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राज्यसभा से लेबर बिल पास, जानिए कर्मचारियों पर इनका कैसे होगा असर

कंपनियों को इनसे क्या-क्या रियायतें मिलेंगीं और मजदूरों को क्या क्या फायदा-नुकसान होगा

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विपक्षी दलों के सांसदों के विरोध के बीच सरकार के 4 में से 3 महत्वाकांक्षी लेबर कोड बिल राज्यसभा से पास हो गए हैं. विपक्षी दलों ने 22 सितंबर को दोनों सदनों का बहिष्कार किया, उन्होंने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को लिखा था कि एकतरफा तरीके से बिल पास नहीं किए जाने चाहिए. लेकिन फिर भी ये बिल पास कर दिए गए. अब राज्यसभा से पास होने के बाद ये बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन जाएंगे.

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ये बिल संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों, मजदूरों के कामकाज और उनको नौकरी देने वाली कंपनियों पर सीधे तौर पर असर डालते हैं. इसलिए जानना अहम होगा कि कानून बनने के बाद इन बिलों का क्या असर होगा. और कंपनियों को इनसे क्या-क्या रियायतें मिलेंगीं और मजदूरों को क्या क्या फायदा-नुकसान होगा.

इन लेबर बिलों में इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी बिल, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल शामिल हैं.

इन लेबर बिलों के पास होने के बाद कई तरह के बदलाव होने वाले हैं वर्कर्स को नए कानून से कई नई सुविधाएं मिलेंगी. वहीं कंपनियों को भी कई रियायतें दी गई हैं, जैसे कि उनके अब पहले के मुकाबले वर्कर्स को नौकरी से निकालना आसान होगा. वर्कर्स को अपॉइंटमेंट लेटर देना होगा, उनके मेहनताने का डिजिटल तरीके से भुगतान करना होगा. कंपनियों को अपने कर्मचारियों का साल में एक बार हेल्थ चेकअप भी करवाना होगा.

इंडस्ट्रीयल रिलेशन बिल

इस बिल में सरकार ने मजदूरों के स्ट्राइक करने के अधिकार पर कई शर्तें लगा दी हैं. साथ ही जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम ही है वो कंपनियां सरकार से मंजूरी लिए बिना ही छंटनी कर पाएंगी. इसके पहले तक 100 कर्मचारियों वाली कंपनी को ही ऐसा करने की छूट थी. कुल मिलाकर कंपनियों को कर्मचारियों को नौकरी पर रखने और निकालने में छूट दी गई है. नए नियमों के मुताबिक कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकालने, सजा देने, प्रमोशन देने जैसे पूरे नियम कंपनी के पक्ष में ज्यादा हो जाएंगे.

सोशल सिक्योरिटी बिल

सोशल सिक्योरिटी बिल में कर्मचारियों और मजदूरों के लिए नेशनल सिक्योरिटी बोर्ड बनाने की अनुशंसा की गई है. ये बोर्ड असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अलग-अलग तबके के मजदूरों के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को सुझाव देगा. इसके अलावा भी ये कानून कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी से जुड़ी योजनाओं में भी लाएगा. इनमें जीवन और विकलांगता बीमा, प्रॉविडेंड फंड, स्किल डेवलपमेंट जैसी योजनाएं शामिल हैं.

ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल

इस बिल के जरिए कंपनियों को छूट मिलेगी कि वो कई लोगों को ठेके पर नौकरी दे पाएंगे. इससे कंपनियों को स्थायी तौर पर कर्मचारियों को नहीं रखना होगा. इस तरह से कंपनियों का स्थायी कर्मचारी पर होने वाला खर्च बचेगा. कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट को अपनी मर्जी से कितने भी वक्त के लिए बढ़ा या घटा सकेंगी. महिलाओं को सबुह 6 बजे से शाम को 7 बजे के बीच ही काम कराया जा सकेगा. अगर कंपनी 7 बजे के बाद काम कराती है तो महिला कर्मचारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की ही होगी. कंपनियों को ओवरटाइम के लिए ज्यादा पेमेंट करना होगा और किसी भी कर्मचारी की भर्ती बिना अपॉइंटमेंट लेटर के नहीं हो सकेगी.

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