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GDP पर सरकार ने पूर्व CEA के दावे को किया खारिज

GDP के आंकड़ों को लेकर हुआ था विवाद 

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सरकार ने मंगलवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जीडीपी के आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए थे. सरकार ने कहा कि देश की जीडीपी दर के अनुमान की गणना में उचित तरीके अपनाए गए.

इससे पहले पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने भी जीडीपी के गणना के तरीकों में बदलाव और पिछले साल जारी आंकड़ों पर सवाल उठाया था.

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बढ़ा-चढ़ा कर जारी किए गए GDP आंकड़े, असली आंकड़े 4.5% : पूर्व CEA

हावर्ड यूनिवर्सिटी में प्रकाशित अपने हालिया रिसर्च पेपर में पूर्व सीईए ने कहा कि 2011-12 के दौरान और 2016-17 के बीच वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 4.5 फीसदी थी, जिसे 7 फीसदी बताया जा रहा है.

“तमाम तरह के सबूत बताते हैं कि 2011 के बाद के सिस्टम में बदलाव के कारण ही सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े वास्तविक से ज्यादा और बढ़ा-चढ़ा कर सामने आए हैं.” 
अरविंद सुब्रमण्यन, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार 

सुब्रमण्यन ने सुझाव दिया है कि वित्तवर्ष 2011-12 और 2016-17 के बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास के अनुमान को लगभग 2.5 फीसदी ज्यादा आंका गया है, यह एक ऐसी अवधि है जो यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों के दौरान के सालों को कवर करती है.

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GDP के आंकड़ों को लेकर हुआ था विवाद

देश की आर्थिक वृद्धि को मापने के लिए एक नई जीडीपी नापने का पैमाना सरकार ने लागू किया है, जिससे पिछली यूपीए के दौरान की वृद्धि दर 10.3 फीसदी से घटकर 8.5 फीसदी हो गई है. इस पर काफी विवाद भी पैदा हुआ है. सुब्रमण्यन ने कहा-

“यह रिसर्च पेपर बताता है कि भारत ने 2011-12 के बाद की अवधि के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकलन करने के लिए अपने डेटा सोर्स और सिस्टम को बदल दिया है. इस बदलाव के कारण विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बढ़ा-चढ़ा कर दर्ज हो रहा है.”

रिसर्च पेपर में कहा गया, "आधिकारिक अनुमान में 2011-12 और 2016-17 के बीच सकल घरेलू उत्पाद में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7 फीसदी बताई गई है. हम अनुमान लगाते हैं कि वास्तविक विकास करीब 4.5 फीसदी है, जोकि 3.5 फीसदी-5.5 फीसदी के बीच होगी."

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