एयर इंडिया में सरकार 76 परसेंट हिस्सेदारी बेच देगी, लेकिन सिर्फ हिंदुस्तानी ही इसे खरीद पाएगा. यानी ब्रांड एयर इंडिया भारतीय ही रहेगा.
सरकार ने मंगलवार को एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए बोली कौन लगाएगा इसके लिए सरकार ने गाइडलाइंस तय कर दी हैं.
एयर इंडिया के लिए बोली की शर्तें
- कुछ सालों तक ब्रांड एयर इंडिया बना रहेगा
- बोली लगाने वाले को सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय नागरिक के पास ही कंट्रोल रहे
- एयर इंडिया के लिए बोली लगाने वाली कंपनी की नेट वर्थ कम से कम 5,000 करोड़ रुपए
- मुख्य प्रोमोटर के पास कम से कम 51% हिस्सेदारी होनी चाहिए
- मैनेजमेंट और कर्मचारी भी कंसोर्शियम बनाकर सीधे बोली में हिस्सा ले सकते हैं
टैक्सपेयर्स के पैसे पर जैसे-तैसे अस्तित्व में रहने को संघर्ष कर रही एयर इंडिया लंबे अरसे से घाटे में है. एयर इंडिया के इतिहास में झांके तो इसका जन्म टाटा एयरलाइंस के रूप में 1932 में हुआ था. 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ था.
फिलहाल, एयरलाइन के कर्मचारियों की संख्या 21,000 है. कंपनी के ऊपर 52,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. 2017 तक पिछले 3 साल में 6,279 करोड़, 5859 करोड़ और 3836 करोड़ रूपए का घाटा रहा.
पूर्व यूपीए सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी को 2012 से 10 साल के लिये 30,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज दिया था. इसके बावजूद लगातार घाटा झेल रही कंपनी को 2016 में दुनिया की तीसरी सबसे खराब बिजनेस का दर्जा मिला था.
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