिटलीकरण और विभिन्न लेनदेन में नकदी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया हो.
नकदी में बढ़ोतरी मुख्य रूप से 2020 में देखने को मिली जब लोग नकदी जमा कर रहे थे क्योंकि सरकार ने कोविड महामारी से निपटने के लिए कड़े लॉकडाउन की घोषणा की थी. लोगों ने अपनी किराने और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी जमा करना शुरू कर दिया.
8 नवंबर, 2016 की वो रात
बता दें कि 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान किया था कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट रात 12 बजे से अवैध हो जाएंगे. सरकार की तरफ से इस कदम के पीछे तर्क दिया गया था कि इससे कालाधन पकड़ा जाएगा, कैश ट्रांजैक्शन कम होगा और आतंकवाद पर लगाम लगेगा.
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