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गीतांजलि श्री:Booker के अलावा भी है पहचान, लिख चुकी हैं 5 उपन्यास,मिले कई सम्मान

Geetanjali Shree Booker Prize हासिल करने वाली हिंदी की पहली लेखिका बन गई हैं.

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हिंदी साहित्य को दुनिया में नई पहचान मिली है. गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के एक उपन्यास 'रेत-समाधि' के अंग्रेजी अनुवाद 'टांब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) को बुकर प्राइज 2022 के सम्मान से नवाजा गया है. इसी के साथ गीतांजलि श्री बुकर सम्मान (Booker Prize 2022) हासिल करने वाली हिंदी की पहली लेखिका बन गई हैं.

5 उपन्यास लिख चुकी गीतांजलि को जब ये सम्मान मिला तो उन्होंने कहा कि "इसके बारे में मैंने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था, मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये सम्मान मिलेगा." लेकिन गीतांतलि की प्रसिद्धि केवल इस बुकर प्राइज के चलते नहीं है, बल्कि हिंदी साहित्य और स्त्री विमर्श में उनका योगदान पहचान का असली कारण है.

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5 उपन्यास लिख चुकी हैं गीतांजलि

65 साल की हो गीतांजलि 1987 से ही साहित्य में अपना योगदान दे रही हैं. 1987 में हंस पत्रिका में उनकी पहली कहानी छपी थी, तब से वो लगातार नए-नए शिखर छूती रहीं. उन्होंने कहानियों के अलावा पांच उपन्यास भी लिखे हैं.

पहला उपन्यास, माई: उनकी पहली कृति 'माई' है. ये उपन्यास उत्तर भारतीय मध्य वर्गीय परिवार में महिलाओं और उनके आसपास के पुरुषों की तीन पीढ़ियों का चित्रण करता है. माई का सर्बियाई और कोरियाई सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है. इसका अंग्रेजी में अनुवाद नीता कुमार ने किया है.

दूसरा उपन्यास, हमारा शहर उस बरस: ये उपन्यास नब्बे के दशक में प्रकाशित हुआ था. 1992 में बाबरी मस्दिद विध्वंस के बाद पसरे दुख और मातम को उन्होंने इस रचना में समेटा है. ये सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है.

तीसरा उपन्यात, तिरोहित: इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है.

चौथा उपन्यास, खाली जगह: ये रचना कल्पना और यथार्थ के जोड़ का नायाब नमूना है. ये किताब संवेदनाओं से भरपूर है. इसका अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन में अनुवाद हो चुका है.

पांचवा उपन्यास, रेत-समाधि: गीतांजलि को अपने इसी उपन्यास के लिए बुकर प्राइज मिला है. रेत समाधि, मध्यम वर्गीय परिवार की दिनचर्या, रिश्तों-नातों और सपने को रेखांकित करती है. मां और बेटी के बीच के रिश्ते को रेत समाधी ने बड़ी बारीकी से उकेरा है.

कई उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं गीतांजलि

गीतांजलि श्री को बुकर से पहले, इंदु शर्मा कथा सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. वह संस्कृति मंत्रालय के तहत भारत और जापान फाउंडेशन के लिए काम कर चुकी हैं. उनकी थिएटर में भी रूचि है और काम भी करती है. हिंदी अकादमी ने उन्हें 2000-2001 के साहित्यकार सम्मान से नवाजा था. ये स्कॉटलैंड, स्विट्जरलैंड और फ्रांस में राइटर इन रेजिडेंसी भी रह चुकी हैं.

गीतांजलि की ज्यादातर रचनाओं में स्त्री विमर्श का चित्रण देखने को मिलता है. ये उन लेखिकाओं में शामिल हैं जिनके अंदर स्त्री मन को हू-ब-हू पन्नों पर उकेरने की खूबी है.
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रेत-समाधि

गीतंजलि श्री की 2018 में प्रकाशिक हुई रेत समाधि स्त्री विमर्श के बेहतरीन उपन्यासों में शामिल है. द वायर ने इस उपन्यास के बारे में लिखा है कि ये "हिंदी साहित्य की बंधी-बंधाई परिपाटी को चुनौती देती है". अमेजन पर आम पाठकों की समीक्षाएं देखें तो इसे 54% पाठकों ने 5 स्टार रेटिंग दी है, जबकि 16 फीसदी ने 4 स्टार. वेब दुनिया ने अपनी समीक्षा में लिखा है कि ये उपन्यास हिंदी की परंपरागत लेखन को तोड़ता है.

अब इस किताब को बुकर प्राइज पाने वाली हिंदी की पहली किताब होने का गौरव हासिल है.

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