उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) कथित पुलिस की पिटाई से हुई कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत के बाद सरकार और पुलिस विपक्ष के निशाने पर है. इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मृतक मनीष गुप्ता के परिवार से मुलाकात के लिए कानपुर पहुंचे. अखिलेश यादव ने इस दौरान योगी सरकार और पुलिस पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.
अखिलेश यादव ने मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का ऐलान किया है.
मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा,
पुलिस की जिम्मेदारी है लोगों को सुरक्षा मिले. लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पुलिस सुरक्षा नहीं कर रही है पुलिस लोगों की जान ले रही है. उत्तर प्रदेश में पुलिस का ऐसा व्यवहार किसी की सरकार में देखने को नहीं मिला. पुलिस लगातार बीजेपी की सरकार में लूट और हत्या में शामिल है. समाजवादी पार्टी पूरी तरह से परिवार के साथ है और मुझे उम्मीद है कि जिस दिन यह केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाएगा उस दिन पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा और उदाहरण बनेगा कि इस तरीके की घटना ना हो.
अखिलेश के मृतक के घर पहुंचने से पहले हंगामा
वहीं अखिलेश यादव के मिलने से पहले ही पुलिस मनीष की पत्नी को सीएम से मिलवाने ले जाने के लिए आई थी. इसी दौरान मृतक के घर के बाहर हंगामा हो गया. पुलिस परिवार को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए रवाना हुई तो समाजवादी पार्टी के वर्कर ने विरोध किया.
बताया जा रहा है कि अखिलेश जब मिलने पहुंचे तो वहां पुलिस मौजूद थी, और अखिलेश को घर के बाहर ही इंतजार करना पड़ा. अब खबर आ रही है कि अखिलेश से मुलाकात के बाद मृतक की पत्नी को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए ले जाया गया है.
अखिलेश यादव ने सरकार से मांग करते हुए कहा, "समाजवादी पार्टी की मांग है कि इसकी जांच हो और हाई कोर्ट के सिटिंग जज के उनकी मॉनिटरिंग में घटना की जांच हो. जो दोषी अधिकारी हैं, जो दोषी सिपाही है या और संबंधित लोग हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले. सरकार को मृतक के परिवार को दो करोड़ की मदद देनी चाहिए. सात ही मृतक की पत्नी पढ़ी-लिखी हैं इसलिए उन्हें क्लास वन या क्लास 2 की नौकरी दी जाए."
अखिलेश यादव का योगी सरकार पर बड़ा आरोप
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरते हुए कहा कि सरकार की पहले दिन से कानून व्यवस्था पर नियत साफ नहीं रही है. सबसे ज्यादा कस्टोडियल डेथ बीजेपी सरकार में हो रही है. इसलिए सबसे ज्यादा नोटिस एनएचआरसी ने दिए हैं.
अखिलेश ने गोरखपुर एसएसपी विपिन टाडा पर आरोप लगाते हुए कहा,
यह पुलिस कप्तान वही हैं जिन्होंने अमरोहा में बूथ लूटने का काम किया था. जब आप पुलिस और डीएम से गलत काम करवाओगे तब अंजाम यही होगा. पुलिस और अधिकारियों पर इसीलिए कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि सरकार ने इन्हीं से गलत काम कराएं हैं. जब तक बीजेपी की सरकार है आप पुलिस से न्याय की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.
मायावती ने भी उठाए सवाल
बीएसपी अध्यक्ष और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने भी मनीष गुप्ता की मौत पर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा,
"यूपी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित. घटना की गंभीरता व परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच जरूरी. आरोपी पुलिसवालों के विरूद्ध पहले हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं करना किन्तु फिर जन आक्रोश के कारण मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं करना सरकार की नीति व नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है. सरकार पीड़िता को न्याय, उचित आर्थिक मदद व सरकारी नौकरी दे, बीएसपी की माग."
क्या है पूरा मामला
दरअसल, सिकरीगंज के महादेवा बाजार के रहने वाले चंदन सैनी ने बताया कि, वो बिजनेस करते हैं. उनके तीन दोस्त गुड़गांव से प्रदीप चौहान (32) और हरदीप सिंह चौहान (35) और कानपुर से मनीष गुप्ता (35) गोरखपुर घूमने आए थे. चंदन के मुताबिक सभी दोस्त रियल एस्टेट और अन्य बिजनेस करते हैं. आरोप है कि सोमवार की रात करीब 12.30 बजे रामगढ़ताल पुलिस होटल में चेकिंग करने पहुंची.
पुलिस ने प्रदीप को उन्हें आईडी दिखाने के लिए जगाया. इतने पर प्रदीप ने कहा कि, इतनी रात में यह चेकिंग किस बात की हो रही है. हम लोग क्या आतंकवादी हैं? आरोप है कि इतने पर ही पुलिस ने थप्पड़ मारना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद देखा कि पुलिस वाले साथी मनीष गुप्ता को घसीटते हुए बाहर लेकर आए, वह खून से लथपथ था. इसके बाद पुलिस वाले मनीष को अस्पताल ले गए. जहां उसकी मौत हो गई.
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