चुनावों से पहले सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने मुफ्त एलपीजी कनेक्शन पाने वाले लाभार्थियों से कर्ज की वसूली को टालने का फैसला किया है. इन लाभार्थियों को यह कर्ज रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिए दिया गया था.
जून, 2015 से 3.6 करोड़ महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया गया है. एलपीजी कनेक्शन की 1,600 रुपये की लागत का बोझ सरकार ने उठाया है, जबकि एलपीजी चूल्हा और सिलेंडर की लागत का खर्च लाभार्थियों को उठाना था.
गरीबों की मदद के लिए पेट्रोलियम कंपनियों ने उन्हें एलपीजी स्टोव और भरा सिलेंडर खरीदने के लिए ब्याज मुक्त कर्ज दिया था.
इंडियन आयल काॅर्पोरेशन (आईओसी) ने बयान में कहा कि 2022 तक हर किसी तक एलपीजी की पहुंच बनाने के टारगेट के मद्देनजर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की गई. पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों ने उज्ज्वला लाभार्थियों को एक अप्रैल, 2018 से अगली 6 बार तक सिलेंडर में गैस भराने तक कर्ज वसूली टालने का फैसला किया है.
हालांकि, बयान में इसकी वजह नहीं बताई गई है लेकिन इंडस्ट्रियल सेक्टर पर नजर रखने वालों का कहना है कि ज्यादातर उज्ज्वला लाभार्थी मुफ्त कनेक्शन पाने के बाद सिलेंडर खरीदने को इच्छुक नहीं थे. और अगर उन्हें कर्ज नहीं दिया जाता तो यह योजना कामयाब नहीं होती.
अब चूंकि कर्नाटक में जल्द विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में कर्ज वसूली को टाल दिया गया है. आईओसी ने कहा कि 70 प्रतिशत पीएमयूवाई ग्राहकों ने ब्याजमुक्त कर्ज योजना का फायदा लिया था. कर्ज की वसूली पेट्रोलियम कंपनियां सरकार की ओर से सभी एलपीजी ग्राहकों को दी जाने वाली सब्सिडी के जरिये कर रही हैं.
आईओसी ने कहा कि यह योजना सभी मौजूदा पीएमयूवाई एलपीजी कनेक्शनों पर मिलेगी. ऐसे सभी पीएमयूवाई उपभोक्ता जिन पर 31 मार्च, 2018 तक कर्ज बकाया था, को अगले 6 बार तक सिलेंडर भराने पर कर्ज नहीं लौटाना होगा. वहीं 1 अप्रैल, 2018 से इस योजना से जुड़ने वाले उपभोक्ताओं को भी 6 रिफिल तक बकाया कर्ज की वापसी से छूट होगी.
(-इनपुट भाषा से)
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