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G20 Summit: भारत की सफल मेजबानी और दिल्ली डिक्लेरेशन पर क्या बोली विदेशी मीडिया ?

ब्लूमबर्ग ने लिखा "भारत की G-20 जीत से पता चलता है कि US, चीन को आगे बढ़ने से रोकना सीख रहा है

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G20 की सफल मेजबानी (G20 Summit) कर भारत ने वाहवाही बटोरी है. सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक समेत कई वैश्विक नेताओं ने हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में नई दिल्ली घोषणापत्र (दिल्ली डिक्लेरेशन) को पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया गया. दिल्ली डेक्लेरेशन ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि भारत की मेजबानी में हुए G20 सम्मेलन को लेकर विदेशी मीडिया में क्या छपा है?

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'पिछले साल की तुलना में एक कदम पीछे': न्यूयॉर्क टाइम्स

'द न्यूयॉर्क टाइम्स' के लिए नई दिल्ली से रिपोर्टिंग करते हुए केटी रोजर्स ने G20 सम्मेलन में 'क्या कहा गया और क्या नहीं कहा गया' दोनों पर जोर दिया. उन्होंने रूस की निंदा नहीं करने पर इसे पिछले साल हुए G20 की तुलना में एक कदम पीछे बताया.

सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के रवैये पर उन्होंने लिखा "अपने भारत दौरे पर अधिकांश समय मिस्टर बाइडेन बैकग्राउंड में रहे और मिस्टर मोदी को अधिकांश समय नेतृत्व में रहने दिया.

मिस्टर बाइडेन अपनी छवि विशेष रूप से लोकतंत्र-बनाम-निरंकुशता के विषय से दूर रहे. (एक समय पर जो बाइडेन ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित कई अन्य लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के साथ एक तस्वीर खिंचवाई). वहीं, उनके सलाहकारों ने इस बात पर जोर दिया कि G20 ब्रिक्स जैसे फोरम के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा था.
केटी रोजर्स, न्यूयॉर्क टाइम्स

वाशिंटगटन पोस्ट

वाशिंटगटन पोस्ट ने G20 में यूरोप और इंडिया के कॉरिडोर के अनावरण को लेकर खबर छापी है. नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाई गई 37 पेज की ज्वाइंट डिक्लेरेशन पर वाशिंगटन पोस्ट के मैट विजर और करिश्मा मेहरोत्रा ​​ने पिछले साल के बाली सम्मेलन से तुलना करते हुए लिखा कि दस्तावेज की भाषा रुखी थी. इसकी सबसे दिलचस्प बात यह रही कि कथित तौर पर कैसे यूएस के अधिकारियों ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से सम्मेलन को संबोधित करवाने की कोशिश की लेकिन यह व्यर्थ रहा.

आम सहमति पर बातचीत कठिन थी, विशेषकर यूक्रेन युद्ध के संबंध में भाषा को लेकर. हालांकि, इसने युद्ध के नुकसान और क्षेत्रीय संप्रभुता के महत्व पर ध्यान दिया, लेकिन इसने रूस को दोषी के रूप में संबोधित नहीं किया. पिछले साल बाली में G-20 के दौरान हुई सहमति की तुलना में भाषा कम डायरेक्ट थी.
मैट विजर और करिश्मा मेहरोत्रा, वाशिंगटन पोस्ट

'G20 को बचाने के लिए पश्चिम ने रूस को लेकर बरती नरमी'

यूएस के न्यूजपेपर पोलिटिको ने भी G20 शिखर सम्मेलन के डिक्लेरेशन और यूक्रेन पर रूसी घुसपैठ पर बात नहीं करने पर फोकस किया है. हालांकि, अखबार ने उन डिप्लोमैट्स को लेकर भी बात की, जो G20 की शक्ति और वैधता पर कथित खतरों के बावजूद इसको लेकर आशावादी थे (भारत की अध्यक्षता को लेकर भी).

पोलिटिको के लिए सुजैन लिंच और एलेक्स वार्ड ने लिखा "अधिक गैर-पश्चिमी आवाजें भी आईं. अफ्रीकी संघ को G20 सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा है, भारत की अध्यक्षता ने इस सप्ताह के अंत में इसकी पुष्टि की. ब्राजील, जिसने यहां एक समारोह में प्रतीकात्मक रूप से भारत से G20 की कमान संभाली है, ने संकेत दिया है कि वह लैटिन अमेरिका के लिए अधिक रोल चाहता है.

जैसे-जैसे गैर-पश्चिमी विकासशील देशों का एक नया आत्मविश्वासी समूह अपना दबदबा दिखा रहा है, भू-राजनीतिक शक्ति की गतिशीलता बदल रही है. भारत में G20 शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ बाकी दुनिया के साथ समान लक्ष्य पर काम करने के लिए तैयार हैं.
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क्या 'उदासीन' G20 का कोई भविष्य है?' - अलजजीरा

नई दिल्ली में भारत द्वारा आयोजित G20 शिखर सम्मेलन 2023 को लेकर अलजजीरा संवाददाता जेम्स बेज ने अपने एनालिसिस की पहली पंक्ति में लिखा है "भारत में इस साल के G20 शिखर सम्मेलन की यात्रा कभी आसान नहीं होनेवाली थी.

बेज अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुई कार्यवाही के प्रति उदासीन दृष्टिकोण रखते हैं और नई दिल्ली की घोषणा को उन्होंने "यूक्रेन पर संभवतः सबसे नीरस बयान" बताया है.

G20 पर चीन और पाकिस्तानी मीडिया का रिएक्शन

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के लिए जोसेफिन मा ने G20 शिखर सम्मेलन 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा की गई टिप्पणियों पर फोकस किया है.

जासीफिन मा ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के लिए लिखा- चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने समूह से टकरावपूर्ण नहीं, बल्कि समावेशी बनने का आग्रह किया.

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण चल रहे तनाव के साथ-साथ व्लादिमीर पुतिन की अनुपस्थिति उल्लेखनीय है. नई दिल्ली में आयोजित G20 सम्मेलन को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वैश्विक मंच पर देश के प्रभुत्व का विस्तार करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखा गया. इसने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को मेजबान देश के साथ संबंधों को गहरा करने और विकासशील देशों तक पहुंचने का अवसर भी दिया."
जासीफिन मा, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट
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भारत की G-20 जीत से पता चलता है कि US चीन को आगे बढ़ने से रोकना सीख रहा है": ब्लूमबर्ग

ब्लूमबर्ग के लिए लिखते हुए एलन क्रॉफर्ड और सिल्विया वेस्टॉल ने G20 शिखर सम्मेलन 2023 की संयुक्त डिक्लेरेशन को लेकर विपरीत दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है. उन्होंने 'इंडियाज G20 विंस शोज लर्निंग हाउ टू काउंटर चाइना राइज' से खबर छापी. जिसमें उन्होंने लिखा "भारत को जीत दिलाकर अमेरिका की रूस और चीन को अलग-थलग करने की रणनीति प्रभावी रहा.

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पाकिस्तानी अखबार डॉन के संवाददाता जावेद नकवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि G20 शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन बाइडेन और मोदी दोनों की घरेलू समस्याओं की पृष्ठभूमि में किया जा रहा है. उन्होंने अरुंधति रॉय की टिप्पणियों का हवाला देते हुए लिखा कि "भारत में फासीवाद तेजी से फैल रहा है.".

यदि दिल्ली में संयुक्त घोषणा से यूरोप में शांति की संभावनाएं बनती हैं, तो क्रेडिट का कुछ हिस्सा उचित रूप से नरेंद्र मोदी द्वारा लिया जाएगा. लेकिन इस महीने के अंत में जब उन्होंने संसद का विशेष सत्र बुलाया है तो उनके पास चर्चा करने के लिए बड़े मुद्दे हो सकते हैं. हालांकि, उन्होंने वैश्विक प्रशंसा के बीच यूक्रेन के लिए शांति की वकालत की है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने मणिपुर और कश्मीर के लोगों की पीड़ा को खत्म करने का संकेत नहीं दिया.

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